तीन दिन देखते-देखते बीत गये,
उत्सव के दिन. लिखने का समय ही नहीं मिला. आज सुबह से बदली छायी है. कल रात भर वर्षा
होती रही, ठंड बढ़ गयी है. उसने दो स्वेटर पहने हैं. फिर भी ध्यान में कंपकंपी होने
लगी थी. सुबह-सुबह बाबा रामदेव मात्र धोती पहने योग सिखाते हैं. जून शिवसागर गये
हैं, शाम तक आ जायेंगे. सुबह पिताजी ने कहा, रात को तीन बजे उठने पर उन्हें ठंड
लगी, उसे ऊनी टोपी बनाने को कहा है. उसने कहा, उठते ही कुछ पहन लेना चाहिए, आल्मारी
में उनके लिए मफलर व ऊनी मोज़े भी रखे हैं, पर वे पहनना नहीं चाहते. उन्हें इस बात
से ही ख़ुशी होगी कि उसने उनके लिए टोपी बनाई, पहनें या नहीं, इससे ज्यादा अंतर
नहीं पड़ता. जून ने कहा, वे चाहते हैं कोई उन्हें याद दिलाये. इंसान अपनी भी
जिम्मेदारी उठाना नहीं चाहता. उधर छोटी ननद उनके बिना अकेलापन महसूस कर रही है, वे
लोग चाहते हैं घर के पास तबादला हो जाये. मानव को कितने प्रकार के भय सताते हैं.
आज वर्षों पहले मंझले भाई द्वारा डायरी में लिखी कविता से प्रेरित होकर लिखी कविता
ब्लॉग पर डाली. सुबह दृश्य और द्रष्टा के भेद का वर्णन सुना. सुख में छिपे दुःख को
पहचानकर उससे मुक्ति पाने का उपाय समाधि है.
आज धूप निकली है अपने घर
से, बल्कि कहें कि बादलों ने उसका रास्ता नहीं रोका है न कुहरे न न कुहासे ने. चारों
तरफ कैसी रौनक हो गयी है, रंग निखर आते हैं धूप में, पिछले दो दिन सारा दृश्य एक
ही रंग का प्रतीत होता था. जून के ऑफिस में एक विदेशी भूवैज्ञानिक आये हैं
क्रिस्टोफर कॉनकार्ड, कल शाम वह एक मित्र परिवार के यहाँ उनसे मिली. वे लन्दन के
एक गाँव में रहते हैं. पैंतीस वर्ष के थे तो अपनी पत्नी के साथ मिलकर तेल के
क्षेत्र में अपनी कंसल्टेंसी की कम्पनी शुरू की, पत्नी प्रबंध करती है और वह पूरे
विश्व में घूम-घूमकर अपना ज्ञान बांटते हैं. दो बच्चे हैं, बेटा और बेटी, बेटी के
तीन बच्चे हैं, लिखती है, बेटा सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करता है. दोनों के बचपन की
बातें बड़े चाव से बता रहे थे, बातें करने में कुशल हैं. उनके पूर्वज भारत में रहे,
काम किया. पत्नी के दादा भी यहाँ रहे थे, हिंदी से परिचित हैं क्योंकि बचपन में
सुनी थी. असम कई बार आ चुके हैं, आसपास के तेल क्षेत्र से परिचित हैं. बासठ वर्ष
के हैं, इस उम्र में भी बच्चों का सा जोश है. बच्चों से प्यार भी है. जहाँ भी जाते
हैं, वहाँ के स्कूलों में जाकर बच्चों से मिलते हैं और दान भी करते हैं. कुल
मिलाकर सीधे, सरल व एक सहृदय कोमल दिल वाले इन्सान हैं. सेन्स ऑफ़ ह्यूमर भी बहुत
है. उनके बारे में एक छोटी सी कविता वह लिखेगी. आज वे उनके साथ मृणाल ज्योति जा
रहे हैं.
कल उसने एक छोटी सी कविता
लिखी, श्री क्रिस्टोफर के लिए, मृणाल ज्योति का ट्रिप अच्छा रहा. शाम को उन्होंने
कविता का अंग्रेजी में अनुवाद भी किया. आज धूप बहुत तेज है, माँ-पिताजी बाहर धूप
में ही बैठे हैं. सुबह सुना मानव को अपने बल का उपयोग संसार की सेवा के लिए करना
है न कि अपने सुख के लिए !
आज नेताजी पर एक कविता
लिखी. मौसम अब कम ठंडा है, बदली के बावजूद. कल पुनः आग जलायी और आग के चारों ओर
बैठकर सर्दियों में मिलने वाली वस्तुएं गजक आदि खायीं, विदेशी मेहमान को बुलाया
था. जो भारतीय भोजन आराम से खा लेते हैं. रात को और सुबह भी तमस भर गया था, ध्यान
किया तो सत् पुनः प्रबल हो गया. साक्षी होकर इन तीन गुणों का खेल देखते ही बनता
है. इस वक्त मन शांत है अर्थात सत् की प्रमुखता है. जून कल लाइब्रेरी से लायी
पुस्तक पढ़ रहे हैं आर के नारायण की ‘अ टाउन कॉल्ड मालगुडी’ उसकी पढ़ाई आजकल नहीं हो
पाती है. सुबह पाठ करने व नेट पर कवितायें पढ़ने के अलावा कुछ नहीं पढ़ पाती है.
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 13-10-2016 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2494{ चुप्पियाँ ही बेहतर } में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
बहुत बहुत आभार दिलबाग जी !
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