Thursday, December 24, 2020

मैन वर्सेज वाइल्ड

 

रात्रि के आठ बजने को हैं, टीवी पर तेनाली रामा आ रहा है, रामा का बेटा बहुत नटखट है. पिछले हफ्ते वे गोहाटी गए थे, कल ही लौटे हैं. सुबह उठकर टीवी चलाया तो पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के निधन का दुःखद समाचार मिला, भीतर तक पीड़ा हुई. इतनी प्रखर वक्ता और संवेदनशील नेत्री के इतनी कम आयु में असामयिक निधन से सारा देश व्याकुल हो रहा है. हजारों लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. पक्ष के हों या विपक्ष के सभी नेता उन्हें नमन करने आये. दुनिया भर के नेताओं तथा विदेश मंत्रियों ने शोक व्यक्त किया है. धारा 370 खत्म होने के बाद कश्मीर में हालात सामान्य हैं. अभी भी धारा 144 लागू है. राष्ट्रीय रक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने कश्मीर में जाकर स्थानीय लोगों से मुलाकात की. हालात धीरे-धीरे और सामान्य होने लगेंगे. पाकिस्तान ने भारत से सारे संबंध तोड़ने का फैसला कर लिया है. व्यापार तथा राजनयिक संबंध दोनों ही. समझौता एक्सप्रेस को वाघा बार्डर पर ही रोक दिया. उच्चायुक्त को वापस भेज दिया . पाकिस्तान अपना क्रोध, दुःख  व शर्मिंदगी को किसी न किसी तरह तो व्यक्त करेगा ही. वह अपनी शिकायत यूएन भी ले जाना चाहता है किंतु उसकी बात को शायद ही कोई सुनेगा. भारत का मानना है कि यह उसका आंतरिक मामला है. सारा देश कश्मीर को खुशहाल देखना चाहता है. 


आज रात्रि आठ बजे प्रधानमंत्री देश को संबोधित करेंगे. आज योग कक्षा में वह साधिका आयी थी, जिसे चोट लग गयी थी. अभी भी पूरी तरह ठीक नहीं हुई है. आज उसने पके कटहल के कोये निकलवाये, जून को इसकी गंध जरा भी पसन्द नहीं है. उसके बीज घर में रखने पर भी नाराजगी दिखा रहे थे, उसने ईश्वर से प्रार्थना की उन्हें प्रसन्नता प्रदान करे. एक सखी के यहाँ गयी जिसके पतिदेव को हल्का हृदयाघात हो गया था. वे लोग कुछ दिनों बाद चेकअप के लिए देहली जायेंगे. अभी कुछ देर पूर्व समाचारों में सुना, श्री प्रणव मुखर्जी को भारत रत्न से सम्मानित किया गया है. मौसम बेहद गर्म है आज, सुबह तेज वर्षा हुई, वे बारिश में खूब भीगे. नैनी ने तस्वीरें खींची, उसे चिंता है कि- उनके जाने के बाद नए साहब उसे काम के लिए रखेंगे या नहीं.  


आज शाम को एक दक्षिण भारतीय सखी के घर वरलक्ष्मी की पूजा में सम्मिलित होने गयी. बहुत सुंदर आयोजन था, प्रसाद भी स्वादिष्ट था, लेमन राइस, इमली राइस, स्वीट राइस और नारियल वाले काले चने. क्लब में टेक्निकल फोरम था, गोहाटी से एक साइकिलिस्ट व उनकी पत्नी आये थे, वे दोनों साईकिल पर लंबी- लंबी यात्रायें कर चुके हैं. उनका भाषण बहुत ही रोचक था, प्रकृति के साथ रहने व व्यायाम करने के बहुत से लाभ भी उन्होंने बताये.  गोहाटी में  केन का कुछ सामान खरीद कर बुक किया था, आज  पहुँच गया. असम की यादों को सदा सजीव रखने के लिए यहाँ के विश्वप्रसिद्ध बांस के फर्नीचर से बढ़कर और क्या हो सकता है. जून ने एक रॉकिंग चेयर ली है अपने लिए, सेवा निवृत्ति के बाद आराम से उसमें झूलते रहने के लिए ! जो फर्नीचर वे अपने साथ ले जाने वाले हैं, उसे पॉलिश भी करवाया है. 


