आज कोर्स का तीसरा दिन था, सुबह छह बजे वे
निर्धारित स्थान पर पहुँच गये थे. सुबह वह जल्दी तैयार होकर ड्राइवर की प्रतीक्षा
कर रही थी तो कपोफूल के चित्र उतारे, फेसबुक पर पोस्ट भी किये. सुबह के सत्र में
दो बार पद्म साधना करवाई गयी. नाश्ते में दलिया मिला, जो काफ़ी स्वादिष्ट था पर नमक
थोड़ा कम था. एक प्रक्रिया करवाई गयी जिसमें अपनी पहचान बदल लेनी थी, एक महिला
प्रतिभागी के साथ उसने अपनी पहचान बदली. वह पटना में रहने वाली अपनी जेठानी के
व्यवहार से बहुत परेशान है. उत्तर भारत में विवाह किया जब वह दिल्ली युनिवर्सिटी
में थी, एक पुत्री है पर अब डिस्टेंट मैरिज चला रही है, क्योंकि सरकारी नौकरी है
उसकी स्कूल में. लेकिन वह आश्वस्त है कि शादी निभेगी. एक अन्य प्रक्रिया में एक
नेता जैसे चलेगा समूह के सभी लोगों को वैसे ही चलना है. उससे दो बार भूल हुई
इसमें, समूह के अन्य सदस्यों को सही करना है यदि कोई भूल करता है. दो बार योग
निद्रा की, तीन बार भस्त्रिका प्राणायाम. देह में ऊर्जा का स्तर बढ़ गया है और बहुत
सारी सीमाएं टूटी हैं. मन में जो बाधाएं थीं उनका भान हुआ है. गुरूजी का दूसरा
सेशन था आज. उन्होंने कमिटमेंट के बारे में बहुत अच्छी तरह समझाया और प्रश्नों के
उत्तर दिए. एक व्यक्ति कोर्स के दौरान परेशान हो गये और टीचर को उनकी कठोरता के
लिए कुछ शब्द कहे. अहंकार को तोड़ने के लिए किये गये उपाय बताये गये हैं इस कोर्स
में, सो अहंकार को चोट लगना स्वाभाविक है. प्रतिभागियों को उन तीन क्षेत्रों के
बारे में लिखने को भी कहा जिनमें वे अटक गये हैं और आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं. कल
रात्रि जो गृहकार्य दिया गया था, वह अद्भुत था. उनकी मृत्यु हो चुकी है और उन्हें
अपनी मृत्यु के बाद eulogy लिखी है, अर्थात मरणोपरांत लिखने वाला संदेश लिखना है.
आज सुबह उनका नया जन्म हुआ है, जीवन को अब नये दृष्टिकोण से देखना होगा. वे देह
नहीं हैं, एक आत्मा हैं, जिसे यह देह मिली है. जिसके द्वारा उन्हें अपने जीवन की
शेष कहानी लिखनी है, कुछ ऐसा करना है जिससे उनके इर्दगिर्द कुछ परिवर्तन आये.
डीएसएन का यह कोर्स उसके जीवन में अवश्य ही एक परिवर्तनकारी मोड़ साबित होगा. सत्रह
वर्ष पहले उसने बेसिक कोर्स किया था, इतने समय के बाद यह अवसर मिला है. अवश्य ही
परमात्मा उसके जीवन की बागडोर उसके विवेक के हाथ में देना चाहते हैं न कि उसके मन
के हाथों में. कल से खुली आँखों से ही जो भी दृश्य सोचती है मन में, देख पा रही
है. शिवानी कहती है, मन सोचता है, बुद्धि दिखाती है. आज यह स्पष्ट हो रहा है. उनके
मन की क्षमता अपार है, जिसे उलीचना उन्हें आना चाहिए.
आज कोर्स का अंतिम दिन था. टीचर का उत्साह देखते ही बनता
है. उन्होंने प्रतिभागियों को प्रेरित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. अब यह उन पर
निर्भर करता है कि अपने लक्ष्य के प्रति वे कितने समर्पित हैं. इस समय रात्रि के
साढ़े आठ बजे हैं. सुबह चार बजे उठी थी, पौने सात बजे से कोर्स आरंभ हुआ. पहले
साधना, फिर टीचर ने शुभकामना कार्ड्स बनाने को कहा, बाद में पता चला निमन्त्रण
पत्र बनाने हैं जो गुरूजी के जन्मदिन पर लोगों को बांटने हैं. एक प्रक्रिया में
समूह के सभी लोग एक सदस्य को एक-एक कर उसकी एक भूल बताते हैं. उसे अन्तर्मुखी
होने, खुद में ही व्यस्त रहने, अहंकारी होने तथा दूसरों की बात न सुनने का दोषी
पाया गया. ये सारी बातें किसी हद तक सही हैं. अपने सामने उसे कोई कोई नजर नहीं आता
क्योंकि दूसरा यहाँ कोई है ही नहीं. पर पारमार्थिक सत्य और व्यावहारिक सत्य में
अंतर होता है. आज वे ज्ञान के मन्दिर भी गये. नाश्ता और भोजन आज दोनों ही विशेष थे
और गरिष्ठ भी. टीचर ने अन्य सभी आर्ट ऑफ़ लिविंग टीचर्स को जिन्होंने यह कोर्स
करवाने में मदद की, सामने बुलाकर सम्मानित किया और उनके अनुभव सुनवाये. इसी महीने
पहला तथा अगले महीने दूसरा बेसिक कोर्स करवाना है, 'गतिमय उसे' भी इसमें सहयोग
देना है. एक टीचर ने कहा, तीसरे महीने वह ध्यान का कोर्स भी करवाएगी. उन्हें
गुरूजी के आध्यात्मिक सैनिक बनकर समाज में ज्ञान का प्रचार और प्रसार करना है.
कोर्स के दौरान तीन तरह के लोगों की बात भी गुरूजी ने बताई. पहले वे जो दूसरों को सुख
देते हैं, दूसरे जो लोगों के साथ सहज व्यवहार करते हैं और तीसरे वे जो अन्यों को
परेशान करते हैं. इसी तरह कुछ लोग चींटी की तरह होते हैं, कुछ मक्खी की तरह, कुछ
तितली की तरह और कुछ मधुमक्खी की तरह होते हैं. उन्हें समाज के लिए उपयोगी बनना
है. सेवा का छोटा सा कृत्य भी उन्हें तृप्त कर देता है.
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (28-08-2019) को "गीत बन जाऊँगा" (चर्चा अंक- 3441) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत बहुत आभार !
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