Wednesday, September 25, 2024

कोरोना की रिपोर्ट

कोरोना की रिपोर्ट 


आज दिन भर ऐसा लगा जैसे कुछ अधूरापन है, जैसे कोई ज़रूरी काम रह गया है, जिसे करना था। सेवा का कार्य भी कई दिनों से नहीं किया, कल एक छोटा सा अनुवाद का काम आया था, सो कर दिया। सुबह समय से उठे, छह बजे से पहले टहलकर वापस आ गये थे। जून ने सोलर पैनल की सफ़ाई की, वर्षा हुए कई हफ़्ते हो गये हैं, सब तरफ़ धूल जम गई थी। पड़ोस में जो घर बन रहा है, उसके कारण धूल अधिक आती है। यहाँ पानी कुछ खारा है, पानी को कोमल करने के लिए मशीन लगायी है, उसमें हर महीने पच्चीस किलो नमक डालना पड़ता है।आज उसमें तथा बर्तन धोने की मशीन में भी नमक भरा।नाश्ते में दलिया बनाया, जिसमें बाबा रामदेव की सलाह पर सात-आठ पदार्थ मिलाये हैं, गेहूं का दलिया, छोटे चावल, मूँग छिलका दाल, अलसी, अजवायन, सफ़ेद तिल और  ओट्स ! चाहें तो ज्वार या मकई का दलिया भी मिला सकते हैं। बनाते समय हरी सब्ज़ियाँ तो डालते ही हैं। बहुत पौष्टिक है और स्वादिष्ट भी। एक पुस्तक पढ़नी शुरू की है, लिविंग ऑन द एज, अच्छी लग रही है। 


आज शाम को हम टहल कर लौटे तो पड़ोसिन श्रीमती दत्ता पीछे के बरामदे में मिलीं। सहज ही पूछ लिया, आप टहलने नहीं गयीं, तो उन्होंने बताया, उनकी बहू की रिपोर्ट पॉज़िटिव आयी है। एक जन्मदिन की पार्टी में गई थी, वापस आकर गले में ख़राश लगी, आज तो तेज बुख़ार भी था। आर एंटीज़न की रिपोर्ट तो फ़ौरन मिल गई। आर टी पी सी यानी ‘रियल टाइम ट्रांसमिशन चेन’ की रिपोर्ट आज आनी थी। ज़रूर पॉज़िटिव आयी है, क्योंकि उनके घर के आगे बैरियर के रूप में फीता लगा दिया गया है, और घर का फ़्यूमिगेशन भी किया गया। अब उन्हें ख़ुद भी बहुत सावधान रहने की ज़रूरत है। रात्रि भ्रमण के लिए नहीं गये। इस समय यहाँ कई घरों में कोरोना के मरीज़ हैं।आज नाश्ते में मकई के आटे में बगीचे से तोड़ी पालक मिलाकर रोटी बनायी। मौसम अब गर्म हो गया है, एसी चलाने लायक़ गर्म। आज दोपहर को एक और घर को सैनिटाइज करने की आवाज़ आ रही थी। शायद कोई और मरीज़ मिला है। कल यहाँ पर आर टी पी सी टेस्ट के लिए कैंप लग रहा है,शायद कुछ और निकल आयें। देश व दुनिया में तेरह करोड़ लोग इससे ग्रसित हो चुके हैं। 


सुबह जब वे घर से निकले, आकाश में चाँद तारे खिले हुए थे।वातावरण शांतिदायक था खुली हवा में टहलते समय कितने सुंदर विचार आते हैं।  हवा, धरती, सूरज और आकाश के साथ एक्य का अनुभव हो रहा था। वापस आकर छत पर योग साधना की, ऊपर विशाल गगन था पर बादलों के कारण सूर्योदय नहीं दिखा।रोज़ सुबह सबसे पहले घर से बाहर निकल जाने वाले पड़ोसी छत पर टहल रहे थे, उनके घर से न कोई बाहर जा सकता है, न कोई आ सकता है।कभी अपने ही घर में नज़रबंद होना पड़ेगा, ऐसा किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था। उनसे बात हुई तो कहने लगे, बहू को स्वाद व सुगंध का कुछ पता नहीं चल रहा है।


संध्याकाल का भ्रमण नहीं हुआ। हिम्मत करके मास्क पहनकर रात्रि भ्रमण के लिए निकले। सड़क ख़ाली थी, केवल एक व्यक्ति अपने कुत्ते को घुमाने लाया था।लोग फिर से अपने घरों में बंद रहने को बाध्य हो गये हैं। श्रीमती दत्ता ने बताया कि उनके परिवार में बहू को छोड़कर सभी की रिपोर्ट नेगेटिव आयी है। उन्होंने अपने पोते को कहा दिया है, माँ बाहर गई है। वह फ़ोन से बात कर लेता है। छोटे भाई की रिपोर्ट भी पॉज़िटिव है, पापाजी को भी बुख़ार हो गया है। भाभी अभी तक ठीक है, भाई ने बताया, वह नियमित शंख बजाती है और गरम पानी में नींबू और शहद डालकर रोज़ सुबह पीती है। ईश्वर उसकी रक्षा करेंगे। उसे ही दोनों मरीज़ों की देखभाल करनी है। शाम को छोटी बहन का फ़ोन आया, उसे नाइट ड्यूटी पर जाना था, थोड़ी चिंतित थी। 


सुबह पापाजी से बात हुई, उन्हें भी कोरोना हो गया है। पर बुख़ार होने पर भी सुबह की चाय स्वयं बनायी। भाभी नाश्ता-खाना ऊपर रख जाती है। दीदी से बात हुई, वह आजकल ब्रेनविटा खेलती हैं, अभी तक अंत में एक कंचा नहीं आ पाया है। यू ट्यूब पर उसका हल देखकर सीखने से ही आयेगा शायद। आज गर्मी कल से अधिक है। उनका एसी काम नहीं कर रहा है, शायद उसका कंप्रेसर ख़राब हो गया हो। आज शाम को श्रीमती दत्ता को इतने वर्षों में पहली बार छत पर देखा। दत्ता जी को भी खांसी व बदन दर्द की शिकायत हो गई है, पुत्र की तबियत भी ठीक नहीं है। 


