Wednesday, December 20, 2017

मन के बादल


सुबह के नौ बजे हैं, वह स्कूल जाने के लिए गाड़ी का इंतजार कर रही है. वर्षा का मौसम आज भी बना हुआ है. पूरे देश में गर्मी बढ़ती जा रही है. क्लब की सेक्रेटरी यहाँ से जा रही हैं, एक दिन माली को भेजने को कहा था. सुबह-सुबह माली चला गया तो उन्होंने कहा, नाश्ता कर रहे हैं, बाद में आना. सही है कोई सुबह बिना बताये माली को भेज दे तो यही जवाब मिलेगा. उसने सोचा वह स्वयं जाकर मिलेगी. जून का फोन भी सुबह आया.

आज का दिन भी बीतने को है. सुबह दस बजे के बाद ही स्कूल में कार्यक्रम आरम्भ हुआ, जो वक्तृता तैयार करके ले गयी थी उसमें से कुछ ही बोला. शेष योग के महत्व के बारे में उस क्षण स्वतः स्फूर्त ही कहा गया. कुल मिलाकर कार्यक्रम अच्छा रहा. एक बजे घर लौटी.  जून आज दोपहर बाद आ गये हैं, इस समय एक उच्च अधिकारी के विदाई समारोह में शामिल होने क्लब गये हैं. उनकी पत्नी के लिए उसने भी एक कविता लिखी है, जो लेडीज क्लब के कार्यक्रम में सुनाएगी. आज उसका जन्मदिन है, शाम को छोटी सी पार्टी की. उसके पहले बच्चों को बुलाकर जलपान कराया. बच्चों ने कुछ गाकर, कुछ अभिनय करके भी दिखाया. परिवार के लगभग सभी सदस्यों से फोन पर बात हुई. छोटी बहन ने कहा, वे लोग अगस्त में असम आयेंगे. दो दिन बाद दीदी का जन्मदिन है, उनके लिए कुछ लिखेगी.

आज भी दिन भर बादलों वाला मौसम बना रहा. ऐसे ही विचारों के बादलों में आत्मा का सूर्य छिपा रहता है. आत्मा को पाए बिना कहाँ मुक्ति है, विचारों का अँधेरा जो भीतर है, उसमें आत्मा ही नहीं छिपती, अज्ञान भी छिपा रहता है. उस अंधकार को मिटाए बिना स्वयं को जाना नहीं जा सकता. भीतर गये बिना करुणा और प्रेम का जन्म नहीं होता, मोह के झूठे सिक्के को ही वे प्रेम के नाम पर चलाये जाते हैं.


साल का पाँचवा महीना शुरू हो गया. नया माह और नया सप्ताह एक साथ ही आरम्भ हुए हैं. एक जंगली मुर्गी का बच्चा शोर मचाता हुआ लॉन में घूम रहा है, शायद अपनी माँ को खोज रहा है. कितनी आतुरता है उसकी ध्वनि में. दोपहर के साढ़े तीन बजे हैं. वर्षा थमी है. झूले पर बैठे हुए ठंडी हवा के झोंके सहला रहे हैं. जून को आज फिर से कंधे से नीचे तक दर्द हुआ, प्रारब्ध का खेल ही कहा जायेगा. बहुत सी बातें उनके वश में नहीं होतीं, लेकिन स्वयं को देह और मन से अलिप्त रखने का प्रयास तो वे कर ही सकते हैं. प्रसन्न रहने के लिए यही जरूरी है. आज दोपहर महीनों बाद असमिया सखी का फोन आया, उसकी बेटी को दसवीं में पचानवे प्रतिशत अंक मिले हैं. आज पूर्णिमा है, लेकिन बादलों के कारण चंद्रमा के दर्शन शायद ही हों, फिर भी वे मून लाइट मेडिटेशन तो करेंगे ही. कल की मीटिंग अच्छी रही, उच्च अधिकारी की पत्नी बहुत भावुक हो उठी थीं. उसने कविता पढ़ी. प्रेम का बंधन बहुत रुलाता है !    

2 comments:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 21-12-2017 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2824 में दिया जाएगा

    धन्यवाद

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार दिलबाग जी !

      Delete