अभी-अभी भगवद् गीता का वह श्लोक पढकर आ
रही है जहां भगवान कृष्ण अर्जुन से कहते हैं, उन्हें श्रद्धा से भेंट की गयी एक
पत्ती भी अति प्रिय है, एक स्नेह भरा हृदय...और कुछ नहीं चाहिए ईश्वर को, अब तो
वैज्ञानिक भी ईश्वर की सत्ता को मानने लगे हैं. बिग बैंग का प्राइम कॉज कहें या
गॉड कहें कोई सुपर पावर तो है ही, और हमारे मन में उन असीम सम्भावनाओं का खजाना
छिपा है जो इस रहस्य को खोल सकती हैं. ध्यान का महत्व और भी बढ़ जाता है. कल क्लब
में डिब्रूगढ़ विश्व विद्यालय से आये प्रोफेसर राज का भाषण बहुत रोचक था, अन्तरिक्ष
व ब्रह्मांड के बारे में नई जानकारियां मिलीं, कई सुप्रसिद्ध वैज्ञानिकों के विचार
जानने को मिले. आज शाम को कोई मेहमान आयेगा शायद सुबह से ही बैठक में फूल सजाने की
प्रेरणा हो रही है.
आज जून का जन्मदिन है और
कल हमारे देश का भी जन्मदिन यानि जश्ने आजादी कल मनाया जायेगा. यहाँ कर्फ्यू रहेगा
सुबह ६ बजे से दोपहर १२ बजे तक. कैसी विडम्बना है भारत में रहकर वे यहाँ झंडा आरोहण
में भाग नहीं ले सकते. यूँ देखा जाये तो देश भक्ति मन में होनी चाहिए अगर झंडा नहीं भी फहरा सके तो क्या ?
आज आजादी की पचासवीं
सालगिरह के शुभ अवसर पर उसका मन भारतीय होने पर गर्व अनुभव कर रहा है और वह पूरे
दिल से यह चाहती है कि जितनी बार भी उसका जन्म इस धरती पर हो भारत ही उसका देश हो
! टीवी पर आधी रात को हुए संसद के विशेष अधिवेशन की रिकार्डिंग आ रही है. कल रात
११ बजे तक वह जगी फिर नींद ने घेर लिया. मल्लिका साराभाई का नृत्य और ए आर रहमान
का गीत संगीत दोनों ही भव्य थे. कल शाम को जून के जन्मदिन की छोटी सी पार्टी अच्छी
रही सिवाय एक बात को छोड़कर, नैनी ने पहले ही चाय बनाकर रख दी और वह कड़क हो गयी. गल्ती
उसी की थी, पर सब अपने लोग थे जो किसी ने कुछ नहीं कहा. आज सुबह लालकिले की प्राचीर से प्रधान मंत्री का भाषण
सुना, जो प्रेरणादायक होने के साथ कमियों की ओर ध्यान दिलाने वाला था. इस समय भीम
सेन जोशी का आवाज में ‘वन्दे मातरम्’ यह प्रसिद्ध गीत बज रहा है जो बंकिम चन्द्र
ने आजादी की लड़ाई के दौरान लिखा था. कुछ गीत अमर हो जाते हैं जैसे इक़बाल का तराना,
सारे जहाँ से अच्छा..गांधीजी, नेहरु और सुभाष चन्द्र बोस के भाषणों के अंश सुने और
मन उनके सम्मुख स्वतः झुक गया. लता मंगेशकर के गाए गीत की अभी प्रतीक्षा है. आज
रात star टीवी पर Train to Pakistan आएगी
और १५ अगस्त का दिन बीत जायेगा.
आज इतवार है, कल शाम से ही
वह कुछ परेशान है. कारण वह जानती है पर उसका निवारण नहीं कर पा रही है. उस दिन
उन्होंने वह फिल्म देखी, सामान्य ही लगी उसे. कल शाम वे मेला देखने गये, आज सुबह
उसने तिरंगा सैंडविच बनाया और दिखाने के लिए सेक्रेटरी के यहाँ ले गयी, उन्हें
पसंद आया और कुछ देर पहले उनका फोन आया कि वह स्टेज की सजावट की जिम्मेदारी भी ले,
हॉल का प्रबंध तो वह दख ही रही थी अब यह काम....शायद यही उसकी परेशानी का सबब है और एक बात और उसे परेशान कर रही है, पिछले
कुछ दिनों से हिंसा की घटनाएँ बढ़ गयी हैं, उल्फा और बोडो दोनों ने ही असम के
निर्दोष लोगोंपर हमले तेज कर दिए हैं, इन्सान कहाँ जा रहा है, इस अंधी दौड़ का कहीं
तो अंत होगा. उसने ईश्वर से प्रार्थना की, वह उन्हें सही मार्ग दिखाए.
कैसी है यह विडम्बना
हँसते हैं अधर, पर आँखों
में अश्रु आते भर
इक हाथ उठा, इक हाथ बढ़ा
दोनों का लक्ष्य भिन्न मगर
हिंसा का कैसा चला दौर
आजाद मुल्क आजाद फिजां
फिर क्यों न बने यह सबका
घर
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