Thursday, December 22, 2022

चौथ का चाँद


आज दोपहर पूर्व योग की सप्त क्रियाओं में से एक नेति क्रिया की थी, शाम से ही छींकें आ रही हैं, जब थोड़ा सा भी पानी भीतर नासिका में रह जाता है, तब ऐसा होता है।वर्षों पहले एक बार असम में विवेकानंद योग केंद्र में इसे सीखा था, तब से सप्ताह में एक बार तो कर ही लेती है। नेति के बाद ज़्यादातर कपालभाति करने से पानी निकल जाता है पर कभी-कभी कुछ रह जाता होगा। मंझले भाई ने घर में हुई गणेश पूजा का वीडियो  भेजा  है। गुरूजी ने गणेश चतुर्थी का महत्व व गणेश के जन्म की अनोखी कथा का अर्थ समझाया। जिनका अहंकार से भरा सिर शिव ने काटा तो ज्ञान युक्त सिर लगाया गया। कहते हैं चौथ का चाँद नहीं देखना चाहिए, पर रोज़ की तरह उसकी नज़र आकाश की ओर चली गयी और दर्शन  हो गए। 


आज सुबह नन्हा व सोनू आ गये थे। दोपहर को भोजन के बाद वे सभी एक स्टोर ‘लिव स्पेस’ गये, उन्हें अपने किचन व बेडरूम की अलमारी का दरवाज़ा ठीक करवाना है। सेल्स मैनेजर ने पावर पाईंट प्रस्तुति दी, नयी तकनीक आने से हर क्षेत्र में सब कुछ कितना बदल गया है । अमेजन से कमांड टेप आया है, मेहमानों के कमरे में चित्र लगाना है, अब दीवार पर कील ठोकने की ज़रूरत नहीं है।लगभग पाँच महीने बाद वे शहर की तरफ़ गये थे।हाथों में दस्ताने तथा चेहरे पर मास्क लगाकर। ट्रैफ़िक भी अब सामान्य हो गया है।वापसी में सोसाइटी में नयी खुली दुकान पर चाय पी तथा गणेश पूजा का कलात्मक पंडाल देखने भी गये। तीन दिन उनकी पूजा करने के बाद पूरी विधि से मुहूर्त देखकर कल विसर्जन का जुलूस भी निकलेगा। 


रात्रि के नौ बजे हैं, मन में सुबह सुने एक संत के वाक्य याद आ रहे हैं। कुछ लोग स्वयं को अणु मानते हैं, यह आणवीय मल है। अपूर्ण मानते हैं, यह मायीय मल है। अपूर्ण मानते हैं और उस अपूर्णता को दूर करने की इच्छा करते हैं, यह कार्मिक मल है। अविद्या, काम, कर्म यह तीनों ही बंधन के कारण हैं। वे अनंत हैं, सांत नहीं, वे पूर्ण हैं, अपूर्ण नहीं, वे सत्य हैं, ज्ञान हैं जब तक यह स्वयं का अनुभव नहीं बन जाएगा तब तक मानव को शांति का अनुभव नहीं होगा।नन्हे ने ‘मैजिक फ़्लावर्स पॉट सॉयल’ का दस किलो का एक पैकेट भिजवाया है। बड़े शहरों में मिट्टी भी ख़रीदनी होती है, उन्हें इसका भान नहीं था।  गमलों में भरकर बीज डाल दिए हैं, एक हफ़्ते में निकल जाएँगे। प्रधानमंत्री जी ने मोर का एक वीडियो पोस्ट किया है, कुछ लोगों को उस पर भी एतराज है।  


भारत ब्राज़ील से आगे निकल जाने वाला है, कोरोना के संक्रमण से पीड़ित लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। शाम को वृद्ध पड़ोसी टहलते हुए मिले, कहने लगे, अब कोरोना से डरना छोड़ दिया है, जो पाना था पा लिया, अब क्या खोने को है ? एक पुरानी परिचिता से फ़ोन पर बात हुई। वह कोरोना के कारण अस्पताल में  हैं, शिकायत करती हुई सी कह रही थीं, मरीज़ों को देखने डाक्टर भी नहीं आता और घर के लोग भी दूर से देखकर खाना रखकर चले जाते हैं। नन्हे ने एक और गेम भेजा है। पिछले हफ़्ते वॉल एंड वॉरीअर भेजा था, जो जून रोज़ खेलते हैं। उसके बचपन में वे उसे खिलौने ख़रीदकर देते थे और अब वह उनका बचपन फिर से याद दिला रहा है। आज सुबह दुलियाजान की कम्पनी के हिंदी अनुभाग से भेजा गया पुरस्कार का ड्राफ़्ट मिला, वहाँ से आने से पूर्व कुछ रचनाएँ दी थीं पत्रिका के लिए। जून ने उसे बैंक में जमा कर दिया है। 


2 comments:

  1. ये जीवन यूँ ही चलता रहता है अपनों के बीच
    पुरस्कार प्राप्ति हेतु हार्दिक बधाई!

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    1. स्वागत व आभार कविता जी!

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