Monday, January 30, 2012

प्रेमचन्द की किताबें


प्रेमचन्द की बीस पुस्तकें लाइब्रेरी में आई हैं. हिंदी की पुस्तकों का यहाँ की लाइब्रेरी में आना एक सुखद घटना है उनके लिए, और आज ही वे प्रेमाश्रम व मानसरोवर(१) लाए हैं. उसने सोचा वह कल से पढ़ना शुरू करेगी. कल से माली काम करने लगा है, आखिर वह शुभ दिन आ ही गया पर पता नहीं कब उन्हें दूसरे मकान में जाना पड़े, डीएक्स टाइप मकान में, इस घर का नम्बर है सी ७६, यह उन्हें सदा याद रहेगा. कल प्रभा, दायीं ओर की पडोसन आयी थी, दो कहानियों पर चर्चा की, उसने कहा कि उनमें से एक कहानी पर वे लोग कभी फिल्म बनाएंगे. जून चाहता है कि वह मोटी हो जाये, ढेर से फल लाकर रखे आज, पर उसे लगता है वह कभी मोटी नहीं होगी, हाँ एक बार उस तरह ‘मोटी’ होकर देखना है, दोपहर को स्वप्न में कुछ ऐसा ही अनुभव हुआ था.

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