आज भी दिन भर व्यस्तता बनी रही. सुबह उठी तो सिर
की चोटी पर हल्का सा दर्द था, पर देह पर सभी जगह सहजता थी, सो ध्यान वहीं ले गयी
और दर्द का ख्याल जाता रहा. दोपहर को डिब्रूगढ़ में ब्रह्मपुत्र पर बने नये पुल को
देखने वे गये. यात्रा अच्छी रही. वापसी में छोटे भाई का फोन आया, बुआ जी कोमा में
चली गयी हैं, उन्हें मृत समझकर एक बार नीचे लिटा दिया गया था पर डाक्टर ने कहा,
नब्ज अभी चल रही है. जीवन का अंत भी कितने विचित्र तरीकों से होता है. लौटकर वे
तैयार हुए और एक परिचिता के यहाँ भोज आमन्त्रण में गये. उसकी माँ से खूब बातें
हुईं, उसके पिताजी नब्बे वर्ष के हैं और उम्र के हिसाब से काफ़ी ठीक हैं.
सुबह नींद देर से खुली, रात्रि को घर आते-आते साढ़े दस बज
गये थे. मौसम गर्म था, और कमरे में एक मच्छर भी आ गया था, सो नींद आती-जाती रही.
सुबह की दिनचर्या को नियमित रखा, रविवार होने के कारण जल्दी नहीं थी. नाश्ते में
अखरोट, भीगे बादाम, खुबानी, और च्यवनप्राश के रूप में पौष्टिक आहार भी था. जून को
बैलीनो कार की टेस्ट ड्राइव पर जाना था, जो वह बंगलूरू जाकर खरीदना चाहते हैं. वह
अपनी पिछली यात्रा के दौरान ही खरीदना चाहते थे पर नन्हे ने मना कर दिया. आर्ट ऑफ़
लिविंग के दो टीचर मिलने आये तब वह वापस आ चुके थे. उन मित्र के घर गये जिनका
सामान ट्रक में लोड हो रहा था, उसे भविष्य का वह दिन कल्पित हो आया जब उनका सामान
भी इसी तरह चढ़ाया जा रहा होगा. तीन दशक के असम प्रवास के बाद वे जब यहाँ से
जायेंगे तो कितनी स्मृतियाँ साथ ले जायेंगे. दोपहर को बच्चों की योग कक्षा थी, वे
उत्साह से भरे थे, दो घंटे कैसे बीत गये पता ही नहीं चला. रात को सहजन के फूलों की
सब्जी बनाई उसने.
सवा दस बजे हैं सुबह के यानि प्रथम प्रहर बीत चुका है. सुबह
अलार्म सुनाई दिया, पर बंद कर दिया, कुछ देर बाद कोई आवाज सुनाई दी, फिर दोबारा
सुनाई दी और नींद खुल गयी. परमात्मा उनसे अकारण प्रेम करता है, प्रेम उसका स्वभाव
है, उसके प्रति हृदय कृतज्ञता से भर गया. घूमने गये, सड़क भीगी हुई थी, रात को कभी
पानी बरसा होगा. स्कूल से वापसी में उस सखी से मिलने गयी शाम को वे लोग जा रहे
हैं, शाम को फिर उनसे मिलने जायेंगे, उसकी माँ के लिए खाना बनाकर ले जाना है. बाहर
बिजली की तार बिछाने का कोई काम चल रहा है, नैनी की आवाज भी आ रही है, जितना धीरे
वह यहाँ बोलती है उतना ही तेज घर पर बोलती है. कल शाम को घर में झगड़ा कर रही थी,
मारपीट पर भी उतर आते हैं ये लोग, बाद में उसे बुलाकर समझाया और सबके लिए चाय
बनाकर ले जाने को कहा. उनके जीवन में शांति और प्रेम के कुछ क्षण आएं, ऐसा उसका मन
सदा ही रहता है. फोन नहीं चल रहा है कल से सो वाई फाई भी नहीं चल रहा है. फोन पर
डाटा है सो ठीक है. अभी-अभी बुआजी को स्काइप पर देखा, वह शांत भाव से लेटी हैं, इस
दुनिया में होकर भी यहाँ नहीं हैं जैसे. एक बार आवाज निकाली और मुंह बंद किया, उनकी
श्वास चल रही है पर न बोल रही हैं, न ही सुन रही हैं. मृत्यु के कितने नये-नये ढंग
हैं इस दुनिया से ले जाने के. शाम की योग कक्षा में आर्ट ऑफ़ लिविंग टीचर आई थी, कोर्स
में भाग लेने के लिए कहने पर सभी साधिकाओं के साथ कोई न कोई समस्या है. जीवन
उन्हें अवसर देता है पर वे व्यस्त होते हैं, उसने भी न जाने कितने अवसर गंवा दिए
हैं. शायद जब तक सारे संयोग न मिलें, कोई कृत्य नहीं हो पाता. दोपहर को बहुत दिनों
बाद ब्लॉग पर लिखा.
ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 22/08/2019 की बुलेटिन, " बैंक वालों का फोन कॉल - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार !
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