Wednesday, September 18, 2024

सब्ज़ी वाला ट्रक

सब्ज़ी वाला ट्रक


आज सुबह सब्ज़ी वाला ट्रक आया था, कुछ ताजी सब्ज़ियाँ व फल भी मिल गये। ड्राइवर कह रहा था, अब से हफ़्ते में दो बार आया करेगा।वहाँ सभी सब्ज़ियाँ उसने नीली प्लास्टिक की बास्केट में सड़क पर पंक्ति में लगा दी थीं। दूर से लग रहा था, जैसे छोटा सा बाज़ार लगा हो।उसने पहली बार इस तरह सब्ज़ियाँ ख़रीदीं, तभी हल्की बूँदा-बाँदी होने लगी, झट प्लास्टिक के कवर से सब कुछ ढक दिया गया और लोग सामने वाले घर  के गैराज में खड़े होने चले गये। वह तो अच्छा हुआ, पाँच मिनट में ही बरखा रुक गई, शायद इंद्रदेव ने किसी की प्रार्थना सुन ली हो।दिन में फ़ोन पर फुफेरे भाई से बात की, फिर असम में उनके यहाँ काम करने वाली नैनी से।उसने सोचा है रोज़ ही किसी न किसी परिचित से बात करनी है, कोरोना के कारण सब अपने-अपने घरों में ही तो बंद हैं, फ़ोन से घर बैठे एक-दूसरे का हाल मिल जाता है।आज दो रचनाएँ प्रकाशित कीं, ‘शिवलिंग’ कविता पाठकों को अच्छी लगी है, परमात्मा ही लिखवा लेता है सुबह-सुबह, शेष दिन भर तो कविता का ‘क’ भी मन में नहीं आता। शाम को मँझली भाभी से बात की, उनकी माँ घर में हुई एक दुर्घटना में जल जाने के कारण अस्वस्थ हैं, इलाज चल रहा है, अपने पुत्र के यहाँ हैं।वृद्धावस्था में इंसान कितना बेबस हो जाता है। दोपहर बाद पापाजी से बात हुई, छोटी भाभी अपनी मायके गई है, दो दिन के लिए खाना बनाकर फ्रिज में रख गई है। रोटी या चावल वे ताजा बनवा लेते हैं, यदि कामवाली न आयी तो ख़ुद बनाते हैं।


आज वे इसी सोसाइटी में रहने वाली एक महिला डाक्टर से मिलने गये। उन्होंने भली प्रकार उन दोनों का चेकअप किया। कल पर्ची बना कर देंगी। उसे गर्दन  के व्यायाम तथा रात को सोने से पूर्व गरारे करने की सलाह दी। उनका घर बहुत अच्छी तरह से रखा एक गोदाम लग रहा था। अभी हाल में ही वे लोग यहाँ आये हैं। आज असम में उनके यहाँ काम करने वाले माली व धोबी से बात की।वर्षों तक उन्होंने अपनी सेवाएँ दी थीं।बात करके उसे अच्छा लगा, जीवन में कितने ही लोग मिलते हैं और फिर कभी न मिलने के लिए छूट जाते हैं। पापा जी ने बताया, अभी तीन दिन उन्हें और अकेले रहना है। 


आज दिन में गर्मी बहुत थी। सुबह सोसाइटी की तरफ़ से पानी डालने वाला आदमी आया था। बगीचे की घास और पौधों की हालत इस गर्मी में नाज़ुक हो जाती है। सुबहें और शामें अपेक्षाकृत सुहानी होती हैं, हवा बहती रहती है। आज गोधूलि बेला में सूर्यास्त के सुंदर दृश्य देखे। आम के बगीचे में पेड़ फलों से लदे हुए थे।सुबह सूर्योदय का वीडियो बनाया। ‘द ब्लू अंब्रेला’ का कुछ अंश देखा, मसूरी-देहरादून की कहानी है। एक छोटी लड़की के पास नीले रंग का एक छाता है, जापानी छाता, जो बेहद सुंदर है। 


रात्रि भ्रमण हो चुका है।इसके दौरान नियमित रूप से उन्हें एक ईसाई दंपति मिलते हैं, सामने वाली लाइन में सड़क के उस पार ही रहते हैं, पर ‘हैलो’ के अतिरिक्त कुछ बात नहीं हुई।आजकल सभी अपने काम से काम रखते हैं।आज सुबह उसका मन कितना स्थिर था, जैसे समता को पूरी तरह धारण कर लिया हो, पर कुछ ही देर बाद जून को किसी बात के लिए टोका, मन हिल गया चाहे एक सेकण्ड के लिए ही सही। लेकिन भीतर की स्थिरता कहीं जाने वाली नहीं है, अटल रहने वाली है, यह अनुभव कोई छीन नहीं सकता, क्यूँकि ‘वह’ वही है,  भला उससे ‘उसे’ कौन छीन सकता है ?


आज सुबह एक स्वप्न देखा, जिसमें वह रास्ता भूल गई है। स्वप्न उनके अचेतन मन की कहानी कहते हैं, कुछ सिखाते भी हैं। अभी नन्हे का फ़ोन आया, उसने घर का वीडियो दिखाया, काफ़ी काम हो गया है।कल यहाँ पहली बार आलू के चिप्स बनाये थे, सूख गये हैं, होली पर बनायेंगे। एक सखी का फ़ोन आया, वह भी होली की तैयारी कर रही थी।दोपहर को बड़ा भांजा आ गया था, उसके आने से जून में जैसे बचपन लौट आया है। इतमा मुक्त तो वह बेटे-बहू के आने पर भी महसूस नहीं करते। सुबह समय से पूर्व उठे, प्रातः भ्रमण के बाद पौने छह तक घर लौट आये, छत पर सूर्योदय देखा और बालसूर्य के सान्निध्य में योग साधना की। साप्ताहिक सफ़ाई का दिन था, सो पंखों की विशेष सफ़ाई करवायी। रात्रि भ्रमण के समय लगभग गोल चंद्रमा देखा, कल पूर्णिमा है। कल सुबह ही नन्हा और सोनू आ रहे हैं। होली का उत्सव कल ही मनाएँगे।परसों उनका अवकाश नहीं है। कुछ देर पहले समाचार मिला, मँझली भाभी की माता जी का देहांत हो गया है।वे कई दिनों से मृत्यु से जूझ रही थीं, जिसका भी जन्म होता है एक न एक दिन उसे जाना ही है। उसने सोचा, कल ही भाभी से बात करेगी। 


