नौ बजे हैं सुबह के, जून को आज पहली बार चेहरे पर
एक हल्का सा लाल रैश दिखा, जिसका इलाज उन्होंने इस बार की बैंगलोर यात्रा में
करवाना आरम्भ किया है, डाक्टर ने कहा, ये सूखे मेवों अथवा किसी दवा के कारण भी हो
सकते हैं. कई वर्षों से कभी-कभी त्वचा पर रैशेस होते रहे हैं उन्हें जो अपने आप ही कुछ देर में समाप्त हो जाते हैं.
पिछले कई वर्षों से वह रक्तचाप की दवा ले रहे हैं. कल एक योग साधिका ने बताया उसके
हाथ की उँगलियों के जोड़ों की त्वचा फट जाती है, एक अन्य को महीनों से जुकाम की
शिकायत है, स्वस्थ रहना कितना कठिन हो जाता है उम्र बढ़ने के साथ-साथ. आज मौसम
बादलों भरा है, हवा बंद होने से उमस भी है. कल दोपहर को कई दिनों बाद एक कविता
लिखी. शाम को भजन गाये. उनका सुख भीतर है, किसी बाहरी वस्तु, व्यक्ति या परिस्थिति
का गुलाम नहीं है, इस बात को स्वयं को बार-बार याद दिलाने की जरूरत है.
आज वे तिनसुकिया गये थे, फल व सब्जियां खरीदीं. जून का
गोहाटी से लाया असमिया सूती सूट सिलने दिया और वहीं से डिब्रूगढ़ में अस्पताल चले
गये. एक योग साधिका का किशोर बेटा चार दिनों से वहाँ इलाज करा रहा है. उसके बारे
में सुना था पर पहली बार देखा. पीछे से देखा तो अच्छा-ख़ासा बड़ा लग रहा था, कद भी
लंबा है, पर उसे बचपन से ही एपिलेप्सी के दौरे पड़ते आये हैं. मानसिक रूप से थोड़ा
कमजोर है. उसका मुख खुला था और पाइप लगा था, नाक में भी पाइप लगा था. शायद तकलीफ
में होगा पर निकट जाते ही उसने हाथ पकड़ लिया और एकटक देखने लगा. चेतना जागृत थी
भीतर. माता-पिता ने बताया ढाई वर्ष का था जब उन्हें पहली बार पता चला कि उनका
पुत्र अन्य बच्चों से अलग है, तभी से भारत के कितने ही शहरों में उसे दिखा चुके
हैं, आयुर्वैदिक इलाज भी करवाया पर विशेष लाभ नहीं हुआ. उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता
बेहद घट गयी है सो जल्दी ही सर्दी-जुकाम पकड़ लेता है और जल्दी ठीक नहीं होता.
पिछले वर्ष भी निमोनिया हो गया था. उन्होंने हालात से समझौता कर लिया है, और पूर्ण
धैर्य के साथ उसके स्वस्थ होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं. अस्पताल में ही रह रहे
हैं, जहाँ खाना बाहर से मंगाना पड़ता है. ईश्वर ही उन्हें शक्ति दे रहा है. वापस
आकर उसने भी भोजन बनाया, केरल की एक डिश पुदुअप्प्म या ऐसा ही कुछ नाम था, उसके
साथ नारियल के दूध का हरी सब्जियों के साथ बना स्ट्यू. जून को नये-नये पकवान बनाने
का शौक है. उसी समय एक परिचिता मिलने आई. वह इसी महीने के अंत में कम्पनी में
नौकरी के लिए इंटरव्यू दे रही है. सम्भवतः जून भी जाएँ इंटरव्यू लेने, तब तो उनके
लिए कठिनाई हो जाएगी.
टीवी पर तेनाली राम आ रहा है. उनका दिन शुरू होता है 'संस्कार'
से और समाप्त होता है 'सोनी' पर. आज जून ने भूटान जाने की टिकट बुक कर दी है. अगले
महीने के अंतिम सप्ताह में वे कोलकाता होकर भूटान जाने वाले हैं. उसका जन्मदिन भी
वहीं मनेगा इस बार. कल से 'आर्ट ऑफ़ लिविंग' का बेसिक कोर्स आरम्भ हो रहा है. शाम
को योग कक्षा में एक साधिका ने कहा, एक घंटे के कार्यक्रम में उसे सबसे अच्छा उसे अंत
का ज्ञान स्तर लगता है. ज्ञान मुक्त करता है. उनकी गलत धारणाएं जो बंधन में डालती
हैं, उन्हें तोडना है. आजकल माली ठीक से काम नहीं कर रहा है, शाम को मालिन को
समझाया, अवश्य ही इसका कुछ तो असर होगा. स्कूल में चार बच्चों को स्टेज पर बुलवाकर
आसन करवाए, वे आत्मनिर्भर बन सकें यही उसका प्रयास है.
आज इस मौसम में पहली बार तैरने का अभ्यास किया, आरम्भ में पानी ठंडा लगा पर बाद में शरीर अभ्यस्त हो गया. जाने से पूर्व मन में संशय था, कि महीनों से अभ्यास छूट गया है, पता नहीं कर पाएगी या नहीं ? जून ने स्वयं कहा कि उसे ड्राइविंग भी सीखनी चाहिए. उस दिन वह परिचिता जब घर आयी थी इंटरव्यू की बात करने, तब उस से यह भी कहा कि उन्होंने ही उसे जॉब करने नहीं दिया, अच्छा जॉब मिला भी नहीं. समय के साथ इंसान की सोच बदलती है. आज माली आया था सुबह, बगीचे में कई काम हुए. उसे रोज सुबह एक घंटा आने के लिए कहा है, पर वह अक्सर सुबह देर तक सोता है, कोई न कोई बहाना बनाता है अथवा तो पीकर सोने के कारण उठने की हालत में ही नहीं होता. आज दोपहर को भी योग करवाया, शाम की कक्षा में एक साधिका ने कहा, उसे आये दिन साधु-संतों के बारे में नकारात्मक बातें सुनकर गुरूजी के प्रति भी श्रद्धा नहीं जन्मी थी. पहले-पहल, ऐसा होना स्वाभाविक है, पर पता नहीं क्यों ऐसा सुनकर मन प्रतिवाद करने लगा. बाद में स्वयं ही स्वयं को समझाया कि आवाज ऊँची करने से ही कोई बात को सही समझ लेगा यह जरूरी तो नहीं. आत्मा के प्रकाश में स्वयं की भूल तुरंत दिख जाती है, कितनी बड़ी कृपा है यह परमात्मा की ! नैनी ने गुरूजी की तस्वीर के लिए माला बनाकर दी थी, एक साधिका आर्ट ऑफ़ लिविंग सेंटर में होने वाले बेसिक कोर्स में जाते समय ले गयी थी. कल पहला दिन था, आज सुदर्शन क्रिया होगी, वे लोग फ़ॉलोअप के लिए कल जा सकते हैं.