Sunday, February 5, 2012

पंजाब समस्या


कल रात उसने लिखा नहीं, बात कुछ विशेष नहीं थी, पर विशेष थी भी. शाम से ही वह दो बार छोटी-छोटी बात पर नाराज हुई, मूड ऑफ हो गया, बेबात ही कभी-कभी मन उदास हो जाता है पर उसके बाद ही खुशी का स्वाद भी बढ़ जाता है. कल पढ़ी पुस्तक का असर हो सकता है या कि उसे लगता है कि उसका जीवन अर्थहीन हो गया है. पहले अर्थयुक्त था ऐसा भी नहीं कह सकती. बस लगता है वह कुछ करती नहीं, या कि करना नहीं चाहती. खैर यह किस्सा बहुत लम्बा है. फ़िलहाल तो उसे कुछ और सोचना है, जून के कान का दर्द अभी भी ठीक नहीं हुआ. इस समय वह सो गया है नींद में दर्द खो गया होगा. अभी खबरों में सुना कि अकाली दल के नेता हरचंद सिंह लोंगोवाल पर हमला किया गया है. एक और बलि. पंजाब समस्या सचमुच कितनी उलझ गयी है. सुलझते-सुलझते रह जाती है. सिलाई का काम आज भी किया, कुछ शेष है. परिचितों से मेलमिलाप भी चल रहा है.
  

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