आज होलिका दहन है, प्रह्लाद की रक्षा का दिन ! जब भीतर का आह्लाद शेष रह जाये और हर कलुष जल जाये तभी मनती है होली ! वे होलिका दहन में नहीं गये। सोसाइटी में कई घरों में कोरोना के मरीज़ हैं, उन्हें अपनी सुरक्षा करनी है। पूरे कर्नाटक में विशेष तौर से बैंगलुरु में कोरोना का प्रकोप बहुत बढ़ गया है। भांजा आज भी यहीं है, उसे परसों नयी कंपनी में जॉइन करना है। शाम को असमिया सखी का फ़ोन आया, होली की मुबारकबाद दे रही थी। सुबह जून के तीन पुराने मित्रों का फ़ोन आया था। पुरानी दोस्ती देर तक क़ायम रहती है। सुबह बच्चे आ गये थे, विशेष भोज बनाया। शाम को वे दोनों पड़ोसियों के यहाँ गुझिया और रंग लेकर होली की शुभकामना देने गये। होली की तस्वीरें खींचीं। परिवार के एक सदस्य के यहाँ शोक का माहौल है, इसलिए कोई पारिवारिक ग्रुप में तस्वीरें नहीं डाल रहा है। एक उम्र के बाद यदि व्यक्ति अस्वस्थ हो तथा दूसरों पर निर्भर हो तो घरवालों पर बोझ बन जाता है। इसलिए भाभी से बात हुई, तो उसने कहा,  जो हुआ ठीक है, माँ बहुत कष्ट में थीं। 


आज होली है, उन्होंने प्रेम के रंग बहाए। सभी से बातचीत की। छोटे भाई को परसों से बुख़ार है। वह सफ़र से आया था, शायद थकान की वजह से ही हो। वहाँ कोरोना टेस्ट नहीं हो पा रहा है। सिवाय सरकारी अस्पताल के जहां बहुत भीड़ है। पापाजी भी कुछ परेशान से लगे, ज़ाहिर सी बात है, लगेंगे ही। एक सखी से बात की, वे लोग आगरा में हैं, भरतपुर घूम कर आये थे, पक्षी विहार देखा, बहुत उत्साहित होकर वह बता रही थी।            



Thursday, September 12, 2024

टैंट हाउस


टैंट हाउस

आज उन्होंने कोरोना से बचाव के लिए कोविशील्ड वैक्सीन लगवा ली। मेडिकल कॉलेज में काफ़ी अच्छा इंतज़ाम था। दिन आराम से बीता, पर इस समय थोड़ी हरारत जैसी महसूस हो रही है।कल भी आराम करना है, उम्मीद है परसों से सब सामान्य हो जायेगा।दीदी से बात हुई, वे लोग वैक्सीन नहीं लगवा रहे हैं। 


सुबह उठी तो ज्वर सौ से ऊपर था। नन्हा और सोनू दिन में आ गये थे। उसका एक मित्र अपने भाई-भाभी व भतीजी के साथ आया था, एक अन्य मित्र दंपति भी आये थे। उसे किसी ने कोई काम नहीं करने दिया। मेहमानों ने घर देखा, चाय-नाश्ता किया और चले गये।बच्चे शाम तक रुके रहे। उसके सिर में दर्द था, सोनू ने तेल लगाया। नन्हे ने एक दवा दी। उसने बिग बास्केट से ढेर सारे फल व सब्ज़ियाँ भी भिजवा दिये हैं।  इस समय ज्वर नहीं है। भीतर ऊर्जा का अहसास हो रहा है। 


आज स्वास्थ्य अपेक्षाकृत ठीक है। दोपहर बाद माली आया। उससे गमले गैराज में रखवाये। आजकल धूप बहुत तेज होती है। कॉसमॉस की पौध लगवायी। कल से प्रातः भ्रमण, योग साधना आदि के साथ सामान्य दिनचर्या शुरू होगी। असमिया सखी का फ़ोन आया, अपनी पोती के कई क़िस्से बड़े मज़े ले लेकर बता रही थी, जो अमेरिका में रहती है, और जिससे उसकी बात केवल वीडियो चैट में ही होती है।उन्हें भी वैक्सीन लगाने के बाद दो दिनों तक कुछ तकलीफ़ हुई। दोपहर को छोटी ननद का फ़ोन आया, उसने बताया, निजीकरण के विरोध में दो दिनों के लिए बैंकों में हड़ताल है। सरकार कह रही है, धीरे-धीरे सभी व्यापार प्राइवेट कंपनियों के हाथों में दे दिये जाएँगे। सरकार के पास अति आवश्यक कार्य ही रह जाएँगे। समय के साथ परिवर्तन अवश्यंभावी है। सुबह से मन में विचार आ रहा था कि फुफेरी बहन से बात करनी है, और शाम को उसका फ़ोन आ गया। कल सखी से बातचीत में कहा, वैक्सीन के साइड इफ़ेक्ट में पाचन भी बिगड़ सकता है, और सुबह से हालत पतली है। आजकल मन में विचार आते ही पूरे हो जाते हैं।कल रात को जब भी नींद खुली, मन में ‘ध्यान’ का विचार आया, सुबह उठते ही पहला काम यही किया। इस जगत में एक यही तत्व है, जो शाश्वत है, शेष सब अनित्य है।’कंचन से इल्तजा’ कविता प्रकाशित की, कंचन के इस पेड़ पर फूल क्यों नहीं आते, इस सवाल का जवाब कौन दे सकता है ? क्या जाने उसकी इस प्रार्थना का कुछ असर हो और वह खिलना शुरू कर दे।


