पूरे पांच दिनों के बाद कलम उठायी है. परसों शाम इस समय वह गोहाटी के आर्ट ऑफ़
लिविंग आश्रम जा रही होगी, या हो सकता है पहुँच ही चुकी हो. तैयारी लगभग हो गयी
है. आज ओडोमॉस भी मंगायी, जून ने कल याद दिलाया था. उनकी ट्रेनिंग अच्छी चल रही
है. आश्रम का जीवन शांतिदायक होगा, चाहे आरामदायक न हो. अल्प साधनों में रहना
सीखना हो तो आश्रम में ही सीखा जा सकता है. बंगलूरु में उनका घर सम्भवतः अगले तीन
वर्षों में भी बनकर तैयार न हो सके तो वे आश्रम में ही रहेंगे, अवश्य वहाँ ऐसा कोई
स्थान होता होगा, आखिर इतने बड़े आश्रम को चलाने के लिए कितने सारे लोग वहाँ रहते
ही होंगे. अभी कुछ देर में सेक्रेटरी आएगी, क्लब का कुछ कार्य है. उसने एक सदस्या
के बारे में बताया कि वह दुखी है, एक सीनियर सदस्या ने उसे कड़े शब्द कहे. इंसान का
दिल बहुत कोमल होता है, फूल से भी नाजुक, जरा सी बात पर कुम्हला जाता है. आत्मा का
अनुभव किये बिना मन को संभालना बहुत मुश्किल है, आत्मा के पास अपार शक्ति है. उस
दुखी महिला को समझाना पर आसान नहीं है, वह भावुक है और ज्यादा सकारात्मक भी नहीं,
काम बहुत मन से करती है. उसको फोन किया पर उसने उठाया नहीं. वह उसके लिए प्रार्थना
ही कर सकती है.
आज दोपहर मृणाल ज्योति गयी, चाइल्ड प्रोटेक्शन कमेटी
की मीटिंग थी. वापस आकर क्लब की कुछ सदस्याओं को फोन किये नयी कमेटी के कार्यकर्ताओं
के चुनाव के लिए, कुछ मान गयीं, कुछ ने मना कर दिया. सेक्रेटरी भी कल कुछ अन्यों
को फोन करेगी. सुबह जगने से पहले विस्मित कर देने वाला अनुभव हुआ, वह जिस वस्तु या
जीव की कल्पना करती थी, वह प्रकट हो जाता था जैसे बिलकुल सजीव हो. उनके मन में
कितनी शक्ति छुपी है. यह अनुभव रोमांचकारी था, पिछले दिनों और भी कई विचित्र अनुभव
हुए, पर लिखे नहीं और अब याद नहीं हैं. बड़े भाई का स्वास्थ्य अब ठीक है, पर उन्हें
कमजोरी है. जून अपने प्रशिक्षण से प्रसन्न हैं, नन्हे ने भी एक ट्रेनिंग ली कि
लोगों को कैसे नियुक्त किया जाये. बिना ट्रेनिंग के वह कितने ही कालेजों में
कम्पनी के लिए छात्रों का इंटरव्यू लेने गया है. कह रहा था, इस ट्रेनिंग से काफी सुझाव
मिले हैं. वह भी एक किताब पढ़ रही है जो एक ट्रेनर ने लिखी है, इस तरह वे तीनों ही
कुछ नया सीख रहे हैं. अभी वह रसोईघर में गयी और नैनी को फ्रिज में बर्फ की ट्रे
रखते देखा, इसका अर्थ हुआ उसने बिना कहे फ्रिज से बर्फ निकाली, अवश्य ही वह अपनापन
महसूस करती होगी. उसने सोचा, अच्छा है.
इस आश्रम में यह पहली रात है. पिछले माह जब यहाँ के
स्वामीजी उनके स्थान पर गये थे, तब इस कोर्स के बारे में पता चला था, पर अभी तक
ज्ञात नहीं है कि कल सुबह कोर्स आरंभ भी हो पायेगा या नहीं. कम से कम बीस
प्रतिभागियों के होने पर ही होगा और आज की तिथि में केवल ग्यारह ही हैं. टीचर भी
कोलकाता से आई हैं. उसकी पीठ में शायद दिन भर में एक भी बार न लेटने के कारण दर्द
हो रहा है. कुछ पंक्तियाँ लिखकर सोना ही अगला कार्य है. सुबह सवा नौ बजे वह घर से
निकली थी, दोपहर सवा दो बजे गोहाटी में रहने वाली एक सखी के यहाँ पहुंच गयी, दोपहर
का भोजन और कुछ देर विश्राम के बाद पौने चार बजे वहाँ से विदा लेकर इस आश्रम में
पहुंची. यहाँ पर सब सुविधाएँ हैं पर गर्मी के कारण तथा उस समय बिजली न होने के
कारण कुछ देर परेशानी हुई. आसपास का दृश्य बहुत सुंदर है. कल प्रातःकाल और
तस्वीरें लेगी. ब्रह्मपुत्र का चौड़ा पाट सागर सा विस्तीर्ण लगता है. शाम को सभी ने
मिलकर गुरूजी का जन्माष्टमी के अवसर पर सीधा प्रसारण देखा, फिर भोजन किया. बाद में
मंदिर में कृष्ण पूजा हुई, प्रसाद भी मिला.
सुबह के सात बजे हैं. एक सुहावनी सुबह है. वह आश्रम
के कमरे में है. बहर वर्षा हो रही है. सुबह पांच बजे ही नींद खुल गयी. स्नान किया,
फिर कुछ देर टहलने गयी. तब वर्षा नहीं थी. कुछ देर नदी की तरफ मुख करके एक कुर्सी
पर बैठकर ध्यान किया. बहुत अच्छा अनुभव था. जून से बात की, अब कुछ देर में रूद्र
पूजा में भाग लेने मन्दिर जाना है.
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 13.9.18 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3093 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
बहुत बहुत आभार दिलबाग जी !
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