कल शाम वह क्लब की वार्षिक पत्रिका के लिए बुलाई गयी
मीटिंग में गयी थी. उसे हिंदी सेक्शन का काम देखना है. जून उसे समय पर छोड़ आए और
बाद में लेने भी आये, उसके मन में एक ख्याल आया यदि वह स्वयं कार चलाना जानती तो
उन्हें परेशान न होना पड़ता. आज पुराने वर्षों की पत्रिकाएँ खोल-खोल कर देखीं, ताकि
उन लोगों के नाम देख सके जो हिंदी में लिखते हैं, उन्हें इस वर्ष भी लिखने के लिए
प्रेरित करने हेतु फोन किये, कुछ ने सकारात्मक जवाब दिए. सुबह उठते ही जून ने
ट्रांजिस्टर चला दिया समाचार सुनने के लिए. कल रात्रि एक स्कूल बस की दुर्घटना की हृदय
विदारक खबर सुनी. बाद में बस पानी में गिर गयी. उनके दिल लेकिन पत्थर के हो चुके
हैं, इतनी बड़ी दुर्घटना के बाद भी जिन्दगी वैसे ही चलती रहेगी, उन माँ-बाप के आँसू
सूख जायेंगे और...यहाँ अपेक्षाकृत वे सुरक्षित हैं, ज्यादा ट्रैफिक नहीं है. अभी
जून का फोन आया, उन्हें अख़बार लेने बाजार जाना ही होता है, पूछ रहे थे कुछ लाना
है, इतना ख्याल घर का कम लोग ही रखते होंगे. आज वह लंच में केवल फल और सलाद ही ले
रही है, हफ्ते में एक दिन ऐसा करना अच्छा है. पर मन है कि...वैसे भूख पर कंट्रोल
किया जा सकता है पर जब मनाही हो तो ध्यान खानों की तरफ ही जाता है.
आज सुबह ‘जागरण’ देखा, और
अभी-अभी योगानन्द जी का एक भाषण पढ़ा, ईश्वर स्वयं ही संयोग उत्पन्न कर देते हैं.
रात भर लगातार हुई वर्षा के कारण मौसम आज ठंडा है, कंपा देने वाली ठंड. बादल अब भी
बने हैं और वैसे ही बादल उसके अंतर में भी घुमड़ रहे हैं. कल से नन्हे के इम्तहान
हैं. पहला पेपर गणित का है, वह तैयारी कर रहा था फिर पढ़ाई खत्म करके टीवी देखने
लगा, .बच्चे भी बस बच्चे होते हैं, पल भर में परीक्षा को भूलकर टीवी में व्यस्त हो
गया. कल भी TN Seshan का इंटरव्यू बड़े मजे ले कर देख रहा था, बड़े ही होते हैं जो
परीक्षा से पहले ही घबराए-घबराए से रहते हैं. अब टीवी पर चाट बनाने की विधि बताई जा रही है, अभी-अभी नन्हा कहकर गया है. कल
संगीत कक्षा में वह ठीक से गा नहीं पायी, गाने में सुर की देन तो ईश्वर ही दे सकता
है, आज ईश्वर से प्रार्थना की है और स्वामी योगानन्द जी के अनुसार यदि प्रार्थना
सच्ची हो तो उत्तर अवश्य मिलेगा. अभ्यास तो उसे करना ही होगा पहले की तरह ही
प्रतिदिन.
आज ठंड कल से भी जयादा है.
बंद कमरे में स्वेटर पहनकर भी ठंड का अहसास हो रहा है, आज ही हीटर निकलना पड़ेगा किन्तु
उनका क्या जिनके पास न तो कमरा है, न स्वेटर, और हीटर की तो बात ही जिन्हें पता
नहीं, उन्हें भी हीटर के बिना रहने का अभ्यास होना चाहिए जब तक कि जनवरी की कड़कती
ठंड न आ जाये. नन्हे की आज हिंदी की परीक्षा है, उसे पढ़ाते हुए पिछले कुछ दिन कैसे
बीत गये पता ही नहीं चला, उसका रिजल्ट जरुर अच्छा आयेगा, वह मेहनत करता है पर नूना
को लगता है वह इससे भी अच्छा कर सकता है. कल शाम वे एक डिनर पार्टी में गये, एक
मित्र के विवाह की वर्षगाँठ की पार्टी में. उनकी शादी की फोटो देखकर लगा कि सारी
पंजाबी शादियाँ एक सी होती हैं.
आज सुबह अलार्म की आवाज
सुनकर नींद वक्त पर खुल गयी, दरवाजा खोलते ही जानी पहचानी सी वही बिल्ली दिखाई दी,
पर कल रात उसने भोजन नहीं बनाया था सो उसे रोटी नहीं दे सकी, बिस्किट दिए, उसका
पेट पिचका-पिचका सा लग रहा था, शायद वह अपने लिए खाना नहीं जुटा पाती है. वे सुबह
शाम ही तो दे सकते हैं, एक छोटे से जीव को पालना भी कितना प्रयास लेता है, उस दिन
बरामदे में जो गंदगी उसने की, उसके बाद वे उसे बाहर ही खाना देते हैं. जो लोग
पशुओं से दिल से प्यार करते हैं वे उनके द्वारा की गयी गंदगी को ख़ुशी-ख़ुशी साफ कर
देते होंगे, पर ऐसा करना जून व उसके बस की बात तो बिलकुल नहीं है, नन्हा लेकिन
उसका ध्यान रखता है, बच्चे स्वभाव से ही कोमल होते हैं. उसे खाना खिलाने का काम
उसे ही सौंपना चाहिए. उनकी निष्ठुरता कहीं उसके हृदय को भी कठोर न बना दे.
No comments:
Post a Comment