आज शाम से ही वर्षा हो रही है। कुछ देर पहले नन्हे से बात हुई, उसने बताया दिवाली का उत्सव वे अभी तक मना रहे हैं। आज सुबह एक मित्र परिवार ने उन्हें नाश्ते पर बुलाया था, दोपहर को उन्होंने पड़ोसियों को लंच पर आमंत्रित किया, शाम को पुन: उन दोनों को एक सहकर्मी के यहाँ दिवाली की चाय पर जाना था। रात को नौ बजे से उनका नृत्य अभ्यास है, जो एक मित्र के विवाह के अवसर पर उन्हें करना है। आज दीदी ने वर्ष भर पूर्व उनके साथ की गई हिमाचल की यात्रा का विवरण भेजा, पढ़कर वे सारे दृश्य आँखों के सम्मुख आ गये। उसने सोचा, वह भी डायरी में लिखे यात्रा विवरण को टाइप करके उन्हें भेजेगी । बड़ी ननद के विवाह की वर्षगाँठ पर उसने एक कविता लिखी ।कल एक सखी के माँ-पापा के लिए श्रद्धांजलि स्वरूप एक छोटा सा आलेख लिखा था, उसने अपने परिवार जनों की प्रतिक्रियाएँ भेजी हैं, अब तक बीस आ चुकी हैं। उनका परिवार बहुत बड़ा है। उसे महसूस हुआ, शब्दों में कितनी ताक़त होती है।
सुबह वे टहलने निकले तो भोर का तारा गाढ़े नीले आकाश पर दमक रहा था। हवा शीतल थी। रात की रानी की सुगंध दूर से ही आ रही थी। मुख्य सड़क के मध्य में एक लंबी क़तार में इनके पौधे लगे हैं। योगासन के अभ्यास के दौरान छत से दिखा सूर्योदय का दृश्य अनुपम था। उसी दौरान पुन: गायत्री परिवार के लाल बिहारी जी का मनोमय कोष की साधना पर दिया व्याख्यान सुना। उनकी वाणी में कितनी प्रखरता है, बहुत गहरी साधनाएँ उन्होंने की हैं। बाद में एक परिचित, जो इसी सोसाइटी के निवासी हैं, मिलने आये थे, तमिलनाडु के हैं। हर सुबह दौड़ लगाते हुए मिलते हैं। वे सात बार विपासना का कोर्स कर चुके हैं। उनसे बात करते हुए उसे अपने विपासना अनुभव याद आ रहे थे, उसके लिए एक बार ही यह अनुभव करना पर्याप्त है।
बाहर से कुछ आवाज़ें आ रही हैं। उनकी बैठक की दीवारों में पानी के रिसाव के निशान दिख रहे थे, इस समस्या से छुटकारे के लिए बाहर दीवारों के पास खुदाई का काम चल रहा है, एक बार फिर से जलनिरोधी प्लासतर करना होगा। आज दिन में दो बार ‘सावधानी हटी और दुर्घटना घटी’ । एक प्याला टूटा और खाने की मेज़ पर पानी से भरा गिलास उलट गया। दोनों बार दाहिने हाथ से, अर्थात हाथ पर मन का नियंत्रण नहीं था और मन पर ख़ुद का। नन्हा और सोनू विवाह में पहुँच गये हैं, उसके मित्र ने लिंक भेजा है, चाहे तो वे भी यहाँ से सम्मिलित हो सकते हैं।’देवों के देव’ में कार्तिकेय और गणेश के मध्य प्रतिस्पर्धा होने वाली है। गणेश ही विजयी होंगे, कार्तिकेय के मन में एक गहरा घाव है जो इंद्र ने उसे दिया है अथवा उसके जन्म की घटनाओं के कारण उसे मिला है। वह कई बार कैलाश छोड़कर जा चुके हैं, कोई न कोई उन्हें मनाकर वापस लाता है।
सुबह वे जल्दी उठे। उठने से पूर्व उसे लगा जैसे किसी ने कहा हो, ध्वनि एक ऊर्जा है। प्रात: भ्रमण के दौरान इसी बात पर मनन करते हुए मंत्र जाप किया। हर शब्द की तरंगों का शरीर पर असर होता है।ओम के उच्चारण का अति प्रभाव होता है, इसीलिए इस पर इतने शोध हो रहे हैं। हज़ारों वर्षों से ऋषि यह कहते आये हैं। शरीर तरंगों से बना है, तो ध्वनि की तरंगें उसे प्रभावित करें इसमें आश्चर्य भी क्या है ? भीतर निरंतर एक गुंजन चल रही है, उसे सुनें या ना सुनें, वह हो ही रही है। वह ध्वनि कहाँ से आ रही है, क्या वह प्राण ऊर्जा की गति के कारण है, जैसे बिजली की तारों से एक ध्वनि आती है। इस देह में न जाने कितने रहस्य छिपे हैं। गुरुजी के भगवद्गीता पर दिये प्रवचन का एक अंश सुना। वे गूढ़ विषयों को भी सरल भाषा में समझा देते हैं। शाम को एक निर्देशित ध्यान किया था, मन कितना हल्का हो गया था उसके बाद। जून को भी अच्छा लगा। अब वह पुन: कर रहे हैं। उन्हें अपने आप ध्यान के लिए बैठे देखकर अच्छा लगा। उन्हें ध्यान के महत्व का ज्ञान हो रहा है।
आज साप्ताहिक सफ़ाई का दिन था। सुबह सर्दियों की ठंड के साथ शुरू हुई। तापमान चौदह डिग्री था, वे जैकेट आदि से मुस्तैद होकर निकले। दोपहर को धूप निकल आयी थी। फूलों के चित्र उतारे, जो धूप में और भी शोख़ लग रहे थे। शाम को सूर्यास्त के चित्र फ़ेसबुक पर प्रकाशित किए। आर्ट ऑफ़ लिविंग के अनुवाद कार्य के बाद दोपहर को ब्लॉग पर लेखन व पठन कार्य, लिखा कम, पढ़ा अधिक। हिमाचल की यात्रा का वृतांत पिताजी व दीदी दोनों को अच्छा लगा। नन्हे के मित्र ने विवाह के बाद एक उपहार भेजा है, बहुत बड़ा सा पैकेट है। उन्होंने अनुमान लगाया, उसमें क्या हो सकता है।
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