रात के नौ बजे हैं, आज सुबह से ही वह बिस्तर पर है. कल रात भर नींद नहीं आयी सो जून भी जगता रहा. हर तरह से वह उसका ख्याल रखता है. सुबह कफ सिरप लाकर दिया उसे कुछ आराम मिला. अब बुखार नहीं है, उसने सोचा यदि कल भी नहीं हुआ तो कल शाम तक वह बिल्कुल ठीक हो जायेगी. इस समय जून पड़ोसी के बुलाने पर उनके यहाँ भोजन करने गया है. नूना रेडियो पर पौने नौ बजे के समाचार सुन रही थी कि डायरी पर नजर गयी और वह लिखने लगी....कितनी कमजोरी आ जाती है बुखार के बाद और मुँह से लगातार पानी आता रहता है जो सबसे ज्यादा परेशान करता है उसे. दिगबोई जाने का यह परिणाम होगा जानती नहीं थी.
आज सोमवार है, कितने दिनों के बाद उसने डायरी उठाई है. बुखार शनिवार को उतर गया था, पर अभी पूर्ण रूप से स्वस्थ होने में तीन-चार दिन और लगेंगे. इस समय वह दोपहर के समाचार सुन रही है. राजस्थान की सरकार के प्रति अविश्वास प्रस्ताव, मुख्य मंत्री की नौका डगमगाने लगी है. पिछले हफ्ते जून ने बहुत ध्यान रखा, ऐसा बस वही कर सकता था, और कोई नहीं, नूना ने सोचा. आज भी जल्दी आ गया था सहायता करने. जब कि उसे कुछ करने को था ही नहीं. टालस्टाय की लिखी पुस्तक पूरी पढ़ ली है और उससे पूर्व पढ़ी स्वेतलाना की लिखी पुस्तक भी बहुत रोचक थी.
अगस्त मासे प्रथम दिवस ! गर्मी की शुरुआत, पिछले दो दिनों से वर्षा नहीं हुई, वातावरण गर्म हो उठा है और रात रेडियो पर सुनी वह खबर, संसद ललित माखन तथा उनकी पत्नी की हत्या, कितना बेबस है इंसान क्रूरता के आगे. आज वह पूरी तरह स्वस्थ अनुभव कर रही है. पिछले माह की तरह खुद से वादा किया कि अब से नियमित लिखेगी. आजकल सुबह का नाश्ता वह बनाती है. जून की बातें, उसके स्नेह पर बरबस मुस्कान खिल जाती है. उसकी अस्वस्थता में दिन-रात एक कर दिये थे उसने. आज उसके कहने पर मटर पुलाव बनाया, उसे अच्छा लगा और नूना को यह जानकर अच्छा लगा.
No comments:
Post a Comment