आज ऐसा लगा कि ज़िंदगी फिर पटरी पर आ गई है।दोपहर को छोटी बहन से बात हुई। कल रात उसे नाइट ड्यूटी में खड़े रहना पड़ा था, यूएइ में भी कोरोना के मरीज़ बढ़ते जा रहे हैं। भारत में भी कोरोना की दूसरी लहर आ गई है।एक तरफ़ टीके लग रहे हैं दूसरी तरफ़ केस बढ़ते जा रहे हैं। आज शिरड़ी के साईं बाबा पर आधारित एक धारावाहिक का एक भाग देखा। जिसमें श्रद्धा और सबूरी के साथ वह प्रेम करना सिखाते हैं।परमात्मा पर विश्वास करना भी। जीवन में प्रेम न हो तो, जीवन काँटों की तरह चुभता है। क्योंकि जहाँ प्रेम नहीं, वहाँ अहंकार होगा और अहंकार से बड़ा कांटा भला कोई और भी है जगत में, वही तो मनुष्य को मनुष्य बने नहीं रहने देता। 


आज सुबह वे टहलने गये तो आकाश पर चौथ का सुंदर चंद्रमा चमक रहा था। कल रात सोने से पूर्व एक अद्भुत आकृति देखी, जिसमें ऊपर का भाग है और कूल्हे के नीचे का भाग है, पर मूर्ति में मध्य भाग नहीं है। पता नहीं ये स्वप्न किसकी ओर इशारा कर रहा है, कमर ग़ायब होती जा रही है शायद उसी की ओर ! स्वप्न के आधार पर लिखी कविता ब्लॉग पर प्रकाशित की।दोपहर को सोते समय एक अजीब सा स्वप्न देखा, एक स्लैब पर कूड़ा पड़ा है, जैसे उसे सजा कर रखा हो। भला कोई गंदगी को भी ऐसे रखता है ? कल भांजा पूरे आठ महीने बाद वापस लौट आया है। ढेर सारी मिठाई लाया है। दोपहर को वह अपने घर चला गया। घर तबसे बंद पड़ा था, ठीक-ठाक करवाना होगा।


आज शाम को नन्हे और सोनू के साथ मिलकर उन्होंने छत पर एक टैंट लगाया है, जिसमें चार लोगों के लिए पर्याप्त स्थान है। इस समय वह उसी में बैठकर लिख रही है। बाहर तेज हवा चल रही है, चाइम की आवाज़ भीतर आ रही है पर हवा नहीं आ रही। किसी न किसी दिन वे इसे किसी नदी किनारे या पहाड़ी की तलहटी में ले जाएँगे और रात वहीं बितायेंगे, जाने यह स्वप्न कब पूरा होगा।          


Wednesday, September 4, 2024

शिव सूत्र


शिव सूत्र

कल उन्हें नन्हे के घर जाना है और वहाँ से उसके एक मित्र के यहाँ, उसका नया घर देखने; जहाँ गृहप्रवेश की पूजा का आयोजन किया गया है। नन्हा भी एक महीने के लिए किराए पर लिए घर में है, उनके ख़ुद के घर में रिनोवेशन का काम जो चल रहा है।किसी भी अन्य मूर्त या अमूर्त वस्तु की तरह एक घर को संभाल और संवार कर रखना इतना आसान तो नहीं है। इसके रख-रखाव का ध्यान रखना होता है ताकि लंबे समय तक यह सुंदर और सुरक्षित बना रहे। 


वे लोग कल दोपहर बारह बजे ‘सॉंग ऑफ़ साउथ’ पहुँचे, जो एक विशाल सोसाइटी है। वहाँ कई बड़े-बड़े लॉन तथा पार्किंग स्थल थे। उसमें बाहरवें टावर में सत्रहवीं मंज़िल पर मित्र का घर है। कुछ अन्य लोग तथा उसके भाई-भाभी व भतीजी पहले से ही वहाँ उपस्थित थे। सोसाइटी के क्लब हाउस में भोजन का इंतज़ाम किया गया था। पूजा सुबह ही हो चुकी थी। नन्हे ने बताया, कल रात एयरपोर्ट से भाई के परिवार को लाते समय मित्र की कार को एक प्राइवेट बस ने टक्कर लगायी, बाँयी तरफ़ का पिछला दरवाज़ा धँस गया, भाई वहाँ बैठे थे, पर सौभाग्य से उन्हें कोई चोट नहीं आयी।फ़ोन करके उसने नन्हे को बुलाया, वे सब उसकी कार में बैठ कर रात को एक बजे घर लौटे।


रात्रि के नौ बजे हैं। साढ़े नौ बजे गुरुजी की एबीसी टीम के साथ मीटिंग है।जिसमें सभी अनुवादकर्ताओं से चर्चा होगी और उन्हें दिशा निर्देश भी दिये जाएँगे।आज महिला दिवस के उपलक्ष्य में सोसाइटी में योग सत्र का आयोजन किया गया था। सुबह कई लोगों को महिला दिवस पर संदेश भेजे। पापाजी से बात हुई, उन्हें गुरुजी पर लिखी उसकी कहानी पसंद आयी। सुबह वे टहलने जाते हैं तो किसी न किसी सड़क पर सूखे पत्तों के ढेर पर सोया कुत्तों का परिवार भौंक कर अपनी नाराज़गी व्यक्त करता है, उनकी नींद में जैसे ख़लल पड़ गया हो। ‘देवों के देव’ में रावण का अहंकार टूटते देखा, जब शिव ने उससे कहा, भक्ति का अहंकार भक्त को डुबा देता है।रावण कितना बड़ा विद्वान था पर अपनी भक्ति और ज्ञान का गर्व उसे ले डूबा।