आज प्रधानमंत्री का एक सुंदर कार्यक्रम देखा, ‘मैन वर्सेस वाइल्ड”,  जिसमें उन्होंने उत्तराखण्ड के जिम कार्बेट नेशनल पार्क में कई किमी पैदल यात्रा की. नदी में भी यात्रा की और जानवरों के भय से मुक्त होकर बेयर ग्रिल्स के साथ बातचीत की. अच्छा लगा उनकी बातें सुनकर, कितने सहज लग रहे थे वह, कितने सामान्य और इसीलिए वह इतने विशेष भी हैं वह ! आज दिन में एक सखी ने सावन के उत्सव के लिए बुलाया था, सभी ने सावन के गीत गाए, मेहँदी लगाई और पारंपरिक पकवान खाये. कल रक्षाबंधन के लिए मृणाल ज्योति जाना है, वे इस बार सभी को दोपहर का भोजन खिला रहे हैं, जून भी दफ्तर से वहीं आएंगे. कश्मीर में हालात सामान्य हो रहे हैं. पन्द्रह अगस्त मनाने की तैयारियां भी चल रही हैं, उस दिन दशकों बाद पूरे कश्मीर में झंडा फहराया जायेगा. 


उस पुरानी डायरी में उस दिन के पन्ने पर भी महादेवी वर्मा की एक कविता ही लिखी थी, शायद यह कविताएं उसे आज के लिए ही तैयार कर रही थीं, जब जीवन एक सरस् जलधारा सा बहता प्रतीत होता है समता का सूरज मानस के क्षितिज पर उगता हुआ लगता है तो यह कविताएं जो दशकों पहले उसने बिना समझे ही अपनी डायरी में उतारी थीं, उसके भविष्य को बता रही थीं, जिसकी उस समय दूर-दूर तक कोई झलक भी नहीं मिलती थी. क्योंकि अगले ही पन्ने पर उसने लिखे थे, “अर्थहीन असम्बद्ध शब्दों का एक रेला ही सही, कुछ तो लिखे” ! सम्भवतः मानव का अवचेतन उसके चेतन मन से ज्यादा छुपाये है. 


सखी मैं हूँ अमर सुहाग भरी ! 

प्रिय के अनन्त अनुराग भरी !

किसको त्यागूँ किसको माँगूँ 

है एक मुझे मधुमय, विषमय 


मेरे पद छूते ही होते 

कांटे कलियाँ, प्रस्तर रसमय 

प्रिय के सन्देशों के वाहक 

मैं सुख-दुःख भेटूँगी भुजभर 

मेरी लघु पलकों से छलकी 

इस कण-कण में ममता बिखरी !


Friday, December 11, 2020

श्वेत बदलियाँ

 


रात्रि के सवा आठ बजे हैं। टीवी पर कारगिल दिवस पर दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम का सीधा प्रसारण आ रहा है। प्रधानमंत्री का संबोधन प्रेरणात्मक है। कुछ देर पूर्व नन्हे और सोनू से बात हुई, वे लोग काबिनी गए हैं, जो मैसूर से एक घण्टे की दूरी पर है. वे एक ईको रिजॉर्ट में ठहरे हैं. जहां एक नदी भी है, मिट्टी की दीवारों वाला कमरा है, छत भी छप्पर वाली है, पर एसी लगा है भीतर. आधुनिकता और परंपरा का अध्भुत मिश्रण. सुबह एक योग साधिका मिलने आयी, उसका दांया कंधा पट्टी से बंधा था, सिर पर चोट का निशान था, टेप लगा था. बताया, कल शाम को गैरेज के पीछे बगीचे से भिन्डी लेने गयी थी, गिर गयी. हाथ के बल गिरी थी सो कंधे में फ्रैक्चर हो गया. एक महीना लगेगा ठीक होने में. फिर भी वह काफी उत्साह से भरी थी, आत्मिक शक्ति से ओतप्रोत वह हँस रही थी. अगले वर्ष वह भी रिटायरमेंट के बाद कोलकाता जाने की तैयारी करेगी. पिताजी हाल में ही नहीं रहे. पुत्र दिव्यांग है, पर उसकी मुस्कान मिटती नहीं. जिसने अपने हृदय में परमात्मा की उपस्थिति को एक बार महसूस कर लिया है, वह हर हाल में प्रसन्न रह सकता है. एक अन्य साधिका राधा-कृष्ण की भक्त है, उनके भजन पूर्ण मगन होकर गाती है. सुबह स्कूल गयी तो पहली बार यह ड्राइवर आया था, वैसे वह कई वर्षों से गाड़ी चला रहा है पर उसका हाथ उतना सधा हुआ नहीं है. दोपहर को घर के सामने से एक शवयात्रा को जाते देखा. कल शाम ही कम्पनी के उन अधिकारी का काफी समय से चल रही किडनी की समस्या से देहांत हो गया था. शाम को बगीचे में टहल रही थी तो बच्चों ने कहा, आकाश में कितने सुंदर बादल हैं, तस्वीरें उतारने को भी कहा. बच्चों में सौंदर्य बोध स्वाभाविक होता है, उनकी आँखें शुद्ध होती हैं, तीन वर्ष का बालक भी बादल को दिखा कर कह रहा था, कितना सुंदर है ! भगवद्गीता पर व्याख्या सुनी आज, प्रकृति  और पुरुष के द्वारा इस सृष्टि की रचना होती है. जिन चीजों को हम छोड़ना चाहते हैं, वह छूट जाएँ यही मुक्ति है ! प्रेम से भरे रहना भक्ति है, अशांति से मुक्ति रहना शांति है ! रामानुजम की गीता पर व्याख्या पढ़ी कुछ देर. 

