Tuesday, April 14, 2020

फिटबिट का लक्ष्य


आज भारत बंद  के कारण जून दफ्तर नहीं जा पाए और वह स्कूल. दफ्तर का मुख्य द्वार बंद है. स्कूल भी बंद  है. पिछले एक घण्टे से वर्षा हो रही है, माली ने बगीचे में कार्य आरंभ किया ही था कि तेज बूंदें पड़ने लगीं. सुबह चार बजे से कुछ पहले नींद खुली, उसके पहले स्वप्न जैसा कुछ चल रहा था, फिर तारे दिखे और मन में विचार आया, वहीं पहुँच गए जहाँ से चले थे. साधना के आरंभ में ऐसा दृश्य दिखता था तो मन कैसा प्रसन्न होता था पर अब सदा एकरस रहता है. कल दीदी से बात हुई, एक दिन उन्हें सप्तर्षि दिखा बिल्कुल स्पष्ट ! सुदर्शन क्रिया के बाद उन्हें बांसुरी की धुन सुनाई दी थी. उन्होंने कहा कि सम्भवतः उनका यह अंतिम जन्म हो अथवा एकाध जन्म और लेना पड़े. वह देवदूत की बात भी कर रही थीं कि उन्हें सदा कोई अदृश्य सहायता मिलती है, और सम्भवतः वह भी भविष्य में ऐसा ही करें. कल छोटे भाई से भी बात हुई, वह किसी पुस्तक के बारे  में बात कर रहा था. ‘सीक्रेट ऑफ़ द सीक्रेट्स’ उसे घर पर मिल नहीं रही है, शायद किसी ने पढ़ने के लिए ली थी. बहुत दिन पहले वह उसकी एक किताब लायी थी जो इस बार वापस ले जाएगी. अभी-अभी फोन पर जून ने अपने एक सहकर्मी  को कार की दुर्घटना की बात बतायी, एक अन्य मित्र को वह गाड़ी के गैराज में रहने की बात बता रहे थे. उसने उन्हें मना किया, कारण स्वयं के अपमान का नहीं है, बल्कि लोगों को व्यर्थ ही परेशान न करने की भावना है. उसके भीतर की समरसता को अब बाहर की स्थिति, व्यक्ति या वस्तु अब प्रभावित नहीं करते पर औरों के मन की बात वह जान सकती है. उन्हें अच्छा तो नहीं ही लगेगा. डायरी के इस पेज के नीचे लिखी सूक्ति भी इसी बात की गवाही देती है. जो कहती है ‘अपनी चोटों को रेत पर लिखो और अपने लाभों को पत्थर पर’ जून कुछ देर पहले कह रहे थे कि पुलिस यदि साथ दे तो भारत बंद सफल नहीं हो सकता, वही हुआ, उनके एक सहकर्मी का फोन आया  है, उसने कहा, पुलिस आयी है, गेट खुल गया है, वह उन्हें ले जाने आ रहे हैं. 

आज का दिन उसे सदा स्मरण रहेगा. आज पहली बार उनके घर में ध्यान कक्ष में सुदर्शन क्रिया हुई, गुरुजी की आवाज में रिकार्डेड कैसेट जब बज रहा था एक अनोखी प्रसन्नता का अनुभव हो रहा था. शाम को एओएल एक एक टीचर ठीक साढ़े चार बजे पहुँच गए थे, साढ़े छह बजे फॉलोअप समाप्त हो गया. आज छोटे भाई ने एक समाचार भेजा, एक बयासी वर्षीय महिला टीवी पर साक्षात्कार देते हुए मृत्यु को प्राप्त हो गयी, कितनी सहज थी उनकी मृत्यु. परसों गणेश पूजा है, सुबह उड़िया समाज की पूजा में निमन्त्रण है, दोपहर को उनके यहां महिलाएं व बच्चे आएंगे. शाम को हो सका तो सेंटर जाना है, वहां सत्संग है. दोपहर को नैनी ने बताया घर में झगड़ा हुआ है, देवरानी से बोलचाल बंद है. 

आज भी दिन भर झड़ी लगी रही. रात्रि भोजन बाद भ्रमण के लिए बाहर निकले , पांच मिनट  के लिए वर्षा रुकी थी, फिर आरंभ हो गयी. पन्द्रह हजार कदम का फिटबिट का लक्ष्य अधूरा ही रह गया. अब कमरे में ही टहलकर पूरा तो करना है. आज तीसरे दिन बगीचे में उगी तोरई की सब्जी बनाई, बिना किसी रासायनिक खाद के उगी ऑर्गेनिक सब्जी. सर्दियों की फसल के लिए तैयारी शुरू कर दी है. गोबर, चूना, कम्पोस्ट खाद व बांस आदि सभी आ गए हैं और बीज भी. 

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