Thursday, September 20, 2018

सिस्टर शिवानी का कार्यक्रम



शाम के चार बजकर दस मिनट हुए हैं. आज भी क्लब में मीटिंग है. कल बड़े भाई आ रहे हैं, वह उन्हें लेने जाएगी. सुबह वह मृणाल ज्योति गयी थी, शिक्षक दिवस का कार्यक्रम था, क्लब की तरफ से व अपनी तरफ से भी उसने सभी अध्यापिकाओं को उपहार दिए. उनके द्वारा पेश किया कार्यक्रम भी अच्छा रहा. सुबह नींद जल्दी खुल गयी, कुछ देर ध्यान किया बाद में फिर नींद आ गयी, किसी ने आवाज दी उस नाम से जिसमें उसे जून बुलाते हैं. कैसा रहस्यमय यह संसार, कौन है जो बिना मुख के बोलता है, कौन है जो बिना हाथों के छूता है, उस दिन कंधों पर जो स्पर्श किसी ने किया था, वह अभी तक सिहरन पैदा कर देता है. पिछले कुछ दिनों से एक गंध हर समय साथ रहती है. कैसी है यह गंध, क्या है इसका स्रोत..कुछ पता नहीं. आज कई दिन बाद फोन ठीक हुआ, शायद दो-तीन दिन बाद ब्लॉग पर लिखा. कविता कई दिनों से नहीं लिखी, समय भी तो चाहिए और एक भिन्न भाव दशा, अब मन स्थिर हो गया है.

कल भाई की फ्लाईट समय पर थी. दोपहर बाद वे हवाई अड्डे से घर वापस आ गये थे. सुबह भ्रमण के लिए गये. भाई को यहाँ अच्छा लग रहा है. दिन भर कुछ न कुछ क्रिया-कलाप होता है. शाम को क्लब जाना था, वापस आकर भोजन करते और सोते काफी देर हो गयी. आज भी सुबह स्कूल गयी, शाम को क्लब में एक परिचित परिवार का विदाई समारोह था. अच्छा रहा, लौटने में देर हो गयी. भाई तब तक जगे ही थे. अखबार में सुडोकू हल कर रहे थे.

पिछले दो दिन कुछ नहीं लिखा. समय जैसे तीव्र गति से भाग रहा है. आज वे ड्राइवर के साथ दूर तक घूमने गये, भाई को पाइप ब्रिज दिखाया. उन्होंने ही बाजार से सब्जी भी खरीदी. शाम को योगनिद्रा का अभ्यास किया. लगभग रोज ही एक बार सिस्टर शिवानी को सुनने का क्रम भी बन गया है. वह अस्पताल गयी, एक सखी की सासुमाँ वहाँ भर्ती हैं. उसे देखकर वह प्रसन्न हुई. प्रेम से किया गया छोटा सा कृत्य भी किसी को राहत दे जाता है.

शाम के साढ़े पांच बजे हैं. बाहर से जंगली काली मुर्गी की आवाज लगातार आ रही है, जो अपने पूरे परिवार के साथ बांस की हेज में रहती है. जब बगीचे में कोई नहीं होता तब घूमती फिरती है और शोर मचाती है, बाहर जाकर देखें तो छुप जाती है. अभी कुछ देर पूर्व वे बगीचे में थे. भाई ने एक तस्वीर ली, आंवले के वृक्ष पर बैठी गिलहरी की. आकाश पूर्व में गुलाबी हो रहा था. कल शाम वे भ्रमण पथ पर जाकर आकाश की तस्वीर उतारेंगे. आज जून इटली के शहर ट्यूरिन में हैं, उन्हें वापस आने में चार-पांच दिन और हैं. कल फेसबुक पर एक वरिष्ठ लेखक ने प्रश्न किया, वह फेसबुक पर क्यों है, सहज ही उत्तर लिख दिया, पर उन्होंने उसे टैग करके पोस्ट कर दिया, कितने ही लोगों ने पढ़ा, उसकी एक तस्वीर भी पोस्ट कर दी, कब किस मार्ग से लोगों से जुड़ना होगा, कौन जानता है. विचार किस प्रकार उनका भाग्य बनाते हैं, इसका प्रत्यक्ष उदाहरण आज देखा. उन्हें मनसा, वाचा, कर्मणा कितना सजग रहना होगा.

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