सुबह जल्दी नींद खुली, पर जब भ्रमण के लिए तैयार हुई तो आश्चर्यजनक रूप से बन्द हो गयी, आधा घन्टा रुकी रही, घर लौटने के बाद तेज वर्षा पुनः होने लगी. आज राज्यसभा में भी ‘मुस्लिम महिला विवाह सरंक्षण अधिनियम’ ट्रिपल तलाक बिल पास हो गया. आज वाकई मुस्लिम महिलाओं के लिए ख़ुशी का दिन है, मोदी सरकार ने जो कहा था, वह कर दिखाया है. महिलाओं में ख़ुशी का माहौल है. कितनी बड़ी कुरीति है यह तीन तलाक की प्रथा, दुनिया के बीस इस्लामिक देश इस प्रथा को बन्द कर चुके हैं. कश्मीर के बारे में एक कार्यक्रम देखा, सम्भवतः मोदी सरकार कोई बड़ा निर्णय लेने वाली है स्वतन्त्रता दिवस से पूर्व. 


छोटी बहन का जन्मदिन है आज, उसे मोबाइल पर केक काटते हुए देखा, ढेर सारी अन्य वस्तुएं भी थीं, पर एक विशेष व्यंजन था, करेले के चिप्स !उसके लिए एक कविता भेजी थी उसने सुबह. उसे राखियां भेजनी हैं, दो हफ्ते ही शेष हैं. इस बार यहाँ बच्चों को विशेष भोज देना है रक्षा बन्धन पर, यह अंतिम उत्सव होगा उनके जाने से पूर्व. आज भी सुबह से दोपहर तक लगातार वर्षा होती रही, शाम को सामने भ्रमण पथ पर टहलने गयी, मैदान में पानी भर गया था. तस्वीरें उतारीं, काफी अच्छी आयी हैं. आज सुबह देखा, वर्षा में भीगती हुई एक काली जंगली मुर्गी अपनी चोंच में एक कीड़ा पकड़े जा रही थी, लगा अवश्य अपने बच्चे के लिए ले जा रही होगी. तभी झाड़ियों से काला चूजा निकला, जरूर  उसके मुख में डाला होगा. दूर से देख नहीं पायी, प्रेम की भावना हर जीव में प्रकृति की तरफ से मिली है. वे यदि किसी से प्रेम करते हैं तो इसमें उनकी कोई सफलता नहीं है, बल्कि जब वे किसी से द्वेष करते हैं तो इसमें उनका प्रयास अवश्य सम्मिलित है. परमात्मा उन्हें मिला ही हुआ है, संसार उन्होंने खुद बना लिया है. संसार से परमात्मा ढक गया है. 


भक्त के दिल की हालत को बयान करते हुए शब्द फिर उस पुरानी डायरी में पढ़े  महादेवी वर्मा के लिखे - 


वर देते हो तो कर दो ना 

चिर आंखमिचौनी यह अपनी, 

जीवन में खोज तुम्हारी है 

मिटना ही तुमको छू पाना !


