Saturday, April 4, 2020

डॉ राधाकृष्णन का जन्मदिन


परसों दोपहर अचानक एओल के एक स्वामी जी का फोन आया. नेट पर सेवा देने को कह रहे थे. उसे बहुत ख़ुशी हुई. वर्षों पूर्व जब वह असम आये थे उनसे मिले थे. उन्होंने एक फार्म भेजा जिसका कंटेंट एक दूसरे फार्म में भरना था, उसने भर दिया. उन्होंने कहा, अगले दिन यानि कल सुबह वह पुनः अन्य फार्म भी भेजेंगे. पर अभी तक कोई संदेश नहीं आया है, खैर.. परसों और कल सुबह तक मन कितना  प्रसन्न था, गुरूजी के काम में कुछ मदद करने का मौका मिल रहा है , यह विचार मन को उच्च भावों में ले जा रहा था. कल दोपहर एक अन्य बात हुई, लगभग चालीस-पचास मिनट के लिए मन बिलकुल खो गया, गहन सुषुप्ति या समाधि... शाम तक उसका असर रहा. बेवजह ही मन एक गहन प्रसन्नता का अनुभव कर पा रहा था. कल शाम को भजन का कार्यक्रम भी अच्छा रहा. जून ने लड्डू बनाये, उसने उनकी सहायता की, रात्रि भौजन बनाया, सब करते हुए भी कुछ करने का अहसास नहीं हो रहा था, पर रात को नींद वैसी नहीं थी. एक दुःस्वप्न भी देखा. अपने पूर्व संस्कार को पुनः जागृत होते हुए देखा, लगता था मन अब उससे पूर्ण मुक्त हो गया है. प्रेम जब एकाधिकार चाहता है तब विकृत हो जाता है, और इसके मूल में है अहंकार यानि देह को अपना स्वरूप मानना। आत्मा कुछ भी नहीं है तो वह किसी पर क्या अधिकार करेगी, फिर उसके सिवा कुछ अन्य है भी तो नहीं, जब तक मूल ग्रन्थि नहीं कटेगी कोई न कोई विकार जगता ही रहेगा. स्वप्न में भी उस पीड़ा महसूस किया. आज की रात्रि ध्यान में गुजरेगी ऐसा प्रयत्न रहेगा, आगे आने वाली चार रात्रियाँ भी. 

सितम्बर का प्रथम दिन ! यानि आषाढ़ का प्रथम दिन ! सुबह से मूसलाधार वर्षा हो रही है. सफाई कर्मचारी ने फोन किया, बारिश रुकने पर ही आएगा. व्हाट्सअप भी नहीं चल  रहा है और फोन भी आधा चार्ज है, बिजली छह बजे से ही नदारद है, बिजली न होने से घर में अभी भी रात्रि जैसा ही प्रतीत हो रहा था सो वह बाहर बरामदे में आ गयी है. सामने लॉन में पेड़-पौधे, हरी घास सभी भीग कर प्रसन्न हो रहे हैं. कल रात्रि कुछ देर समाचार देखे, जून बाहर गए हैं, उनके रहने पर तो टीवी नौ बजे बन्द हो जाता है. कश्मीर में आतंकवादी पुलिसवालों के परिवार जनों को अगवा करने पर उतर आये हैं. माओवादी प्रधानमंत्री को हटाने की योजनाएं बना रहे हैं. देश में रहकर देश के विरुद्ध कार्य करने वाले जयचंदों की कमी नहीं है. सरकार सभी वर्गों के लिए कितना कार्य कर रही है यह उन्हें नजर नहीं आता. प्रधानमंत्री के लिए कितना कठिन होता होगा हर दिन, उनके लिए तो सभी देशवासियों को शुभकामनायें भेजनी चाहिये. सुबह पौने पांच बजे नींद खुली, उस समय वर्षा रुकी थी, सो टहलने गयी, बाहर ही बैठकर प्राणायाम किया, घर आते ही बिजली चली गयी थी. नाश्ते में मूसली खायी, जून के न रहने पर रोज सुबह यही नाश्ता होता है या कॉर्न फ्लेक्स. अब वर्षा कुछ कम हुई है, नैनी झाड़-पोंछ कर रही है, साप्ताहिक सफाई के लिए स्वीपर भी आ गया है. कुछ देर पहले प्रेसीडेंट का फोन आया, वह कल शाम मेडिकल चेकअप कराकर लौट आयी हैं. दो बार बायोप्सी हुई, काफी तकलीफदेह रहा उनका अनुभव. अभी भी पूरी तरह से सामान्य नहीं हैं. रिपोर्ट दो दिन बाद आएगी. उम्मीद है सब ठीक होगा. नौ बजे उनके घर जाना है, उसके पूर्व बुखार से पीड़ित योग साधिका के यहां जाया जा सकता है. 

पिछले दो दिन कुछ नहीं लिखा, आज कुछ लिखने की इच्छा जगी है क्योंकि कल शिक्षक दिवस है. मृणाल ज्योति जाना है, जहाँ कुछ बोलने के लिए भी कहा जायेगा.,  शिक्षक दिवस डॉ राधाकृष्णन,  जो शिक्षाविद तथा दार्शनिक थे, की याद में 1962 से मनाया जाता है. उनका जन्म पांच सितम्बर अठारह सौ अठ्ठासी को हुआ था. वह दो बार भारत के  उप राष्ट्रपति रहे, फिर राष्ट्रपति बने. वह पूरी दुनिया को विद्यालय मानते थे, कहते थे कहीं से भी सीखने को मिले तो उसे अपने जीवन में उतार लेना चाहिए. एक बार उनके कुछ विद्यार्थी उनका जन्मदिन मनाने के लिए अनुमति लेने गए तो उन्होंने कहा इसे केवल मेरे लिए नहीं सभी शिक्षकों के सम्मान में मनाओ. गूगल से मिली इतनी जानकारी तो बहुत है, शेष दिल में जो विचार उस समय आएंगे, बोल दिए जायेंगे. उसने मन ही मन सोचा, शिक्षक विद्यार्थी का मित्र भी होता है और मार्गदर्शक भी. वह उसे केवल किताबी ज्ञान ही नहीं देता, अपने जीवन से भी बहुत कुछ सिखाता है. वह कभी कठोर भी हो सकता है पर उसका उद्देश्य केवल छात्रों की उन्नति करना और उन्हें बेहतर इंसान बनाना ही होता है. शिक्षक समाज का निर्माण करता है. दस बज गए हैं, अब सोने की तैयारी करनी चाहिए.आज नैनी की छोटी बेटी का जन्मदिन था, उसे एक गमछा दिया व एक बिस्किट का पैकेट. शाम को योग कक्षा में एक साधिका जन्माष्टमी का प्रसाद लायी, धनिये की पंजीरी जिसमें गोंद भी थी, उसने पहली बार खायी. दोपहर को सबने मिलकर गिफ्ट्स पैक किये. आज राधा-कृष्ण के असीम प्रेम व विरह वाला कृष्ण का अंक देखा, कितना गहरा था उनका प्रेम ! प्रेम ही इस जगत का आधार है, यदि प्रेम न हो तो इस जगत में क्या आकर्षण रह जायेगा, प्रेम ही तो ईश्वर है ! कल जून आ रहे हैं, कल इस समय तक तो वे सो चुके होंगे. 

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