आज घर में पीछे आठ दिनों से चल रहा काम पूरा हो गया। सुबह साईं बाबा पर एक फ़िल्म देखनी आरंभ की थी, जो अभी उनके जन्म की कथा के साथ समाप्त होने वाली है। इस फ़िल्म में उनकी अद्भुत बाल लीलाएँ दिखायी गई हैं।यह भी दिखाया गया है कि देवत्व उन्हें जन्म से ही प्राप्त था, जिसे वह सहज ही प्रकट भी करते थे, जिसका जगत को सदा लाभ मिलता था और आज भी मिल रहा है। प्रेम और करुणा की मूर्ति थे, सेवा उनका सहज स्वभाव था। इतने वर्षों तक उनके बारे में कितनी अफ़वाहें भी प्रचलित हो गई हैं, कोई उन्हें जादूगर बताता है तो कोई फ्रॉड भी। सत्य क्या है, यह कौन जानता है। शायद सबका अपना-अपना सत्य है। आज दिन भर परमात्मा की कृपा का अहसास होता रहा, वही तो है सबका आधार ! संत कहते हैं, वह अपना आप ही तो है। वह तो सदा से ही था, अब उसकी प्रतीति अनायास ही रहने लगी है। 


आजकल एक विचित्र बात उसके साथ हो रही है।जो भी विचार मन में आता है, वह घट जाता है। उसके बिना कहे ही जून वैसा ही करने लगते हैं। उसकी छोटी-छोटी इच्छाएँ पूरी होती रहती हैं।इच्छा उसके लिए लाभप्रद है या नहीं इसका कोई भेद नहीं रहता। परमात्मा की शक्ति रहस्यमयी है। विचार ही वस्तु बन जाते है,  इसका  प्रत्यक्ष उदाहरण एक बार नहीं अनेक बार मिला है पिछले दिनों। आज दिन भर मन हल्का सा रहा है, मन के साथ तन में भी हल्कापन लग रहा है। नापा, उनकी सोसाइटी में शिवरात्रि की तैयारी चल रही है। मंदिर के रास्ते पर बिजली के बल्ब लगा दिये गये हैं, आगे एक तरफ़ तख़्त बिछाया  गया है, स्टेज जैसा, शायद बच्चे अपना कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगे। आश्रम में गुरुजी द्वारा शिवसूत्र पर दो दिनों का व्याख्यान चल रहा है। अद्भुत है शिवसूत्र ! पहले उसने शिवसूत्र पर ओशो को व्याख्या भी सुनी थी।नन्हे के एक जूनियर साथी की यात्रा के दौरान हृदयाघात से मृत्यु हो गई, कुछ दिन पूर्व उसका तलाक़ हुआ था। लिवर व किडनी की भी समस्या थी। शायद अपने पापा से  उसका रिश्ता भी अच्छा न रहा हो, पिता ने उसकी माँ के न रहने पर दूसरा विवाह कर लिया था। कभी-कभी जीवन कितना विचित्र रूप लेकर आता है। एक परिचिता से पता चला, विवाह टूटने से वह अवसादग्रस्त था।उसके पिता बहुत दुखी हैं।  


आज शिवरात्रि है, वे कुछ देर पूर्व ही मंदिर से होकर आये हैं। बहुत भीड़ थी, बच्चे नृत्य के लिए तैयार थे। महिलाएँ श्लोक उच्चारण कर रही थीं। कुछ लोग खड़े थे। मंदिर में पुजारी पूजा कर रहा था। वे मास्क ले जाना भूल गये, सो जल्दी वापस लौट आये। कल सुबह एक मेडिकल कॉलेज में कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने जाना है।साईं बाबा की किताब आगे पढ़ी, अनोखे व्यक्ति ?संत थे वे। संत व्यक्ति नहीं रह जाता, वह समष्टि से एक हो जाता है। उसके चमत्कारों से पुस्तक भरी पड़ी है।गुरु जी के पास रहने वाले भी कितने ही चमत्कारों का अनुभव करते हैं, उसने स्वयं भी अनेकों बार अनुभव किया है।आश्रम के सत्संगका टीवी पर प्रसारण देखा, आज चित्रा जी आयी हैं, जिनके सुमधुर भजन सुनकर मन मंत्रमुग्ध हो जाता है।  



Tuesday, August 27, 2024

ड्रोन की उड़ान


ड्रोन की उड़ान 

आज रविवार था, सामान्य दिनों से काफ़ी अलग रहा। सुबह वे जल्दी उठकर टहलने गए, सब तरफ़ सन्नाटा था, हवा ठंडी थी और आकाश में नारंगी रंग का चाँद चमक रहा था।अनादि काल से  चंद्रमा मानव को आकर्षित करता आया है, इसे मन का देवता भी कहा गया है। वैज्ञानिक यह भी मानते हैं कि सोम के रूप में यह वनस्पति जगत को रस प्रदान करता है, जो उनके विकास के लिए अति आवश्यक है।घर आकर प्राणायाम और कुछ आसन किए, ये भी तो मानव को हज़ारों वर्ष पूर्व ऋषि मुनियों ने प्रदान किए थे, समय के साथ मानव ने उसमें कुछ परिवर्तन किए हैं पर मूल स्रोत तो प्राचीन ग्रंथ हैं। नूना ने नाश्ते में मेथी के पराँठे बनाये और जून ने सोनू के प्रमोशन की ख़ुशी में खीर बनायी।दोनों ही बच्चों को पसंद आयी। नन्हा ड्रोन उड़ाने के लिए जाने वाला था, सभी को साथ ले गया, सब ठीक चल रहा था कि उसका एक पंख टूटकर गिर गया और बहुत खोजने पर भी नहीं मिला। उसके अधरों पर मुस्कान तैर गई, लगभग हर बार ड्रोन उड़ाने पर कुछ न कुछ खो जाता है, और फिर काफ़ी समय उसे ढूँढने में लगता है।एक बार तो पूरा ड्रोन ही किसी की बगिया में और दूसरी बार किसी की छत पर जाकर गिर गया था। बगिया वाला महीनों बाद उन्हें मिला और छत के लिए सीढ़ी मँगवानी पड़ी थी। मकान मालिक शहर से बाहर गये हुए थे। वापस आये तो देखा, सोसाइटी के क्लब हाउस में बाटा के जूतों की सेल लगी थी। कुछ ख़रीदारी की, नन्हे ने अपने पैर की स्कैनिंग करवायी, फ़्लैट फ़ीट का पता चला, अब वह जूते में लगाने के लिए एक डिवाइस ख़रीद सकता है, जिससे पैर को आराम मिलेगा।उसने एड़ी के लिए एक सपोर्ट लिया। इन सब की पहले उन्हें जरा भी जानकारी नहीं थी।