तुम चुपके से आ बस जाओ ‘

सुख-दुःख स्वप्नों में श्वासों में, 

पर मन कह देगा ‘यह वे हैं’

आँखें कह देगीं पहचाना !


क्यों जीवन के शूलों में 

प्रतिक्षण आते जाते हो ! 

ठहरो सुकुमार ! गलाकर 

मोती पथ में फैलाऊँ ! 


हंसने में छू जाते तुम 

रोने में वह सुधि आती,  

मैं क्यों न जगा अणु-अणु को 

हँसना-रोना सिखलाऊँ !


Friday, December 4, 2020

गोल्डन पगोडा

 

अभी-अभी छोटी ननद से बात की. वे लोग गोहाटी पहुंच गए हैं कल सुबह यहाँ पहुंच जायेंगे. अगले नौ दिन काफी व्यस्त होंगे और अलग भी. नैनी ने बरामदे में एक सुंदर रंगोली बना दी है उनके स्वागत में. उसके हाथों में हुनर है और दिल में जोश भी. उसने अपने पति को काम दिलवाने के बारे में कहा है पर वे चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं. उसे कहा, वह जो काम कर रहा है उसे ही ठीक से करे. क्लब में होने वाली कविता प्रतियोगिता के लिए उसने गुलजार की एक कविता ‘किताबें’ चुनी है, अवश्य ही सबको पसन्द आएगी. 

सुबह समय पर मेहमान आ गए, स्वागत के लिए आरती की थाली सजाई थी, फूलों से उनका स्वागत किया. नाश्ते में अनानास खिलाये, जामुन का जूस दिया और दोपहर को बगीचे से तोड़े नारियल का पानी. वे लोग अपने साथ ढेर सारे बनारसी आम लाये हैं. दोपहर बाद उन्हें ब्रह्मपुत्र नदी पर बना बोगी बील पुल दिखाने ले गए, एक सखी और उसकी बेटी भी साथ गए थे. आज शाम को स्थानीय पाइप से बना पुल देखने जाना है. 


रात्रि के आठ बजने वाले हैं. वे नामसाई वापस लौट आये हैं. कल सुबह नाश्ते के बाद रोइंग होते हुए गोल्डन पगोड़ा पहुंचे थे. भगवान बुद्ध की बहुत विशाल मूर्ति के दर्शन किये और रात्रि में निकट स्थित गेस्ट हाउस में रहे. उनके साथ एक परिवार और गया था. सभी महिलाएं एक गाड़ी में और सभी पुरुष दूसरी गाड़ी में. उन्होंने खूब गाने गए, अंताक्षरी खेली और पहेलियाँ पूछीं, कहानियाँ सुनायीं, सुनीं, गढ़ीं. एक साथ भोजन किया और प्रकृति के नजारों का आनंद लिया. ढेर सारे फोटो खींचे. घर लौटे तो पता चला कि किचन का दरवाजा लॉक हो गया है. कुछ देर तक अपनेआप प्रयत्न करने के बाद मदद के लिए फोन किया, आधे घण्टे बाद खुल गया और फिर रात्रि का भोजन बनाया. 


सुबह अलार्म बजा उसके पूर्व भीतर एक गीत सुनाई दिया, जिसकी एक पंक्ति थी, “आ गयी शुभ घड़ी” कोई है भीतर जो जानता है कि उठने का वक्त हो गया. आज धूप निकली है. पिछले दिनों दिन भर वर्षा होती रही. कल शाम मेहमानों को वापस जाना है. सुबह जामुन के बीजों का पाउडर बनाया जो ननद ले जाएगी. उनके लिए अनानास भी मंगाए हैं. कल शाम उस सखी ने जो उनके साथ घूमने गयी थी, डिनर पर बुलाया था, बहुत सारी डिशेज बनायी थीं. उसके पिताजी से मिलने गयी तो बोले, वह उसे पहचानते ही नहीं, उन्हें अल्जाइमर है. आज सुबह एक सखी के पतिदेव को माइल्ड हार्ट अटैक आया, वह उन्हें लेकर डिब्रूगढ़ गयी है. जबकि सुबह अपना बगीचा दिखाने के लिए उन सभी को बुलाया था. अकेले ही सुंदर बगीचा देखा, उसके बाद सब मृणाल ज्योति गए.  दोपहर को महीनों बाद कैरम खेला. नैनी की देवरानी अपनी मेडिकल रिपोर्ट दिखाने आई, उसका हीमोग्लोबिन बेहद कम था, ईएसआर बहुत ज्यादा, उसे खून चढ़ाना होगा. अगले महीने जून को दो दिनों के लिए गोहाटी जाना पड़ सकता है, असम छोड़ने से पूर्व वह भी एक बार वहां जाना चाहती है.  एक दिन वे कामाख्या जायेंगे और दूसरे दिन कुछ परिचितों के घर मिलने.  


