सवा तीन बजे हैं दोपहर बाद के, आज का दिन विशेष रहा है अब तक. सुबह योग कक्षा के लिए स्कूल गयी, वापस आकर डिब्रूगढ़, जून ने कम्पनी के परिवहन विभाग के एक व्यक्ति से बात कर ली थी, उन्होंने मोटर वाहन इंस्पेक्टर से बात की, और लाइसेंस के लिए जो भी आवश्यक कार्यवाही थी, उन्हें सामने बैठाकर ही पूरी करवा दी. जिला परिवहन अधिकारी नहीं थे इसलिए कार्ड नहीं मिला. शायद दो-तीन दिनों में ड्राइविंग लाइसेंस मिल जायेगा. एक नया ड्राइविंग स्कूल भी खुला है यहाँ, उसके बारे में जानकारी दी. जान-पहचान से किस तरह काम आसान हो जाता है. वापस लौटकर भोजन किया, कुछ देर विश्राम फिर क्लब की दो सदस्याएँ आ गयीं, शिक्षक दिवस के लिए उपहार पैक किये. चालीस मिनट में चौंतीस उपहार पैक हो गए. एक ने सेलो टेप काट कर दिया, दो ने पैक किया, टीम वर्क का अच्छा उदाहरण था. उन्हें खाने-पीने का भी कुछ सामान ले जाना होगा.
उसने सोचा आखिर जीवन का उद्देश्य क्या है, ऐसा नहीं है कि पहली बार सोचा है, पर हर बार कोई न कोई नया उत्तर भीतर से आता है. आज उसे लगा, वे इस दुनिया में कुछ सीखने और उन्नत होने के लिए ही आये हैं. क्यों न वे आनंद का स्रोत बन जाएँ और अपने इर्द-गिर्द उस ख़ुशी को फैलने दें. परमात्मा हर जगह है पर उसके होने से जगत में क्या अंतर आता है, उसकी उपस्थिति को उन्हें अनुभव करना होता है, जो अज्ञान से ढकी हुई है. वह आनंद स्वरूप है पर जब तक वे प्रसन्न नहीं होंगे उसके होने का प्रमाण कैसे मिलेगा. इस समय पौने ग्यारह बजे है सुबह के. दोपहर का भोजन लगभग बन गया है, आज जून की पसन्द का आलू रायता, सफेद बैंगन और मूंग की खिचड़ी बनी है. शाम को जून के दफ्तर में बैंगलोर से आये दो जन खाने पर आ रहे हैं. वह बेक्ड वेज, भरवां शिमला मिर्च व काले चने की सब्जी बनाने वाली है. जून ने कस्टर्ड सुबह ही बना दिया है. आज नैनी को पूजा के लिए लाये उपहार दे दिए, उसे सूट पसन्द आया है, बच्चों के कपड़े भी उसे अच्छे लगे. कोलकाता में तेज धूप में घूमते हुए उन्होंने ये ख़रीदारी की थी। आज एक घन्टा कार चलाई, एकाध स्थल पर कुछ समस्या हुई पर धीरे-धीरे आत्मविश्वास बढ़ रहा है. उसने आर्ट ऑफ़ लिविंग की एक स्थानीय टीचर को फोन किया, संदेश भी भेजा, पर शायद वह व्यस्त हैं. योग कक्षा में आने वाली महिलाओं के लिए बेसिक कोर्स करवाने का जो स्वप्न उसने देखा है गुरु जी को समर्पित कर दिया.
पिछले दो दिन नहीं लिखा, आज से एओल का कोर्स आरम्भ हो रहा है जिसे उसके कहने पर एओल की एक शिक्षिका अपने घर पर करवा रही हैं. किसी समय उसे भी अन्य लोग कोर्स करने के लिए प्रोत्साहित करते थे, अब वह दूसरों को कर रही है. कुल छह महिलाएं हैं और तीन उनके घर के निकट की हैं. एक सखी ने पहले हाँ कही थी, पर अब उसके यहाँ मेहमान आने की सम्भावना है, एक अन्य को बुखार हो गया है, कल उसे देखने जाना है. हो सकता है उसके खान-पान में कुछ गड़बड़ हो, उसे अक्सर पेट की समस्या रहती है. कल सुदर्शन क्रिया में वह तथा दो अन्य साधिकाएं भी जाएँगी. आज सुबह जून गोहाटी गए हैं, जाने से पहले पनियप्पम खाया. दक्षिण भारतीय व्यंजन जो खमीर उठा के बनाते हैं, देह में भारीपन लाते हैं. आज फेसबुक पर गुरूजी की तस्वीर प्रकाशित की, कल शाम नैनी ने पूजा घर में सुंदर फूल सजाये थे, तस्वीर सुंदर आयी है. आज सुबह सफाई कर्मचारी की पत्नी फिर आयी थी, उसका पति रात को घर नहीं लौटा, जिस स्त्री के घर वह रात को रुका था, वह सुबह डंडा लेकर पहुँच गयी, पति के बाहर निकलते ही उसे मारा पर आदमी ने उलटे उसे ही मारना शुरू कर दिया. जिस समय वह आयी थी, जून घर आये थे, नाश्ता करके उन्हें निकलना था, उसकी बात वह सुन नहीं पायी. वह बिना कुछ कहे चली गयी. सफाई कर्मचारी ने बाद में यह सब स्वयं बताया. वह एक निर्लज्ज व्यक्ति है जो अपनी बुराई को भी आराम से बताता है, शायद उसकी दृष्टि में वह कुछ गलत नहीं कर रहा. उसे कड़े शब्दों में चेताया तो है पर उस मोटी खाल पर कुछ असर होता नजर नहीं आता. उसकी डांट सुनकर वह हँस रहा था. उसका मुख दूसरी तरफ था पर दर्पण में सब दिखाई पड़ गया. उसने हिन्दू धर्म त्यागकर ईसाई धर्म अपना लिया है, जिसमें शायद उसे सही-गलत का भेद करना भी नहीं सिखाया जाता.
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 04 एप्रिल 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार यशोदा जी !
ReplyDeleteउपयोगी कथा।
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