Friday, February 17, 2012

काश्मीर समस्या


राखी का त्यौहार आने वाला है. भैया का पत्र आया है आज उन्होंने अपना पता भी लिखा है, उनके मन में भी रक्षाबन्धन की बात रही होगी. धर्मयुग में काश्मीर पर एक लेख पढ़ा, मन क्षोभ से भर गया, हमारे देश का एक सुंदर प्रदेश आतंक का शिकार हो गया है. मानवता के हजार दुश्मन आज के  युग में पनप रहे हैं, हर जगह उन्हीं का तो राज है. भारत सरकार को शीघ्र ही कड़ा कदम उठाना होगा.
कल सुबह वे साढ़े पांच बजे ही उठ गए. उन्हें मोरान जाना था, कार में आगे वे बैठे थे पीछे और लोग भी थे, एक सीनियर भी, सो वे रास्ते भर ज्यादा बात नहीं कर सके. एक परिचित के यहाँ रुके. गृहणी के साथ उसकी गाँव में रहने वाली नन्द भी थी. अच्छे खुशमिजाज, मिलनसार लोग थे. दोपहर को नूना सो गयी और जून फील्ड चला गया. शाम को गर्मी बहुत थी सो पुनः स्नान किया. बाजार गए. बिजली नहीं थी पर कुछ देर में आ गयी. एक और दम्पति से मुलाकात हुई, श्रीमती को देखकर नूना को कक्षा ३ में पढ़ने वाली उसकी ट्यूशन की छात्रा की याद हो आयी वही लहजा है बोलने का आठ साल की बच्ची का और वही आवाज भी. नूना कुछ थक गयी थी पर जून के साथ ने उसे विश्वास दिला दिया कि अच्छा किया जो वह अकेले पीछे घर में नहीं रुक गयी.



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