आज बहुत दिनों बाद 'कल्याण' के 'जीवनचर्या अंक'
में वेदों के सुंदर मन्त्र पढ़े, अद्भुत प्रार्थनाएं की गयी हैं उनमें. इन्हें
स्कूलों में पढ़ाना चाहिए. लोपामुद्रा और अगस्त्य मुनि का जीवनचरित पढ़ा. सूर्य
उपासना के बारे में एक अध्याय है, बाद में पढ़ेगी. जून का बुखार उतर गया है पर स्वास्थ्य
अभी भी पूरी तरह ठीक नहीं हुआ है, पर उनमें गजब की जीवट शक्ति है, दफ्तर गये हैं. कल
दोपहर पदोन्नति के लिए उनका साक्षात्कार है. सौ में दस अंक ही हैं इसके. पचास एपीआर,
बीस इडीसी और अन्य बीस भी किसी अन्य परीक्षा के जो पहले ही हो चुकी है. परिणाम
अप्रैल में आएगा. वर्षा दोपहर को रुक गयी थी पर शाम होते-होते बादल फिर से जुट गये
और वर्षा आरंभ हो गयी तेज हवा के साथ. शाम को ही अचानक सैकड़ों पतंगे बरामदे के
बल्ब पर मंडराने लगे, कुछ ही घंटों में उनकी जीवनलीला समाप्त हो गयी और सब जमीन पर
गिर गये. पर्वत भी मानवों को देखकर सोचते होंगे, कितना क्षणिक है इनका जीवन.
सुबह टहलने गयी तो कल रात की वर्षा के कारण सड़क पर पानी जमा
था, जिसमें पेड़ों की छायाएं बेहद सुंदर लग रही थीं, तस्वीरें उतारीं. शाम को गुरु
माँ का एक प्रवचन सुना जो वह बच्चों को दे रही थीं. एक नई कविता लिखी. काव्यालय की
संपादिका ने उसके कमेन्ट को पसंद किया है. सुबह महीनों बाद रामदेव बाबा का सीडी लगाकर प्राणायाम
किया, कपालभाति के कितने ही लाभ उन्होंने उसमें गिनाये हैं.
टीवी पर भारत-बांग्लादेश क्रिकेट मैच का फाइनल मैच आ रहा
है, भारत शायद विजयी हो जायेगा. आज उसने अरसे बाद गाजर का हलवा बनाया है, भूल ही
गयी थी कैसे बनता है. जून इसमें दक्ष हैं. फुफेरे भाई से बात की, बुआ जी आज
डाक्टर्स को डांट रही थीं, अपने दामाद को पहचान नहीं पायीं, अभी आईसीयू में ही
हैं. दोपहर को बच्चों ने योग किया, भजन गाये और खेल खेले, कितने मस्त होते हैं
बच्चे, भोले-भाले. सुबह सामान्य थी, रविवार का दक्षिण भारतीय नाश्ता और फिल्टर
काफ़ी. दीदी ने बहुत दिनों बाद ब्लॉग पर पोस्ट किया है. अच्छा लगा पढ़कर. पिताजी 'लाओत्से'
पर किताब पढ़ा रहे हैं, लाओत्से पर ओशो के प्रवचन की किताब. उन्हें अपनी कमजोरी
अच्छी नहीं लगती, शायद वृद्धावस्था में सभी को इस अनुभूति से गुजरना पड़ता है.
आज का दिन भी समाप्ति की ओर है. उनका रात्रि भोजन और भोजन
के बाद का रात्रि भ्रमण भी हो चुका है. जून अख़बार पढ़ रहे हैं. रात के लिए एक निमन्त्रण था पर वे नहीं गये.
कम्पनी के सभी उच्च अधिकारी यहाँ हैं, उन्हीं के सम्मान में विशेष भोज का आयोजन
किया गया है. आज ही कम्पनी की साठवीं वर्षगांठ भी है. इसी उपलक्ष में ग्रामीण
किसानों को ट्रैक्टर बांटे गये, मुख्य मंत्री तथा एमपी भी आये थे. यह पूरा वर्ष ही
हीरक जयंती वर्ष है, अंत में भी कुछ कार्यक्रम होंगे. उनमें से एक है निबन्ध
प्रतियोगिता. जून को इसकी जिम्मेदारी मिली है. कल दोपहर को मीटिंग बुलाई है उन्होंने.
निबन्ध के लिए विषय क्या दिए जाएँ इसका निर्णय होगा. शाम को बगीचे में टहलते समय
उन्होंने इस बारे में चर्चा की. विषय ऊर्जा से जुड़ा होना चाहिए. पूरे भारत से नवीं
से बारहवीं कक्षा तक पहला ग्रुप तथा स्नातक व स्नातकोत्तर कालेज के छात्रों का
दूसरा ग्रुप भी इस प्रतियोगिता में ऑनलाइन भाग ले सकता है. आज नैनी के छोटे पुत्र
का जन्मदिन है, जिसके लिए वह उन दिनों इतनी चिंतित हुई थी. शाम की योग कक्षा में
उसने स्वाध्याय के लिए सुझाव दिया. बुआजी से फोन पर बात हुई, वह कह रही थीं, मेरठ
में हैं, जबकि अपने घर पर ही हैं. उन्हें मतिभ्रम हो गया है. परमात्मा की कृपा है
कि व्यक्ति सब कुछ भूल जाता है, अपने दुःख-दर्द भी भूल ही जाता होगा अंत समय में.
नवरात्र पर नेट पर पढ़ा और देवी भागवद् में भी एक अध्याय पढ़ा, स्कूल में बच्चों को
नवरात्र के बारे में बताया. देवी को अपने भीतर जागृत करना है, यह भी बताया. छोटी
बहन से बात हुई, विदेश में रहकर भी वह नवरात्र के नौ दिनों तक रोज भजन में
सम्मिलित हो पा रही है. आज अशोक के फूलों
की तस्वीरें भी उतारीं. उन प्रसिद्ध महिला ब्लॉगर ने कंचन के तने से निकली कलिका
को देखकर कहा, यह है आध्यात्मिक सौन्दर्य, उनके रूप में उसे एक सुहृदय पाठिका मिल
गयी हैं. आज मृणाल ज्योति की एक अध्यापिका का फोन आया, एक अन्य अध्यापिका के पिता
जी का देहांत हो गया है. तीन दिन बाद उनका श्राद्ध है. उनका घर यहाँ से दो सौ किमी
दूर है. उसका जाना तो सम्भव नहीं होगा. कल वहाँ डाउन सिंड्रोम डे मनाया जायेगा.
गहन चिंतन सुन्दर प्रस्तुति
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