आज वे लोग एक विस्तृत वन देखने गये, वनस्पति उद्यान..जहाँ
ऊंचे-ऊंचे वृक्ष थे, हरियाली थी, जंगल भी था और बगीचा भी. कितने ही लोग वहाँ साइकिलों
पर घूम रहे थे. जून के एक अमेरिकन सहयोगी उन्हें वहाँ ले गये. डील-डौल में काफी
बड़े थे. अमेरिका के अधिकतर निवासी कद-काठी में काफी बड़े होते हैं, और चेहरे
लाल-गुलाबी. यहाँ सब कुछ बड़ा है, देश तो बड़ा है ही, हवाई अड्डे इतने बड़े हैं कि भारत
के कई गाँव समा जाएँ. उस दिन जब पहली बार वे यहाँ के जार्ज बुश हवाई अड्डे पर उतरे
थे तो सामान रखने के लिए ढूँढने पर कोई ट्राली नहीं मिली, इधर-उधर पता लगाकर बाहर
सड़क से उन्हें एक ट्राली मिली. सड़कें चौड़ी-चौड़ी हैं. इमारतें विशाल हैं. कारें भी
उसी अनुपात में लंबी-चौड़ी हैं. वे खाने-पीने का सामान खरीदने गये थे तो आलू-प्याज,
गाजर भी दुगने आकार के मिले. यहाँ के फल भी बड़े हैं और स्वाद भी थोड़ा अलग है. पानी
में क्लोरीन कि गंध आ रही है. टमाटर कच्चा खाने की कोशिश की तो उसमें भी क्लोरीन
जैसी गंध आयी. चावल भी पार बॉयल्ड मिले हैं साइज में बड़े और मोटे. दूध का कैन पांच
लीटर का, दाल का पैकेट दो किलो का. चाय की तो इतनी वैरायटी उन्हें दिखी कि अचरज से
भर गये. स्ट्राबेरी चाय उसने पहली बार पी, वैसे यहाँ का राष्ट्रीय चाय है ‘आइस्ड
टी’, और वनीला फ्लेवर राष्ट्रीय फ्लेवर है आइसक्रीम का. वे सभी कुछ बड़े साइज का इस्तेमाल
करते हैं, उनका दिल भी जरूर विशाल होगा तभी दुनिया भर के लोग अमेरिका को अपना देश
बनाकर रह पाते हैं. भारतीयों की संख्या काफी है. यहाँ घूमने आने वालों के लिए कई
आकर्षण हैं. शहर में कई झीले हैं, छोटी-बड़ी धाराएँ हैं जिनके किनारे पर सुंदर
बगीचे हैं. कई स्टेडियम हैं, एस्त्रोडोम जिसे विश्व का आठंवा आश्चर्य कहा जाता है,
विश्व का पहला वातानुकूलित स्टेडियम है.
आज भी सुबह से वर्षा
जोरदार हो रही है, सड़कों पर भरा पानी देखकर उसे असम की याद आ रही है. चैनल २ पर
मौसम का हाल बताया जा रहा है. कुछ घरों के आगे भी १-२ फीट से अधिक पानी भर गया है.
शुगर लैंड में लोग आहत भी हुए हैं. टीवी पर बार-बार दिखा रहे हैं, एक नीली गाडी
में पेड़ की बड़ी शाखा घुसी हुई है. कहीं कहीं १३-१४ फीट तक पानी भर गया है. जून की आज
की ट्रेनिंग भी हो गयी है, उनका फोन आया था, वे लोग आने के लिए टैक्सी खोज रहे
हैं. ट्रेनिंग सेंटर के बाहर भी पानी है. होटल
के इस कमरे में बैठकर उसे तूफान की विभीषका का पता नहीं चला. केटी फ्री वे का रास्ता
भी पूरी तरह पानी से भर गया है.
अभी कुछ देर पहले
भारत बात की, वहाँ अभी सवेरा हुआ है, नन्हा उठ चुका था, यह कार्ड पांच डालर का था जिससे सिर्फ एक बार बात कर सकते हैं.
नन्हे ने मेल भी पढ़ लिए थे. जून ने आकर बताया कि टैक्सी ड्राइवर अच्छा था, अच्छे
मूड में था, उसने अपना कार्ड दिया भविष्य में उसे बुलाने के लिए. यहाँ लोग बिजनेस
करना जानते हैं, वैसे वे प्रैक्टिकल हैं भारतीयों की तरह जरा भी इमोशनल नहीं. लोग
पहली बार मिलने पर अभिवादन करते हैं फिर अपने काम से काम रखते हैं. टीवी पर लोग मुस्कुराते हुए विस्तार से समाचार
देते हैं पर अक्सर उसे लगता है कि उनकी मुस्कान वास्तविक नहीं है.
जून ने एक मोटा सा
अख़बार लिया होटल के गेट पर लगी वेंडिंग मशीन में सिक्का डालकर, उसे पढ़कर कितनी ही
जानकारी उसे मिली है. ह्यूस्टन अमेरिका के टेक्सास प्रदेश का दक्षिणी शहर है. यहाँ
९० से अधिक भाषा भाषी लोग रहते हैं. यहाँ सड़क पर कोई पैदल चलता हुआ नजर नहीं आता.
कई लोग मोटापे के मामले में गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड में नाम लिखाने को तैयार
बैठे हैं. लोगों के खाने-पीने का कोई समय नहीं है. ड्राइव करते समय स्कूल के रस्ते
में, ऑफिस में जहाँ कहीं भी लोग हों कुछ न कुछ खाते-पीते रहना उनकी आदत है. कॉफ़ी
के मग होते हैं कप नहीं.
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