आज सुबह उठे तो वर्षा हो रही थी, छाता लेकर टहलने गए, वापस आकर योग साधना. जून होर्लिक्स पीकर दफ्तर चले गए फिर सवा आठ बजे लौटकर नाश्ता किया.  पिछले एक हफ्ते से यही कार्यक्रम था उनका. घर के सामने वाले हैलीपैड पर आज एक हैलीकॉप्टर उतरा और कुछ देर बाद उड़ गया. गेट पर से ही एक वीडियो बनाया. ननद बाजार गयी है, कुछ सामान खरीदने जो उसे यहां से साथ ले जाना है. पिछले आठ दिन कैसे पंख लगाकर उड़ गए, पता ही नहीं चला. आज उसका मन जैसे पिघल गया है, बात-बात पर बहने को तैयार बैठा है. 


बरसों पुरानी डायरी में लिखी महादेवी वर्मा की ये पंक्तियाँ भी कुछ इसी भाव को दर्शाती हैं - 


प्रथम जब भर आतीं चुपचाप

मोतियों से आँखें नादान 

आंकती तब आंसू का मोल 

तभी तो आ जाता यह ध्यान !


घुमड़ घिर क्यों रोते नव मेघ 

रात बरसा जाती क्यों ओस

पिघल क्यों हिम का उर  अवदात 

भरा  करता सरिता के कोष !

........

जिसका रोदन जिसकी किलकन

मुखरित कर देते सूनापन 

इन मिलन-विरह शिशुओं के बिन 

विस्तृत जग का आंगन सूना 


तेरी सुधि बिन क्षण-क्षण सूना ! 



Wednesday, December 2, 2020

महादेवी वर्मा की कविताएं

 

रात्रि के आठ बजकर बीस मिनट हुए हैं. जून से अभी-अभी बात हुई, कूर्ग में उनका कार्यक्रम अभी चल रहा है. उन्होंने वहां की एक तस्वीर भेजी है, बहुत सुंदर स्थान है. नन्हे ने बताया, नए घर में फ्रिज ठीक से काम नहीं कर रहा था, बदल कर नया आ गया है. मौसम आज दिनभर वर्षा का ही रहा, दोपहर को मूसलाधार वर्षा हुई, बगीचे में पानी भर गया था. बच्चों के साथ कागज की नाव चलाई. किचन गार्डन की सारी क्यारियां लगभग डूब ही गयी थी. दो छोटी लड़कियाँ पीछे की सर्वेंट लाइन में नयी आयी हैं, कहने लगीं उन्हें भी योग सीखना है । शाम को भजन संध्या थी, एक साधिका खुद की बनाई लौकी की बर्फी लायी थी. दोपहर को एक सखी का फोन आया, उसकी हफ्ते में दो दिन रात्रि की ड्यूटी लगती है, दिल के मरीज आते हैं, रात भर काफी व्यस्त रहना होता है. उसे भारत आना भी है पर विदेश की सुविधाएं भी नहीं छोड़नी, अब दोनों बातें एक साथ कैसे हो सकती हैं ! भारत में उनकी जायदाद है पर एक बार जो विदेश चला जाता है, घर वापसी कठिन होती जाती है. 

