Tuesday, July 3, 2012

पटाखों की गूंज


जब भी पिछले दिनों उसने सोचा कि कुछ लिखे या पढ़े, नन्हें मियां ने आवाज दे दी, अब उसके जगते हुए ही वह लिख रही है, अभी तो चुपचाप खेल रहा है, पर पता नहीं कब ऊँ ऊँ आ आ शुरू कर दे, और चाहे कि उसके साथ बातें करो. मौसम ठंडा हो गया है. सर्दियाँ आ ही गयी हैं. उसने सोचा कि उसके लिये एक और स्वेटर तो बना ही लेना था अब तक. हो सकता है आज कल में माँ का भेजा पार्सल मिल ही जाये.
जून लाइब्रेरी गए हैं और नन्हा सो रहा है यानि नूना फुरसत में है, ऐसे पल कहाँ मिलते हैं आजकल तभी तो आज उसने आठ खत लिखे. वैसे छह बज चुके हैं किसी भी क्षण वह आ जायेंगे. नन्हें के लिये कितने सुंदर स्वेटर भेजे हैं माँ ने, उसकी आँख की समस्या ज्यों की त्यों है अब घर जाने पर ही उसका इलाज होगा.
परसों दीवाली है ज्योति उत्सव, और कल है भारत की प्रिय प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी की पुण्य तिथि. उन्हें इस दुनिया से विदा हुए कितना समय बीत गया है पर उनकी स्मृति अभी भी ताजा है. जून का परीक्षाफल अच्छा रहा वह एक ग्रेड ऊपर चढ़ गये हैं. आज बहुत दिनों बाद इसी खुशी में नूना ने पूरा खाना बनाया है. उसके आने से पहले मेज सजा कर रखी है. नन्हे को भी शायद आभास हो गया कि माँ व्यस्त है वह आराम से सोया. कल उसे लेकर वे अपने दो मित्र परिवारों के यहाँ गए, उसने गुलाबी स्वेटर पहनाया था, बहुत खिल रहा था उस पर. जून ने उसके कितने फोटो खींचे हैं, जब बन कर आएँगे कितना अच्छा लगेगा. दीवाली के दिन वह नूना के भी खींचने वाला है. यदा-कदा  पटाखे कई दिनों से बजने लगे हैं, उनकी आवाज से सोया हुआ छोटू चौंक जाता है.   

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