Wednesday, August 6, 2014

लालकिले की शान


आज नन्हा स्कूल नहीं गया, कल शाम से उसे ज्वर है, जून अभी कुछ देर पूर्व ही दवा देकर गये हैं. उन्हें एलोपैथी से ज्यादा होमियोपैथी पर भरोसा है. नन्हे ने गर्म पानी से नहा भी लिया है. बचपन में जब उसे ज्वर होता था उसे कहीं जाने नहीं देता था पर अब वह बड़ा हो रहा है, समझ रहा है यह ज्वर तो चला ही जायेगा. कल स्कूल में होने वाली क्विज प्रतियोगिता में भाग ले पायेगा या नहीं इसकी उसे जरूर चिंता है. कल रात से ही वर्षा लगातार हो रही है, असम में कई स्थानों पर बाढ़ पहले से ही आई हुई है. कुछ दिन पहले ही हिमाचल प्रदेश में भी अचानक  बाढ़ आ गयी. कल काश्मीर के श्रीनगर में दो बम विस्फोट हुए, मरने वालों में हिंदुस्तान टाइम्स के फोटोग्राफर प्रदीप भाटिया भी थे. हिजबुल ने विस्फोट का जिम्मा लिया है. कश्मीर को भारत से अलग कर देने की पाकिस्तान की कोशिशें भद्दा रूप लेती जा रही हैं, हजारों की हत्या हो चुकी हा, कितने घायल पड़े हैं, कितने परिवार अनाथ हुए हैं और कितना धन सेना पर खर्च हो रहा है, आखिर इस सब का अंत क्या होगा और कब होगा. आज सुबह जागरण में सुना, साधक की पहली जरूरत है अभिमान मुक्त होना. अभिमानी व्यक्ति छिद्रान्वेषी होता है, वह स्वयं को जानकार व दूसरों को अपने से कम समझता है. ईश्वर की खोज में जाना है तो पहले अहम् का त्याग करना होगा, पूर्ण समर्पण करना होगा.

आज भी नन्हा घर पर है, सुबह के साढ़े आठ हुए हैं, अगस्त की एक भीगी सुबह, चिड़ियों की मिली-जुली आवाजें आ रही हैं, सुबह से वह ज्यादातर नन्हे के साथ व्यस्त रही, उसका ज्वर काफी कम हो गया है. कल दोपहर बढ़ गया था. जून और उसकी देखभाल, दवा और परहेज, गरारे आदि सभी का असर हो रहा है. उसने जून के सामने निश्चय किया है कि वे अपनी बातचीत में किसी पर भी कभी व्यक्तिगत आक्षेप नहीं करेंगे, उन्हें कोई हक नहीं है और ऐसा करके वे अपनी ही नजरों में गिर जाते है और उन्हें पता तक नहीं चलता, न ही कभी समूह में इसमें साथ देंगे. चन्दन तस्कर वीरप्पन ने राजकुमार की रिहाई के लिए नई मांगें रख दी हैं.

शाम के सात बजे हैं. अभी कुछ देर पूर्व ही वे सांध्य भ्रमण करके आये हैं, शाम को कुछ देर तेज वर्षा हुई, सडकों पर पानी भरा था पर हवा में शीतलता और ताजगी थी. तन-मन दोनों तरोताजा हो गये. नन्हे का बुखार अभी तक नहीं उतरा है पर वह दोपहर को कुछ देर सोने के अलावा बिस्तर पर रहना ही नहीं चाहता.

Today is jun’s birthday. He was looking so fresh and good today in the morning. Nanha is doing his home work, is feeling well. He has a made a card also for papa. It is half past ten and she has to go to kitchen, could not write earlier because she was writing a poem for jun in that birthday card which she made on computer. Today in the morning father called to wish jun. today she has made jun’s favorite dishes.

कल उन्होंने ‘स्वतन्त्रता दिवस’ मनाया. कल के आयोजन की तयारी वे पहले ही कर चुके थे. सभी कुछ यथासोच हो गया. मौसम ने भी साथ दिया. सुबह ही भैया-भाभी को फोन किया फिर दीदी का फोन आया, सभी के समाचार मिले. परसों शाम राष्ट्रपति जी का व कल सुबह प्रधानमन्त्री जी का भषण लालकिले से सुना. मन आश्वस्त हुआ, देश की बागडोर अनुभवी हाथों में है, वे असुरक्षित नहीं हैं. पन्द्रह अगस्त को जिस मन से वर्षों पूर्व मनाते रहे थे वही जज्बा आज भी कायम है. नन्हे व जून ने मिलकर झंडा व भारत का नक्शा कम्प्यूटर पर बनाया, प्रिंट लिया और वे उनके बैठक की शोभा बढ़ा रहे हैं. सुबह घर से फोन आया, जो सखी परिचय पत्र लेकर मिलने गयी थीं, उनके लिए माँ-पिता का संदेश व कुछ सामान ला रही हैं.  

 





2 comments:

  1. मेरी एक बुआ होमियोपैथी की शौकिया प्रैक्टिस करती थीं... ग़रीबों के मुफ़्त ईलाज के लिये... मेरे घर के लोगों पर उनकी दवा का चमत्कारी प्रभाव पड़ता था, लेकिन मुझपर बे-असर!! नतीजा मैंने कभी होमियोपैथी एलाज नहीं करवाया. बच्चे बीमार हों तो सबसे ज़्यादा इस बात का अफसोस होता है कि वे स्कूल की किसी स्पर्धा में भाग नहीं ले पाएँगे. बच्चों की ओर से ख़ुद को बुरा लगता है!!

    अहंकार और अहंकार का त्याग करना दोनों ही कई बार अहंकार को जन्म देती हैं. जो सन्यासी हैं वे इस अहंकार में डूबे होते हैं कई बार कि उनका त्याग महान है. त्याग के क्षेत्र में भी "भला उसकी कमीज़ मेरी कमीज़ से सफ़ेद कैसे" कहाँ तक उचित है!

    जून का जन्मदिन और जन्मदिन पर घरेलू उपहार बहुत प्यारे लगे.. कभी उसकी कविताओं से भी परिचय हो तो अच्छा लगेगा.

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  2. सही कहा है आपने अहंकार को त्यागना भी एक तरह का अहंकार ही है..उसे यह समझ समय ही देगा. उसकी कविताएँ भी यदि अपने से आ गयीं तो ठीक है..जैसे पहले कई बार आई हैं इन पन्नों पर

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