कल कुछ महिलाओं के साथ नूना क्लब की किन्हीं सदस्या के
यहाँ गयी, जिनके पति रिटायर हो गये हैं. उन्हें लेडीज क्लब की तरफ से विदाई देनी
थी. वह लिख रही थी कि एक कीड़ा पहले पंखे से टकराया फिर आकर उसपर गिरा, उस पल वह कुछ
अस्त-व्यस्त सी हो गयी, उस दिन शाम को उनके माली ने विजिलेंस के आदमियों द्वारा
उसकी दावली ले लेने व उसे लाठी से मारने की बात कही तो वह परेशान हो उठी थी, जून
को भेजा, स्थिर नहीं रह पाती है हर स्थिति में, अर्थात sensitivity किसी हद तक बची
हुई है. कल टीवी समाचारों में Princess Diana की मृत्यु की खबर सुनी तो स्तम्भित
रह गयी, ज्यादा प्रचार ने ही उनकी जान ली, प्रेस फोटोग्राफर जो पीछे लगे थे,
उन्हें अवश्य सजा मिलनी चाहिए.
कहीं से तेज दुर्गन्ध आ
रही है, इतनी तेज कि उसमें साँस लेना भी मुश्किल है उसके लिए, पर बाहर बच्चे खेल
रहे हैं, उन्हें खेल के सामने दुनिया की कोई बाधा बाधा नहीं लगती, उनके पड़ोसी भी
टहल रहे हैं, शायद वह कुछ ज्यादा ही सेंसिटिव है. सामने वाले चाय बागान में शायद
कोई जानवर मर गया है उसे उठाने कोई नहीं आया, दोचार दिन में खुद ही सड़कर
मिटटी बन जायेगा मगर तब तक इस दुर्गन्ध को झेलना पड़ेगा.
कल उसकी पड़ोसिन भी उसके
साथ गयी थी गाना सीखने, उसने अच्छा गाया और वह नर्वस होकर ठीक से न गा सकी, तभी से
मन में वह बात घूम रही है, J Krishnamurti की किताब में ठीक ही पढ़ा था comparison
is the sign of immature mind. कल शाम भी स्वयं को संयत न रख सकी और जून को एक पल
के लिए परेशान कर दिया, आज सुबह अलार्म बजा तो एक झटके से उठ बैठी, पर ठीक नहीं
लगा और एक पल को फिर लेटी तो आँख मुंद गयी. यूँ छोटी-छोटी बातें आत्मा को कलुषित
करती चलती हैं और एक वक्त ऐसा आता है कि अपना चेहरा भी धुंधला दिखाई देता है. आज
वह आंवले वाला बूढ़ा भी आया है, एक घंटा काम करके आंवले ले जायेगा. उनका पेड़ भी तो
लद गया है इतना बोझ सहन नहीं कर पायेगा. आजकल वह ‘हरीश भिमानी’ की लता मंगेशकर पर लिखी पुस्तक पढ़ रही है, लेखक ने बहुत मेहनत की होगी
इसे लिखने में. जून कह रहे हैं शनिवार को वे प्रीति भोज का आयोजन करें, उस दिन ‘गणेश
पूजा’ का अवकाश भी है. नन्हे के यूनिट टेस्ट चल रहे हैं, दो टेस्ट पूरी तरह ठीक
नहीं हुए, कुछ देर परेशान रहा फिर भूल गया, काश वह भी इसी तरह जल्दी से भूलना सीख
पाती, यूँ सीख तो रही है वह, मंझले भाई के पत्र में यहाँ आने का कोई जिक्र न पाकर
थोड़ा उदास हुई थी पर एक घंटे बाद ही उसे पत्र का जवाब भी दे दिया. कल जिस दुर्गन्ध
से बचने के लिए पहले वे क्लब गये फिर एक मित्र के यहाँ, आज वह नहीं आ रही है.
आज सुबह जून ने उठा दिया
सो दीदी से बात कर पाई, उन्होंने पत्र भी भेजा है, कल रात्रि घर पर शेष सबसे बात की
थी, नये घर में ‘गृह प्रवेश’ १३ फरवरी को हो रहा है, वे लोग जा तो नहीं सकते उपहार
भेजेंगे. कल लाइब्रेरी से Fire and Rose किताब लायी है, उर्दू के आधुनिक शायरों की
नज्मों से सजी हुई. उर्दू शायरी को उसी भाषा में पढ़ सकती तो बेहतर होता या फिर हिंदी
में, पर अपने देश में अंग्रेजी का सहारा लिए बिना एक कदम भी आगे नहीं चल सकते.
शनिवार को उनके यहाँ भोज का कार्यक्रम तो टल गया है, उसी दिन एक मित्र ने अपनी
बेटी के जन्मदिन पर बुलाया है, उसी दिन क्लब में debate भी है. वे पहले क्लब जाकर
फिर पार्टी में जायेंगे.
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