Friday, January 24, 2014

इंदिरा गाँधी मुक्त विश्व विद्यालय


वर्षा की झड़ी जो कल दिन भर और शायद रात भर भी जारी थी, अभी भी जारी है, मौसम भीगा-भीगा सा ठंडा हो रहा है जैसे कोई पहाड़ी प्रदेश हो ऐसा उनका शहर लग रहा है. आज सुबह उसकी छात्रा संस्कृत टेस्ट के कारण नहीं आई, नन्हे का टेस्ट भी इस बार अस्वस्थता के कारण नहीं हो सका, अब वह ठीक है, कल रात देर तक पढ़ाई करता रहा, अपने आप पर निर्भर रहना उसने सीख लिया है. जून कल शाम नन्हे के लिए नाश्ता बनाते वक्त ऊँगली जला बैठे, परेशान हो गये थे, जब बाहर टहलते समय उन्होंने मन को भाएँ ऐसी बातें कीं तो उनका मूड बदल गया, हर इन्सान के भीतर एक बच्चा छिपा रहता है जो प्यार, दुलार और पुचकार तथा सुरक्षा चाहता है. आज सुबह तैयार होते वक्त उसे लगा कि जिन्दगी में कोई आकर्षण ही नहीं रह गया है, पर वह क्षणिक अनुभूति थी, जून और नन्हे के कारण जीना बहुत मोहक है.

‘We know and We know and We know but  world needs the clarity of our thoughts’. Each and every moment of life she needs some…noble thought, cute idea or virtue, a nice word or any good feeling or any new and special idea of any of the wonderful writers, poets and thinkers of this world. She lives in their ideas and drink the nectar of their words ! words always attract her and they do a wonderful job on her. She thinks no one else can do it for her. Sometimes others flatter her that makes  her happy bur at this moment she is ecstatic, means happy beyond the general sense of well being. She wants to help all those in need and want to sing with all the sweetness and depth of the heart.
….And then she forgot for sometime that freedom is not to misuse, one should follow some doe’s ant don'ts ! and she felt guilty about feeling guilty.

She read-
Surely the only thing that makes us healthy within is authenticity, living with truth. In the equanity of mind, the silent lake of consciousness reflects the majesty of our amazing intelligent universe.

आज भी मौसम खुशगवार है, पीटीवी पर टालस्टाय का लिखा एक ड्रामा देखा, किसी के जुर्म की सजा किसी को भुगतनी पडती है, एक परिवार की और खासतौर से उस व्यक्ति की दुःख भरी कहानी ! कल शाम उसने जून की मदद से हिंदी में सृजनात्मक लेखन के लिए इग्नू में एक कोर्स के लिए एक फार्म भरा. कल दोपहर से ही जून का मूड बहुत अच्छा था, शायद उस खबर का असर हो जो उन्होंने उसे नहीं बताई थी की उनके वे मित्र अब यहाँ से नहीं जा रहे हैं. वह वाकई बहुत खुश थे, उनके हाव-भाव और शब्दों से उसे लग रहा था. इस बार के बुलेटिन में उसका नाम फोन नम्बर के साथ आया है, दो फोन आ चुके हैं. कल लाइब्रेरी से एक नई किताब लायी, mind trap, जरूर अच्छी होगी. इस हफ्ते खतों के जवाब नहीं दे पायी है, एक खास तरह का आलस्य घेरता जा रहा है, जो कुछ कामों को टालता है और कुछ को करने की प्रेरणा देता है. और अब ग्यारह बजने वाले हैं, उसे फुल्के सेंकने हैं, दाल छौंकनी है, चावल बनाने हैं, सलाद काटना है, सब कुछ जून के आने से पहले पहले !

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