आज जून से उसकी छोटी सी लड़ाई हो गयी, वह उसके पैर की अँगुलियों के नाख़ून काटना चाहती थी पर वह बार बार मना कर रहा था. कभी-कभी उसे लगता है कि वह उसे अपने बराबर की नहीं मानता, वैसे वह उसका बहुत ख्याल रखता है, पर उसे कमजोर या अबला समझता है, हो सकता है यह उसका भ्रम ही हो. पर वह गुस्से में उसे कुछ कह देने के फौरन बाद ही स्वयं परेशान होने लगती है, क्यों कह दिया उसे, अब वह क्या सोच रहा होगा, क्या अब वह पहले की तरह मेरा मित्र बना रहेगा. ये सारे सवाल उसे घेर लेते हैं. आज कई दिनों के बाद वह तैरने गया था, उसके कान में पानी चला गया था, सुबह आँख में भी चुभन थी, उसे उदास देखकर नूना को कितना दुःख होता है. इससमय वह सो रहा है. आज घर से उसके भाई का भेजा जन्मदिन का कार्ड आया है.
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