आज सुबह ‘पिता’  एक कविता लिखी, बचपन की जो स्मृतियाँ मन पर अंकित थीं, उन्हीं को शब्दों में उतार दिया, दीदी ने लिखा, बचपन याद आ गया. दोपहर को ‘माँ’ एक छोटा सा लेख लिखा, अपने-आप ही शब्द जैसे कम्प्यूटर की स्क्रीन पर उतरते जा रहे थे. भीतर एक शांति का अहसास हुआ, जैसे कोई भार हल्का हुआ हो. पापा जी ने कहा, जीवन बहुत बड़ा होता है, उसे कुछ शब्दों में कहना आसान नहीं है, वह उसके लेख के बारे में कह रहे थे, उन्हें भी कई बातें याद हो आयी होंगी. शाम को गुरूजी को सुना वह जर्मनी में थे सम्भवतः। बताया, अरस या अलस एक ही बात है, आलस्य जिसके जीवन में है, उसके जीवन में रस नहीं है. जब भी उन्हें दुख होता है, वे अपने पद से नीचे आ जाते हैं. कर्म जो उन्होंने बांधे थे राग-द्वेष के कारण, उन्हीं के कारण सुख-दुःख आते हैं. सुबह टहलने जाने से पूर्व बगीचे में जामुन बीने, इतने सारे थे कि सब उठाने में घँटों लग जाएँ, इस साल पेड़ों ने दिल खोल के सौगात दी है. परिचित परिवारों में सभी को बांट दिए हैं, धोबी, दूधवाले सभी को. बच्चे तो दिन भर पेड़ के नीचे से हटते ही नहीं हैं. कल सुबह माली ने अपने मित्र को पेड़ पर चढ़ा दिया और डालियों को हिलाकर वे जामुन नीचे गिराने लगे, कच्चे, पक्के, डालियाँ सभी कुछ,  उसने जाकर मना किया तब वह नीचे उतरा. उन्हें बस तीन महीने और यहाँ रहना है, फिर यह बाग़-बगीचे एक स्वप्न की तरह हो जायेंगे उनके लिए. जून ने वही से फ़ोन करके माली को  काम करने को कहा, उन्हें फ़िक्र है कि मेहमानों के आने से पूर्व बगीचा पूरी तरह से दर्शनीय हो. 


‘गुरु चरणन में दीन दुहाई’ आज सुबह नींद खुलने से पूर्व भीतर यह पंक्ति आयी, जाने कहाँ से आयी यह पंक्ति ! स्वयं को मधुर स्वर में गाते हुए सुना इस पंक्ति को. एक पुस्तक में किसी साधक के अनुभव पढ़े, जिसे भीतर से प्रेरणा हो रही थी कि जो कुछ भी मन में है, उसे बाहर ले आये. जो भी कामना, इच्छा अधूरी है उसे बाहर लाकर स्पष्ट देख ले, यह जन्म अंतिम जन्म है, ऐसा सोचकर कुछ भी ऐसा न रहे जिसके लिए उसे पुनः जन्म-मरण के फेर में आना पड़े. जब साधक खुद के भीतर ही उस शांति व समता को अनुभव कर लेता है, जो किसी भी स्थिति में खंडित नहीं होती तो सत्य को आँख में आँख डालकर देखने में कैसा भय ? उसने अपने भीतर देखा, स्वास्थ्य ठीक रहे यह प्रथम इच्छा है. संसार के किसी काम आ सके, कुछ कर सके समाज के लिए, यह दूसरी इच्छा है. परमात्मा के साथ एक होकर रहे, वाणी में स्थिरता हो, कभी किसी को दुःख न पहुँचे उसके व्यवहार से या वाणी से, ये तीसरी और चौथी इच्छाएं हैं. इतनी सारी इच्छाएं हैं भीतर, इसलिए कभी-कभी मन में हलचल होती है क्षण भर के लिए, पर सदा के लिए मुक्त होने का आनंद लेना हो तो इन सारी कामनाओं को परमात्मा के चरणों में समर्पित कर देना ही उचित है, और मन को सदा खाली रखना होगा.  


कालेज के उन दिनों में महादेवी वर्मा की कितनी ही कविताएं डायरी में उतारा करती थी. 


कैसे कहती हो सपना है 

अलि ! उस मूक मिलन की बात 

भरे हुए अब तक फूलों में 

मेरे आंसू उनके हास ! 


किस भांति कहूँ कैसे थे 

वे जग से परिचय के दिन 

मिश्री सा घुल जाता था 

मन छूते ही आंसू कण 


अपनेपन की छाया तब 

देखी न मुकुट मानस ने 

उसमें प्रतिबिम्बित सबके 

सुख-दुःख लगते थे अपने 


किसने अनजाने आकर 

वह चुरा लिया भोलापन 

उस विस्मृति के सपने से 

चौंकाया छूकर जीवन !