Tuesday, February 21, 2017

मन का विश्राम


कल शाम जून आ गये और जीवनधारा पूर्ववत् बह निकली है. आज दीदी की एक पोस्ट पढ़ी, अच्छी है. अभी कुछ देर में बच्चे पढ़ने आ जायेंगे, कल से एक नई छात्रा भी आएगी, उसने सोचा, देखें, कितना सीखती है. कल रात नन्हे से बात हुई. नये वर्ष की पूर्व संध्या पर वह अपनी कम्पनी के सभी लोगों को लेकर कूर्ग जा रहा है. उसी ने सारा कार्यक्रम ठीक किया है, होटल, बस आदि सभी कुछ, जोश से भरा था वह, काश उसके मन में दान का भाव भी जागे ! आज फोन ठीक हो गया, कई ब्लॉग्स पर टिप्पणी लिखीं. शाम को एक सखी से मिलने जाना है, उसका स्वास्थ्य ठीक नहीं है, स्वास्थ्य मन  के भावों पर बहुत निर्भर करता है. रोग भी उनकी नासमझी का ही परिणाम हैं, हर दुःख उनका ही बुलाया हुआ होता है .मन खाली रहे तो ज्यादा अच्छा है बजाय इसके कि व्यर्थ का चिन्तन चलता रहे. खाली रहेगा तो उस परमशक्ति से जुड़ा रहेगा..शक्ति से भरा रहेगा, लगातार भरता रहेगा...

आज जन्तर-मन्तर पर अन्ना हजारे का अनशन चल रहा है, एक दिन का सांकेतिक अनशन, संसद में लोकपाल बिल पर बहस चल रही है. मौसम अपेक्षाकृत ठंडा है, कल चंद्रग्रहण था. आज पूर्ण चन्द्र अपने पूरे सौन्दर्य के साथ खिला है. माँ को अस्पताल में रहते एक महीना हो गया है, डाक्टर कह रहे हैं, आपरेशन करना पड़ेगा, कल जून डिब्रूगढ़ जायेंगे. टीवी पर ओशोधारा आ रहा है. गुरू की स्मृति में जीना साधक के लिए बहुत आवश्यक है, सद्गुरू की कृपा से ही उसे भी निराकार का आभास हुआ है. कर्मों का बंधन गुरू से नाता जुड़े बिना नहीं खुलता. नाम से प्रीत होने पर संसार की चाह नहीं रहती, नाम ही उन्हें अपने अंतर आकाश में ले जाता है.  

कल माँ को डिब्रूगढ़ ले गये हैं. दोपहर एक बजे वह अस्पताल से लौटी, पिताजी और जून वहीं हैं. सुबह माली आया था, जब उसने कहा, आज वह पूर्व कहे अनुसार गमलों पर रंग नहीं करेगा तो एक क्षण के लिए भीतर क्रोध उठा, पर जरा भी नहीं भाया और तत्क्षण विलीन हो गया, यानि कि अभी भी अहंकार बना ही हुआ है. ध्यान साधना नियमित करनी होगी, अभी मंजिल बहुत दूर है लेकिन उसका पता तो चल गया है. जून ने कल दस बजे गाड़ी का प्रबंध किया है, वह भोजन बनाकर ले जाएगी, साथ ही कुछ जरूरत का सामान भी ले जाना है.

तीन दिन वहाँ रहकर जून माँ को वापस ला रहे हैं, पता नहीं उन्हें अभी यहाँ के अस्पताल में फिर कितने दिन रहना होगा. यह वर्ष खत्म होने को है, नये वर्ष के कार्ड्स भेजने हैं. कल क्रिसमस के लिए  कविता लिखी, आज टाइप की है, उसमें कुछ चित्र भी लगाने हैं, फिर वे सभी को भेजेंगे. आज छोटे भाई की बड़ी बिटिया का जन्मदिन है, और यहाँ भी एक मित्र का. जून आने वाले हैं, वह माँ-पिताजी के लिए दोपहर का भोजन ले जायेंगे. अभी-अभी उसने फोन उठाया कि भतीजी का नंबर भाभी से मांगे, पर जैसे ही फोन उठाया पहला नंबर उसी का था, यह चमत्कार ही तो है और कुछ देर पहले आग पर कढ़ी रखी थी, उबलकर गिरने ही वाली थी कि उसने बिना किसी कारण पीछे मुड़कर देखा. कोई है जो उसके साथ-साथ है. वह परमात्मा सदा उनके साथ है. भीतर कोई न रहे तभी वह आता है. वे कंकड़-पत्थर लिए रहते हैं और हीरे को अनदेखा करते रहते हैं, एक खेल चलता रहता है जीवनभर, कई बार तो सत्य आ आकर दूर चला जाता है, छिटक जाता है..


पिछले दस दिनों से डायरी नहीं खोली. यह वर्ष जाने को है. तीन दिन के बाद नया वर्ष आने वाला है, भीतर एक नया उत्साह और जोश जग रहा है. कुछ विशेष करना है इस नये साल में. परम जो कराए..उसके हाथ में स्वयं को सौंप दिया है, सौंपने वाला भी तो वही है..और कोई नाम सोच रही है अपने ब्लॉग के लिए..मन को जब विश्राम मिलता है तो भीतर ऊर्जा प्रकटती है उसे विसर्जन करना है, बाँटना है, लुटाना है, ऐसे ही भाव से युक्त या नवसृजन की बात करता हुआ नाम, वर्ष दर वर्ष विकास होता रहे मन का, बुद्धि व संस्कारों का का भी, चेतना का भी तभी मानव होने का अर्थ है अन्यथा वहीँ के वहीं रह गये तो जीवन कौड़ियों के मोल बेचने जैसा ही होगा. समाज के लिए और कुछ नहीं कर पायी तो शब्दों के माध्यम से प्रेरित करने का काम तो सहज ही हो सकता है. परमात्मा उससे यही कराना चाहते हैं. 

2 comments:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 23-02-2017 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2597 में दिया जाएगा |
    धन्यवाद

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  2. स्वागत व बहुत बहुत आभार दिलबाग जी !

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