नन्हा
उठा और उससे पूछने लगा, क्या सुबह उसने उन्हें बहुत परेशान किया ? उसके जीवन में उनका
क्या स्थान है, यह तो वही जानता है, पर उनके जीवन की वह आशा है, जब उसने बुद्धा की
कहानी भेजी तब वे समझे थे कि वह भी सत्य की खोज में लगा है, सजगता इसके लिए पहली
आवश्यकता है पर मादक द्रव्य तो चेतन मन को ही अचेत कर देता है, कुंद कर देता है,
सोचने-समझने की शक्ति को ही नष्ट कर देता है. इस समय वह काम कर रहा है, अभी भोजन भी
नहीं किया है, रात को जो फोटो खींचे उन्हें देखकर उसे लगता है, क्यों आतुर है आज
की पीढ़ी इस जहर को अपने भीतर उतारने के लिए. बड़े शहरों का असर है, काम का तनाव है
या पता नहीं क्या है. वे समझने में असमर्थ हैं, पर उनके पास एक सम्पत्ति है,
विश्वास की सम्पत्ति, परमात्मा पर अखंड विश्वास. वह परमात्मा नन्हे के साथ भी है,
वही उसे सन्मार्ग पर ले जाएगा !
उस दिन जो स्वप्न देखा था वह आज की घटना की ओर इंगित कर
रहा था. अब भी कितना स्पष्ट है, नन्हा दौड़ता हुआ आ रहा है, साथ ही एक भद्दा सा पशु
बड़े आकार का, वह उसे कहती है बचो, बचो.. पर वे दोनों भिड़ जाते हैं, नन्हा भाग रहा
है रेलिंग पर आ गया है, आगे कुआँ पीछे खाई वाली स्थिति है. नीचे पानी से भरा एक
ड्रम है वह कूद जाता है. वह ऊपर से चिल्ला रही है, नन्हा, नन्हा..आखिरी आवाज तक
जून भी आ जाते हैं, वे दोनों ऊपर से देखते हैं, नन्हा पानी में है. तभी नींद खुल
जाती है. आज उसने कहा कि माता-पिता होने के नाते उन्होंने उसे कुछ नहीं बताया जीवन
के बारे में. कैसे लोग अच्छे होते हैं, कैसे बुरे होते हैं. वह जिस संगति में है
या कालेज में था..उसी का परिणाम है कि..बच्चों को माँ-पिता से शिकायतें होती ही
हैं और आज के माहौल में, इस उम्र में यह सब करना भी स्वाभाविक है. आज वातावरण ही
ऐसा दूषित हो गया है. लेकिन उन्हें उस पर भरोसा था, उसकी बुद्धिमता पर, उसके दिल
पर, उसके विचारों पर, उसमें अवश्य ठेस लगी है, पर हर व्यक्ति अपना भाग्य अपने साथ
लेकर आता है. गुण ही गुणों में बरत रहे हैं.
आज बैसाखी है. कल रात ही उसने ब्लॉग पर कल दोपहर लिखी छोटी
सी कविता पोस्ट की थी. मौसम खुशगवार है, ठंडी हवा और गगन पर बादल..वह बाहर झूले पर
बैठी है. रात को आंधी-पानी के कारण ढेरों आंवले जमीन पर गिर गये थे, जिन्हें
पिताजी ने उठाकर इकट्ठा कर लिया है और अब अख़बार पढ़ रहे हैं. जून बाजार जाने के लिए
तैयार हैं. नन्हा अपना काम कर रहा है, माँ अपनी कुर्सी रोज की तरह बैठी हैं. नैनी
आज देर से आयी, अभी तक काम कर रही है. कल वह हायर सेकेंडरी स्कल गयी, मृणाल ज्योति
के बच्चों ने वहाँ बीहू नृत्य प्रस्तुत किया. दो दिन बाद वे उनके यहाँ आयेंगे.
नन्हे को उसने बताया कि उन सबके भीतर ऊर्जा का स्रोत है, जो कभी समाप्त नहीं होता
जो..
No comments:
Post a Comment