Thursday, July 6, 2017

सूर्य नमस्कार



आज सुबह उस सखी का फोन आया जो बोलना शुरू करती है तो रुकने का नाम ही नहीं लेती. परसों भी आया था, खुश थी, अपने पिता के आगमन के बारे में बताया था. वह यहाँ आ रहे थे पर कल रात्रि ट्रेन में ही उनकी तबियत बिगड़ गयी और रास्ते में एक स्टेशन पर उन्हें उतारना पड़ा, अस्पताल में उन्होंने देह त्याग दी. उसका भाई जो खुद एक डाक्टर है, वही उन्हें ला रहा था. बताते हुए वह बहुत रो रही थी. कुछ दिनों में दुःख हल्का हो जायेगा और उसका मन इस कमी को सहने की क्षमता प्राप्त कर लेगा. उससे मिलकर आई तो स्वयं का मन भी भर आया था, कुछ शब्द एक कविता के रूप में कम्प्यूटर की स्क्रीन पर उतर आये.

सुबह अलार्म बजा, दो मिनट बाद ही एक दृश्य दिखा, गेट पर कार खड़ी है. फौरन उठ गयी याद आया शोकग्रस्त परिवार से मिलने जाना है. परमात्मा की कृपा का अनुभव किस-किस तरह होता है, वे समझ नहीं पाते. उस सखी की दोनों भाभियाँ आ गयी हैं, एक नेपाली है दूसरी राजस्थानी, जबकि वह बंगाली है. शाम को जब दुबारा गयी, उसके पिता को ले जाया जा रहा था. वापस आकर कुछ देर साहित्य अमृत पढ़ा, अब गहराई से पढ़ने की आदत तो है नहीं. कुछ कविताएँ अवश्य दिल को छू गयीं. मनसा, वाचा, कर्मणा एक हो जाये कोई तो जीवन खिल उठता है. वे मन से जो विचार करते हैं, वे वाणी में उतरते-उतरते कुछ तो परिवर्तित हो ही जाते हैं और कर्म में परिणत होंगे या नहीं यह भी नहीं जानते हैं. उसका अंतर सृजन की एक असीम सम्भावना है, भीतर गहरे में कोई है जो प्रकटना चाहता है. शब्दों की कमी है, पढ़ना चाहिए तभी नये-नये शब्द मिलेंगे.

आज बहुत दिनों बाद कलम उठायी है. यात्रा से आये चार दिन हो गये हैं. घर व्यवस्थित हो गया है. कल बहुत दिनी बाद स्कूल जाना है, सूर्य नमस्कार सिखाना है. बनारस में एक आयुर्वैदिक पंचकर्म केंद्र में गये. सीखा कि बालों और तन पर नियमित तेल लगाना आयुर्वेद के अनुसार बहुत लाभदायक है. टीवी पर राजनीतिक समाचार आ रहे हैं. सभी नेता एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं. सभी जीतना चाहते हैं. देश की चिंता किसी को है ऐसा उनकी बातों से नहीं लगता. आजकल मौसम अच्छा है, शाम को बगीचे में ठंडी घास पर नंगे पांव चलता बहुत भाता है. मनुष्य को खुश रहने के लिए कितना कम चाहिए. कितनी मुक्ति है उसके पास, वह व्यर्थ ही बंधन खोजता है फिर स्वयं ही दुखी होता है. आज पिताजी से बात की, उन्हें नन्हे के विवाह की फ़िक्र है, उसकी बात की तो उन्होंने पूछा.

शाम को अचानक वर्षा होने लगी, मूसलाधार वर्षा ! अभी भी हो रही है. टीवी पर आनंदी चुनाव के लिए प्रचार कर रही है. पूरे देश में चुनावी माहौल है. सुबह समय पर उठी पर साधना ठीक से नहीं हुई, कल रात साढ़े बारह बजे के लगभग नींद खुल गयी, एक पुराना संस्कार जग उठा था. कितने दृढ़ होते हैं संस्कार, पत्थर पर लकीर जैसे, साक्षी भाव से उन्हें देखने पर भी कभी न कभी वे सर उठा ही लेते हैं. मन की सफाई तो ध्यान से ही होती है.



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