आज से घर में सिविल का काम शुरू हुआ है, नन्हे ने बताया उनके यहाँ भी कुछ काम होना है। मज़दूर सुबह ग्यारह बजे आये और शाम को गये।अगले दो हफ़्ते ऐसे ही चलेगा। लीकेज की समस्या से बचने के लिए छत व उसकी दीवारों पर एक जलरोधी पेपर चिपका कर उस पर पेंट भी करवाना है। आज बायीं तरफ़ के पड़ोसी परिवार सहित उनकी छत से अपने घर की छत की ढुलाई देखने आये थे।इसके पहले उन्होंने न जाने  कितने ही घर बनते हुए देखे होंगे पर अपने घर की हर बात अनोखी लगती है।आज से कोरोना वैक्सीन लगनी शुरू हो गई हैं। दिल्ली में बड़े भाई ने लगवा ली है ।


रात्रि के नौ बजने को हैं, जून बिस्तर पर लेट चुके हैं। दिन भर घर में चल रहे काम की निगरानी रखते-रखते भी थोड़ी थकान स्वाभाविक है। आज शाम को टहलते समय फूलों की सुंदर तस्वीरें उतारीं। आजकल बोगेनविलिया अपने पूरे शबाब पर है। सुबह एक ऐप के ज़रिए सूर्योदय का वीडियो बनाया था। कल संभव हुआ तो सूर्यास्त का वीडियो बनाएगी।शाम को असमिया सखी का फ़ोन आया, वे लोग कल आ रहे हैं, बेटी की परीक्षा है, परसों चले जाएँगे। जून मेहमानों के लिए बेकरी शॉप से  दो केक और एक गार्लिक ब्रेड लाए हैं।


कल रात एक अनोखा स्वप्न देखा। गुरुजी आश्रम में भ्रमण कर रहे हैं। असम की एक पुरानी मराठी सखी भी वहाँ है जून और वह दूर से देखते हैं। सखी उसे बुलाती है और गुरुजी से परिचय कराती है। वह उनके चरणों का स्पर्श करने के लिए झुकती है, पहले अपने हाथों से उनके दोनों पैरों का, फिर मस्तक से बारी-बारी पहले बायें फिर दायें पैर का। फिर वह उस उठने को कहते हैं। उस क्षण में जैसे मन बहुत हल्का हो गया था और समर्पण के बाद की एक निश्चिंतता का अनुभव हुआ।वर्षों पहले गुरुजी से मिलकर केवल हाथ जोड़कर नमस्कार ही किया था, कभी पैरों को स्पर्श करने का भाव ही नहीं जगा, अहंकार तब मिटा ही नहीं था, अब लगता है वह घड़ी निकट आ गई है। 


आज शाम को आश्रम से प्रसारित हो रहा सत्संग देखा-सुना। दिन में एओएल से आया एक अनुवाद कार्य किया, आलेख का शीर्षक था ‘शिव तत्व’। इस आलेख में गुरु जी ने एक जगह कहा है , शिव अविनाशी शून्य तत्व है, वह ऐसा अंधकार है जो अपने भीतर सृजन की क्षमता छिपाए है, हर मन की गहराई में वही सो रहा है, साधना के द्वारा उसको  जगाना है।शिव ही बाहर सदगुरु बन कर आता है, जिसके आने से जीवन में नया मोड़ आता है, वह सदा नयी राह दिखाता है। शिव ही ज्योति पुंज सम आत्म तत्व है जो अंधकार को भेद कर प्रकटना चाहता है। अभी कुछ देर पहले ‘देवों के देव-महादेव' धारावहिक में देखा, शिव तांडव स्रोत की रचना रावण ने किस घटना के कारण की थी। सचमुच रावण कितना बड़ा विद्वान था और कवि भी, लेकिन उसके अहंकार ने उसे कहीं का नहीं छोड़ा।  वैक्सीन लगने के बाद वे भी आश्रम जाना शुरू करेंगे। 


आज शाम को वृद्ध अंकल ने, जो उन्हें अक्सर संध्या भ्रमण के समय मिल जाते हैं,  अपनी गाड़ी में लिफ्ट दी, वह उनके घर भी आना चाहते थे, पर ड्राइवर ने उनके बेटे का हवाला देकर मना कर दिया। अंकल की आँखों की विवशता देखकर अच्छा नहीं लग रहा था पर कुछ भी किया नहीं जा सकता था। ड्राइवर की बात वे कैसे टालते, जो रोज़ शाम को उन्हें गाड़ी में बिठाकर बगीचे के पास उतार देता है और जब छड़ी के सहारे वे टहलते हैं तो उनके साथ-साथ चलता है।मेहमान नहीं आ पाये, सखी के पतिदेव की पीठ में दर्द हो गया था। अब गार्लिक ब्रेड के सैंडविच उन्हें अकेले ही खाने होंगे।मौसम आजकल दिन में गर्म रहता है पर सुबह ठंडी रहती है अभी भी। अभी-अभी एक दुखद समाचार सुना, असम की एक परिचिता का, जो उसके पास एक बार योग सीखने भी आयी थी, हृदय की सर्जरी के बाद देहांत हो गया।जीवन क्षण भंगुर है, वह बार-बार याद दिलाता है, पर वे रोज़ की आपा-धापी में इसे भूले रहते हैं। 



Friday, July 19, 2024

‘द अनटेथर्ड सोल’

