सम्पूर्ण लॉक डाउन
रात्रि के पौने नौ बजे हैं। आज जनता कर्फ़्यू सुबह सात बजे शुरू हुआ और शाम को पाँच बजे सभी ने ताली, थाली और घंटी बजाकर डाक्टर्स को धन्यवाद दिया। भारत में कोरोना के मरीज़ों की संख्या छह सौ सत्तर हो गयी है। दो दिन बाद उगादि का उत्सव है।
आज शाम को लोग सड़क पर आते-जाते दिखे। कोरोना के ख़िलाफ़ युद्ध में प्रधान मंत्री का अगला कदम है इक्कीस दिनों का पूरा लॉक डाउन। अगले तीन हफ़्तों तक सभी कुछ बंद रहेगा, स्कूल, कालेज, रेल, बस, दफ़्तर सभी कुछ। हवाई यात्रा भी। कोरोना वायरस जिस तेज़ी से फैल रहा है, उससे बचने का यही एक उपाय बचा है। उन्होंने कहा, यह वायरस जंगली आग की तरह फैलता है, हमें इस आग को बढ़ने से रोकना है। देशवासियों को प्रधानमंत्री के इस आह्वान का पालन करना है। जून ने अपने पुराने सहकर्मियों को शुभकामना संदेश भेजा। इस महामारी ने भौतिक दूरी बढ़ा दी है पर दिलों को जैसे नज़दीक ला दिया है। गुरु जी दिन में दो बार नियमित ऑन लाइन ध्यान करवा रहे हैं। कल से वे केवल प्रातः काल ही टहलने जाएँगे, शाम के वक्त लोगों से बचना कठिन है। कोरोना के मरीज़ को पहचानना बहुत मुश्किल है। यह पता ही नहीं चलने देता है और वह आदमी उसी तरह लोगों से मिलता है और दूसरों को वायरस दे देता है। प्रलय के आने का यह काफ़ी वैज्ञानिक तरीक़ा है। यह प्रलय से कम नहीं है पूरी दुनिया के लिए।
आज लॉक डाउन का पहला दिन था और पहला नवरात्र भी। दिन भर वे घर से नहीं निकले। नवरात्रि का उत्सव सभी अपने-अपने घरों में ही मना रहे हैं। नन्हे से बात हुई उनकी कम्पनी सरकार को सहयोग करते हुए डाक्टर्स को ऑन लाइन सलाह व इलाज के लिए प्रशिक्षित कर रही है।
आज दूसरा दिन है। सुबह जब सड़क पर कोई नहीं था, लगभग अंधेरे में ही वे टहलने गये। उसने लौट कर ध्यान किया, शरीर के भीतर के अंगों पर धारणा की और धीरे-धीरे सब स्पष्ट होने लगा। मांस पेशियाँ, हड्डियाँ, रक्त वाहिनी और भीतरी अंग। कुछ सखियों से बात की। नन्हे और सोनू ने तय किया है कि वे बारी-बारी से भोजन बनाएँगे। उनका कुक नहीं आ रहा है न ही कामवाली दीदी। यहाँ भी मेड नहीं आयी। उसने सफ़ाई की, जून ने नाश्ता बनाया। ऐसे ही तीन हफ़्ते बीत जाएँगे। समाचारों में देखा, मज़दूर अपनी गठरियाँ सिर पर उठाए दिल्ली तथा अन्य बड़े शहरों से पैदल ही घर जाने के लिए निकल पड़े हैं। उनके पास काम नहीं है न ही घर। सरकार ने उनके लिए सहायता की घोषणा की है पर उन तक कैसे पहुँचेगी, जब सब कुछ बंद है। वे लोग जो इतने आराम से घरों में बैठे हैं, उनके कष्ट का अनुमान नहीं कर सकते। लेकिन जब से यह दृश्य देखा है हृदय में कैसी कचोट उठ रही है। फ़ोन पर जिससे भी बात करें कोरोना के सिवा कोई विषय ही नहीं बचा है बात का। आज से डीडी नेशनल व डीडी भारती पर रामायण व महाभारत दिखाए जाने शुरू हुए हैं। पिटूनिया के पौधे जो गोहाटी से लाए थे आज हैंगिंग गमलों में टांग दिये हैं। महीनों पहले ये गमले जून ने मँगवाए थे। रामायण में आज अरुंधती, वशिष्ठ मुनि के आश्रम में राम आदि छात्रों को सामवेद का गायन सिखा रही थीं। जीवन में भावना की कोमलता भी हो और कर्त्तव्य की कठोरता भी, तभी जीवन पूर्ण बनता है। अन्य छात्रों के साथ चारों राजकुमार भी श्रम करते हैं और योगासन करते हैं। वे सरस्वती की वंदना कर रहे हैं; मानव देह में जो आध्यात्मिक शक्तियाँ हैं वे किसी अन्य योनि में नहीं !