उसने एक हफ्ते बाद लिखना शुरू किया तो
अहसास हुआ कि पिछले कई दिनों से खुद को खुद की खबर नहीं है. बीएड की ट्रेनिंग का
मुख्य भाग अध्यापन कार्य चल रहा है. फोन आया है कि जून इसी माह आ रहे हैं, उसका मन
उत्साहित है. नन्हा भी खबर सुनकर हँसने लगा था. उसने उन दिनों की कल्पना भी आरम्भ
कर दी है, शंकालु मन कहने लगा यदि न आ पाए तो..उसने मन को झटक दिया और विश्वास से
भीतर कहा, ऐसा नहीं होगा. उसने उन दिनों के लेसन प्लान अभी से बना कर रखने का
निश्चय भी किया, तब समय मिले न मिले.
कल वह आ गए अड़तालीस घंटे
की ट्रेन की यात्रा करके, लगभग पौने दस बजे, वह नीचे कमरे में ही थी. दिन भर एक
खुमारी सी छायी रह मन पर, कल रात भी एक बजे तक बातें ही करते रहे. शाम को वे गंगा
घाट तक गए थे. कल उसका चौथा पीरियड है, दोपहर को बारह बजे जाना होगा. आज टीवी पर
नेहरु जन्मशताब्दी के उपलक्ष में कुछ कार्यक्रम आएंगे..पर कब आएंगे, समय का तो पता
नहीं है उसे. नन्हा बहुत खुश है और उसने वादा किया है कि माँ का कहना मानेगा.
और आज वह चल भी गया. एक
दिन उनका फोन आया कि वह आ रहे हैं, तब से लेकर
आज तक दिन कैसे बीते पता ही नहीं चला. एक खुमारी...मदहोशी सी और भी जाने
क्या...जिसे प्यार कहें या..? प्यार ही तो है जो उन्हें बांधता है इतना. उसने सोचा
वह ठीक ही कहता है कि.. वह सभी कुछ तो ठीक कहता है. कल रात उसने कितनी बातें याद
दिलायीं. उसे एक एक बात याद है... वह कैसे उसे मिला था, कैसे उसने उसे पहली बार
देखा था और भी जाने क्या क्या .अब चला गया है..निर्मोही..नहीं, इतना चाहने वाला कभी
निर्मोही हो सकता है?
चुनाव परिणाम आने शुरू हो
गए हैं. कर्नाटका में कांग्रेस आगे है,
उत्तर प्रदेश में काफी पीछे है. जून को उसने आज दूसरा खत लिखा, जाने से पहले वह
उसकी डायरी में एक पत्र लिख गए थे जो बाद में उसने पढ़ा. कल सुबह वह घर पहुँचेगे और
कल ही टेलीग्राम भी भेजेंगे और शायद पत्र भी. चुनाव परिणाम सुनने में उसे इतना
आनंद आ रहा है जितना एक अच्छी फिल्म या धारावाहिक में भी नहीं आता. नन्हा इस वक्त लिखने
में मस्त है.
आज बहुत दिनों बाद अपने
कालेज गयी, शायद इसी कारण या कल रात या कल दिन में देर तक टीवी देखते रहने के कारण
आँखों में दर्द हो रहा है. पता नहीं क्या होगा...अर्थात चुनाव का परिणाम. कल उसे
फिर पढ़ाने जाना है वहीं गोपीराधा में. यह पेन चलते चलते रुक क्यों जाता है?
आज जून का टेलीग्राम नहीं
आया, कल आए या परसों. माँ-पिता व दीदी के पत्र मिले. बड़े भाई बनारस के पास तक आकर भी उससे मिलने नहीं आए,
खैर..उसने सोचा अब कभी भी उन्हें कोई शिकायत नहीं लिखेगी, शायद वह उससे नाराज हो
गए हैं. कल उन्हें एक जन्मदिन कार्ड भेजेगी. नन्हे को आज दिन में सोने के लए कहा
तो भाग गया, बिलकुल ही बात नहीं सुनता है, उसे जबरदस्ती सुलाया है. माँ के भांजे
आए हैं उल्हासनगर से, पिछले डेढ़-दो घंटे से बातें कर रहे हैं, ठहरे कहीं और हैं,
उसने सोचा पता नहीं वे रात का खाना यहीं खायेंगे या पता चल जाता तो..वह तैयारी कर
लेती. ध्यान फिर बंट गया, उसके दो लेसन प्लान बेकार जायेंगे शायद..कल के दो मिलाकर
उन्नीस होंगे और अगर कल दो और मिल गए तो इक्कीस, फिर बचेंगे दस आर्य महिला के लिए.
यूनिट टेस्ट का भी एक लेसन प्लान होगा.
कल दिन भर व्यस्त रही सो
लिख नहीं पायी. आज दस बजे ही घर आ गयी थी. कल से उसे साढ़े दस बजे जाना है, साढ़े
ग्यारह बजे से क्लास है. आज क्लोजिंग डे होने के कारण रुक्मिणी विद्यालय हायर
सेकेंडरी स्कुल जल्दी बंद हो गया था. स्कूल के नाम पर कुछ कमरे ही तो हैं वहाँ. एक
घर है उस में कुछ बच्चों को लेकर स्कूल चल रहा है. पन्द्रह दिसम्बर तक उसे यहाँ
जाना है. तेरह दिन मिलेंगे. समझ नहीं आ रहा टेस्ट कहाँ लेना होगा. भविष्य बताएगा.
अगर यहीं ले लें तो भी क्या हर्ज है? कल तो पहला दिन होगा, छोटी सी क्लास है सिर्फ
तेरह लड़कियों की. एक दिन में एक का नाम याद करे तो पूरी कक्षा के नाम याद हो
जायेंगे. आज जून का पत्र आना चाहिए, नहीं टेलीग्राम, पत्र आने में तो एक सप्ताह लग
एकता है. उसने सोचा थ्योरी की पढ़ाई भी जो इतने दिन से छूटी हुई है शुरू कर देनी
चाहिए आज से ही. और साथ ही मेजर की कॉपी के लिए पूर्णिमा मैम से कहना होगा. आज एक
दो जगह पत्र भी लिखने हैं.
No comments:
Post a Comment