द अनटेथर्ड सोल


खिड़की से आती हुई ठंडी हवा के झोंके यहाँ पलंग तक आ रहे हैं, जहाँ बैठकर वह लिख रही है। आज भी वर्षा की भविष्यवाणी थी, पर हुई नहीं। एक और रविवार परिवार के साथ मिलकर मनाया। सुबह माली से आश्रम से लाए तुलसी और पोंसेतिया के पौधे लगवाए। माइकल की दूसरी किताब ‘द अनटेथर्ड सोल’ आ गई है, कुछ पन्ने पढ़े। उसमें भी यही कहा है, अपनी वास्तविक पहचान का विस्मरण नहीं करना है। स्वयं को आत्मस्थ रखना है, भूलना नहीं है कि वे कौन हैं ? वे बाहरी दृश्यों में स्वयं को इस तरह खो देते हैं कि अपने आपको ही भूल जाते हैं। विचारों और भावनाओं से स्वयं को तुष्ट करना चाहते हैं पर वे उनसे भी परे हैं। सुबह टहलते समय पुस्तक में ह्रदय चक्र के बारे में पढ़ी बातों पर ध्यान लगा रहा। 

आज संस्कारों के बारे में पढ़ा, किस तरह कोई वर्षों पुराना संस्कार जागृत होकर ह्रदय की धड़कन को बढ़ा सकता है। साधक को साक्षी भाव में रहकर उसे देखना है, प्रभावित नहीं होना है। संस्कार ऐसे ही छूटते जाते हैं और एक दिन भीतर शुद्ध चेतना ही रह जाती है। भय का संस्कार भी ऐसे ही निकल सकता है।आत्मस्थ रहने का प्रयास ही साधना है, वही पुण्य है और वही समाधि है। मौन से बहुत से काम आसानी से हो जाते हैं।आज मौसम ज़्यादा गर्म है, फागुन आने ही वाला है, अर्थात होली की रुत ! बचपन में कितने पापड- चिप्स बनते थे इन दिनों। शाम को पापाजी से बात हुई, उन्होंने कहा, उसे अपनी रचनाएँ अख़बार में छपने के लिए भेजनी चाहिए। वे मोदी जी की बहुत तारीफ़ कर रहे थे। बड़े भाई ने एक पुस्तक का लिंक भेजा है, ‘लिविंग ऑन द एज’, इस पुस्तक की समाप्ति पर उसी को पढ़ना शुरू करेगी। 


‘देवों के देव’ में जालंधर का आज अंत हो गया। शिव व पार्वती का पुनर्मिलन हुआ। प्रकृति और पुरुष का मिलन, जैसे मन और आत्मा का मिलन। मन प्रकृति का अंश है और आत्मा पुरुष का।सुबह टहलने गये तो जून ने कहा, उम्र के कारण उन्हें थकान का अनुभव हो रहा है। फिर उन्होंने दीपक चोपड़ा की पुस्तक ‘एजलेस बॉडी टाइमलेस माइंड’ के कुछ अंश उन्हीं की वाणी में सुने। वह कहते हैं, शरीर ठोस नहीं है, बल्कि तरंगों से बना है तथा प्रतिपल बदल रहा है। उसमें बदलाव लाता है मन, यदि मन सकारात्मक है तो शरीर में अच्छे रसायन उत्पन्न होंगे तथा रोग नहीं होंगे। यदि तनाव बना रहा तो हानिकारक रसायन उत्पन्न होंगे जो बुढ़ापे के लक्षण जल्दी ला सकते हैं। क्वांटम फ़िज़िक्स के अनुसार सभी पदार्थ ऊर्जा से ही बने हैं, अंततः वे ऊर्जा हैं, मन भी ऊर्जा है, जो देह पर हर क्षण प्रभाव डालती है।


आज आश्रम में हुए सत्संग में गुरुजी को सुना। उन्होंने कई प्रश्नों के उत्तर दिये। एक प्रश्न के उत्तर में बताया, सब कुछ ब्रह्म है, ब्रह्म ही सत्य है, शेष सब मिथ्या है, सब स्वप्न है अथवा तो शून्य है। इतना श्रेष्ठ ज्ञान इतने सारे लोगों को एक साथ वह दे देते हैं क्योंकि वह स्वयं उसमें स्थित हैं। जैसे कृष्ण ने आरंभ में ही अर्जुन को आत्मा का श्रेष्ठ ज्ञान दिया, पर वह समझ नहीं पाया। धीरे-धीरे कर्मयोग व भक्ति योग की बात करते हुए पुन: गुह्यतम ज्ञान दिया।सुबह योग साधना करते समय ‘वृद्धावस्था में वजन क्यों कम हो जाता है’, इसकी जानकारी एक वीडियो से ली, ताकि दीदी को कुछ सुझाव दे सके। 


जून के एक पुराने सहकर्मी के यहाँ गये आज सुबह, उन्होंने नींबू, इलायची और गुड़ का शरबत पिलाया। बातचीत के दौरान वह कहने लगे, कोरोना विष्णु का ग्यारहवाँ अवतार है, जो दुनिया में असमानता को दूर करने के लिए आया है। अमीर-ग़रीब हर देश को इसका क़हर झेलना पड़ा है। उन्हें साथ लेकर एक अन्य सहकर्मी के श्राद्ध में जाना था। वहाँ कई पुराने परिचितों से भेंट हुई। पता चला, जाने वाले को दर्द रहित बहुत आसान मृत्यु मिली, वह स्वयं गाड़ी चलाकर डाक्टर के पास सीने में हो रही घबराहट का इलाज कराने गये थे, जहाँ से लौट नहीं पाये। दो पुत्रों व पत्नी को छोड़ गये हैं, परिवार धीरे-धीरे संभल ही जाएगा। केले के पत्ते पर परोसा गया श्राद्ध का दक्षिण भारतीय भोज सोलह व्यंजनों से बना था।जीवन इसी आवागमन का नाम है।    

   


