Sunday, April 12, 2015

कल्याण का अंक


पिछले दो दिन फिर कुछ नहीं लिखा, शनिवार को जून का अवकाश था, कल जन्माष्टमी थी, शाम को वे झांकी देखने गये. इस समय रिमझिम वर्षा हो रही है और यहाँ खिड़की के पास बैठकर ठंडी हवा के झोंकों के साथ –साथ फुहार भी तन को सिहरा रही है, पर जल्दी ही खिड़कियाँ बंद करनी पड़ेंगी, पानी से सब कुछ भीग रहा है. आज से नन्हे के छमाही इम्तहान शुरू है, पहला पेपर ही गणित का है. आज उसे हिंदी पुस्तकालय जाना है, बहुत दिनों से कविताएँ नहीं पढ़ीं, जून ने इंटरनेट से ‘काव्यालय’ से कुछ कविताएँ लाकर भी दी हैं, सभी नहीं पढ़ीं. अभी-अभी मंझले भाई से बात की, कल सुबह दीदी का फोन आया था, शाम को बड़े भाई-भाभी से, पिताजी आजकल वहाँ गये हुए हैं. अगले हफ्ते ससुराल से माँ-पापा आ रहे हैं, घर में चहल-पहल हो जाएगी. शनिवार को दिल्ली में शक्ति मन्दिर में आग लगने से पांच बच्चों की मृत्यु हो गयी. ईश्वर की लीला भी विचित्र है. मानव अपनी करतूतों को कितनी आसानी से ईश्वर के नाम मढ़ देता है. वह स्वयं ही अपनी हालत का जिम्मेदार होता है न. पर वे बच्चे क्या यह बात जानते थे ? दिल्ली के एक अस्पताल की हालत पढ़कर भी अच्छा नहीं लगा. देश में एक तरफ तो ऐसे अस्पताल हैं जो पांच सितारा होटलों को भी मात करें और दूसरी ओर ऐसे , जहाँ सफाई भी नहीं है. यह जीवन कितने विरोधाभासों से घिरा है. ऐसे द्वन्द्वों में उलझा मन कैसे ध्यानस्थ हो सकता है, पर यही संसार है. कृष्ण का उपदेश उन्हें सदा याद रखना है कि ऐसे वातावरण में भी जो स्वयं को स्थिर रख सके अर्थात आँखें मूंद सके, नहीं, कृष्ण ऐसा नहीं कहते, वे तो जूझने को कहते हैं. लोगों का दुःख दूर करने की क्षमता अपने भीतर जगाने को कहते हैं. अन्याय का मुकाबला करने को कहते हैं. कर्म क्षेत्र में डटे रहने को कहते हैं. जितनी अपनी क्षमता हो उतना ही वे इस जग का भला करके जाएँ !

कल इस समय वर्षा हो रही थी, आज धूप खिली है, ऐसे ही जीवन भी हर पल रंग बदलता है. परेशानियाँ भी आ जाती हैं फिर साक्षी भाव से देखते रहें तो चुपचाप चली भी जाती हैं. ऐसे ही सुख भी आता है तो टिकता थोड़े न है, चला जाता है, वे वहीं के वहीं रह जाते हैं, अपने आप में पूर्ण, न तकलीफ आने से उनका कुछ घटता है न सुख आने से कुछ बढ़ता है. मान हो, वह भी कुछ नहीं बढ़ाता, अपमान हो वह भी कुछ नहीं घटाता. वे पूरे हैं पूरे ही रहते हैं. हर क्षण उस पूर्ण परमात्मा की तरह ! कल शाम उसके सिर में दर्द था पर उसका मन एक अनोखी शांति से ओतप्रोत था. वह हँस रही थी, बातें क्र रही थी. दर्द से स्वयं को अलग देखने का प्रयास सफल हुआ था, फिर सोने से पूर्व ध्यान में भी आत्मा ने अद्भुत रंग दिखाए अपनी तुलिका से. वे जब ज्ञान में स्थित रहते हैं तो वह उनकी रक्षा करता है. आज बाबाजी ने टीवी पर कृष्ण कथा सुनाई. साथ-साथ स्वास्थ्य संबंधी कुछ बातें भी..जीरा और गुड़ वायु का शमन करते हैं, आंवले और तिल का उबटन लगाने से ताप दूर होते हैं. कल वह एक परिचिता से तीन और कल्याण लायी है. पिछले दोनों पढ़कर बहुत लाभ हुआ. ज्ञान कहीं से भी मिलता है, अमूल्य है. जीवन में सभी भौतिक वस्तुएं साथ निभाने वाली नहीं हैं, किसी न किसी मोड़ पर सभी छूटने वाली हैं, सिर्फ ज्ञान ही अंत तक साथ रहेगा और सम्भवत उसके बाद भी. नन्हे का आज फिजिक्स का इम्तहान है, यह उसका प्रिय विषय है. कल गणित का बहुत अच्छा नहीं हुआ पर उसे इस बात का अहसास था. छोटे भाई को आज पत्र लिखा है. पिताजी को लिखना है. मंझले ने अभी तक पत्र का उत्तर नहीं दिया है.

 


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