Sunday, February 3, 2013

रिमोट कंट्रोल वाली कार


आज नन्हा घर पर है, उसके स्कूल में रक्षाबंधन का अवकाश है. उसने नारियल की बर्फी बनाई है जो यकीनन जून को पसंद आयेगी. कल छोटे भाई का खत आया, वह उदास है पर उसकी कविता उसे मिली होगी..शायद कुछ पलों के लिए ही सही उसे उत्साह मिला तो होगा. कल शाम जून के विभाग के दक्षिण भारतीय सहकर्मी अपनी नव विवाहिता पत्नी को लेकर आए थे, उनकी माँ भी साथ थीं. वे लोग बहुत अच्छे लगे खासतौर पर उनकी पत्नी जिसका नाम भी पूछना वह भूल गयी. वह जीवन-उर्जा से भरी हुई थी और उसका व्यक्तित्त्व भी बहुत आकर्षक था.

साल का आठंवा महीना भी आधा बीत गया यानि यह डायरी अब उसके साथ कुछ ही वक्त रहेगी, फिर नया साल और नई डायरी. कितने वर्षों से कितनी ही डायरियां उसके साथ चली हैं लेकिन सही अर्थों में लिखना उसे अभी तक नहीं आया. डायरी अपने मन का आईना होती है लेकिन क्या वह, वह सब लिख पाती है जो लिखना चाहिए, कभी मूड नहीं होता, कभी समय नहीं, कभी रात को सोते वक्त कोई बात याद आती है लेकिन सुबह तक भूल जाती है. वैसे भी मन पर वश है कहाँ, जैसे आज लिखने को कह रहा है कल पलट भी सकता है. आज मौसम  अच्छा है, धुप मद्धिम है, जून के आने का वक्त हो गया है, अभी भोजन का कुछ कार्य शेष है मसलन रोटी बनाना, सो वह पाकशाला में चली गयी.

कल वह तीसरी बार कर्मचारियों के क्लब में लगा मेला देखने गयी, सोनू और उसका मित्र उत्साह से भरे थे, उसकी असमिया सखी को लॉटरी खेलने का मन था. वह यूँ ही सबके साथ गयी थी. कल कोई खत नहीं आया, पता नहीं उसे किन पत्रों की प्रतीक्षा है. दीदी, माँ-पिता, छोटी बहन, तीनों भाई, शायद सभी के पत्रों का. नन्हे को अगले वर्ष से वे पिलानी के पब्लिक स्कूल में पढ़ाएंगे, ऐसा उनका विचार तो है और अब धीरे-धीरे वह भी रूचि लेने लगा है.उसे एडजस्ट करने में ज्यादा मुश्किल नहीं होगी क्योंकि साल भर में मानसिक रूप से वह तैयार हो जायेगा. जुलाई में परीक्षा होगी. अभी पूरा एक वर्ष है. और इस एक वर्ष में उसे यहाँ के सेंट्रल स्कूल में जाना है, जो किसी भी लिहाज से आदर्श स्कूल नहीं है.

उसके साथ कई बार ऐसा हुआ है, पिछले हफ्ते एक दिन उसने सोचा कि बहुत दिनों से वह अस्वस्थ नहीं हुई है और कल से परेशान है इस सर्दी से. कल व परसों हल्की खराश सी थी गले में, लेकिन आज ऑंखें भी भारी लग रही हैं और आवाज भी बदल गयी है. कल शाम वे कहीं जाने के लिए तैयार हो रहे थे कि उनका परिचित एक पंजाबी परिवार आ गया, अच्छा लगा उनसे बातें करके, उनकी छोटी सी गुड़िया खूब बातें करती है. कल दोपहर को उसने गोलगप्पे बनाने का असफल प्रयास किया, पांच-छह ही फूले, बाकी की पापड़ी बन गयी. फिर जून ने अच्छी सी चाट बनाई-पापड़ी, आलू, चने की चाट. नन्हे की रिमोट कंट्रोल वाली कार का एक छोटा सा पार्ट कहीं खो गया कल रात, सुबह जल्दी उठकर वह ढूँढ भी रहा था..लेकिन मिला नहीं. कल उसका अंग्रेजी का टेस्ट है. कल नूना ने असमिया की किताब पढनी शुरू की थी, कम से कम इतनी असमिया तो सीख ही लेनी चाहिए कि किसी का हालचाल पूछ सकें.








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