Tuesday, July 9, 2024

किनोवा की उपमा

किनोवा की उपमा 

सुबह फिर देर से नींद खुली। कल रात फिर एक दु:स्वप्न देखा। भांजी एक कार चला रही है, जिसमें पिछला दरवाज़ा खुला है। वह सुनती नहीं और तेज़ी से गाड़ी को ले जाती है। कार एक गड्ढे में गिर जाती है। स्वप्न के बाद नींद खुल गई, फिर देर बाद आयी। मन कितने स्वप्न बुन लेता है, फिर भाई को भी देखा, बचपन की कितनी बातें याद हो आयीं। पिछले जन्मों से भी जुड़ी हैं जिसकी तारें। सुबह उससे बात की, बिटिया ठीक है, पचास मंज़िल वाली इमारत में चौबीसवीं मंज़िल पर रहती है। आजकल वहाँ भी लॉकडाउन है, घर का सामान ऑर्डर करने से आ जाता है; यह भी बताया उसके समधी नाराज़ हैं, वक्त ही बताएगा, आगे क्या होने वाला है।शाम को जून के एक पुराने मित्र से उनकी बात हुई, उनकी बहू भी नाराज़ होकर घर छोड़कर चली गई है, बात तलाक़ तक पहुँव गई है। आजकल विवाह टूटना सामान्य बात होती जा रही है। ‘द सरेंडर एक्सपेरिमेंट’ पुस्तक उसने पूरी पढ़ ली है। बहुत अच्छी पुस्तक है, जो यह बताती है कि मानव के जीवन में होने वाले तनाव और चिंता का कारण बाहरी परिस्थितियाँ नहीं बल्कि उसके मन की यह धारणा है कि अपने जीवन को वह चला रहा है, जबकि यहाँ सब कुछ अपना आप हो रहा है, यदि कोई समर्पण के भाव से जीवन को जीना सीख ले तो अपनी ऊर्जा को व्यर्थ गँवाने की जगह उसका उपयोग अच्छी तरह कर सकता है। जून ने इसी लेखक की दूसरी किताब भी ऑर्डर कर दी है। वह आजकल चेतन भगत की एक किताब पढ़ रहे हैं, जो नूना को कम भाती है। 


सुबह उस समय अंधेरा ही था, जब वे टहलने गये; आकाश में बादल थे।छह बजे के समाचार सुने और फिर विविधभारती पर भजन। बचपन से घर में सुबह इसी तरह रेडियो के साथ होती थी। नाश्ते में किनोवा की उपमा बनायी, उसे पता ही नहीं था कि बथुआ के बीज को किनोवा कहते हैं, इससे होने वाले अनेक फ़ायदों के बारे में अवश्य सुना था।  आज वसंत पंचमी पर कविता पोस्ट की, और कंचन के फूलों की तस्वीरें उतारीं । दोपहर को जून ने गोभी व कुछ अन्य सब्ज़ियाँ डालकर चावल बनाये। उनकी पाककला में निखार आता जा रहा है, और उसे लिखने-पढ़ने का अधिक समय मिल जाता है।सुबह जून के एक पुराने सहकर्मी के देहांत का समाचार मिला, जो बैंगलुरु में ही रह रहे थे। नन्हे ने अति उत्साहित होकर बताया शनिवार को वे लोग मित्रों के साथ मैसूर के पास कैंपिंग के लिए जा रहे हैं, इतवार को लौटते समय आयेंगे और उन्हें अपने अनुभवों के बारे में बतायेंगे। कैंपिंग की बात सुनकर ही उसका मन भी कल्पना में प्रकृति के साथ एक हो गया है। वर्षों पहले उत्तरकाशी में नदी किनारे टहलते समय कुछ कैंप देखे थे, जब वे वहीं एक नये बने छोटे से होटल में रह रहे थे। शायद तभी नन्हे के मन में भी इस इच्छा का बीज पड़ा होगा, जो आज साकार हो रही थी।   


आज सुबह वे आश्रम गये। वहाँ कदम रखते ही एक अलग तरह का सुकून महसूस होता है। शाम को बहुत भीड़-भाड़ होती है, पर सुबह बहुत कम लोग थे, हरे-भरे रास्तों पर टहलते हुए प्रकृति के सान्निध्य का आनंद लिया, कुछ तस्वीरें उतारीं। बगीचे में सीढ़ियों पर बैठकर ध्यान किया। विशालाक्षी मंडप में कुछ समय बिताया। नारियल पानी पिया, आश्रम की नर्सरी से कुछ पौधे ख़रीदे। दोपहर होने को थी, सो विशाला कैफ़े में दोसा खाया। शाम को बड़े टीवी पर सत्संग का सीधा प्रसारण देखा। गुरु जी ने हँसते-हँसाते प्रश्नों के जवाब दिये, ध्यान कराया। एक क़व्वाली पर नृत्य की मुद्राएँ भी बनायीं। वह कितने सहज रहते हैं, बीच-बीच में बालों को संवारते हैं, हर प्रश्न के उत्तर में किसी न किसी तरह आत्मा की ओर लौटने की बात बताते हैं। जीवन में गुरु के पदार्पण के बाद ही यह आभास होता है कि वे जी तो रहे हैं लेकिन यह भी नहीं जानते कि जीवन का उद्देश्य क्या है ? उससे भी पहले, वे कौन हैं ? योग साधना द्वारा यह ज्ञात होने पर कि वे देह या मन नहीं हैं, बल्कि इनका आधार शुद्ध, बुद्ध आत्मा हैं, यह खोज समाप्त हो जाती है। अब जीवन पहले की तरह बेहोशी में तो नहीं चल सकता। मात्र देह धारण किए रहना तो आत्मा का ध्येय नहीं हो सकता। आत्मा की शक्तियों व उसके गुणों का अनुभव करना और उन्हें अभिव्यक्त करना हो सकता है। आज सुबह नापा में हो रहे ‘सूर्य नमस्कार’ के आयोजन में भाग लिया। जीवन में दूसरी बार १०८ बार सूर्य नमस्कार किया। इसके पूर्व एक बार असम में किया था। शाम को तेज वर्षा हुई; बादलों ने बरस कर जैसे पूरी तरह अपना जी हल्का कर लिया।