Thursday, May 21, 2020

दीवाली की उजास


आज पूरे नौ दिन बाद डायरी उठायी है. पिछली बार की जो एंट्री है, उसी दिन नन्हा व सोनू आये थे. उसके बाद दिन कैसे बीतते गए, समय का जैसे पता ही नहीं चला. उसी दिन शाम को वे ही उसे महिला क्लब की मीटिंग के लिए छोड़ने गए. अगले दिन उसे स्कूल जाना था. अगले दो दिन जून ने छुट्टी ली थी, उसी दिन उन्होंने दीपावली के विशेष भोज का आयोजन किया था. नन्हे ने छोले बनाये, और उसने ढेर सारे व्यंजन, आखिरी दीवाली थी सो जून ने विभाग के सभी अधिकारीयों को बुलाया था. भाईदूज के दिन वे अरुणाचल प्रदेश में एक सुंदर स्थान नामसाई घूमने गए, एक मोनेस्ट्री, नदी तट सन्तरे के बगीचे और सुंदर पहाड़ी रास्तों पर की गयी वह यात्रा भी अच्छी रही .एक दिन रहकर अगले दिन शाम को लौटे. उसके एक दिन बाद बच्चे वापस चले गए. पटाखे, स्नैक्स, तथा रौशनी की झालरें व ढेर सारी मिठाई लाकर उन्होंने असम में उनकी इस दीवाली को यादगार बना दिया है. अगली दीवाली बंगलूरू में होगी. दीपावली के बाद आज छठ का त्यौहार भी सम्पन्न हो गया. लगभग एक महीने बाद आज एओल के टीचर ने फॉलोअप करवाया. आज उनका जन्मदिन भी था. योग अभ्यास  के बाद उन्होंने ही मिठाई खिलाई. वह बहुत अच्छी तरह से व्यायाम व क्रिया कराते हैं, उन्हें उनका कृतज्ञ होना चाहिए. कल बाल दिवस है, वह क्लब की कुछ अन्य सदस्याओं के साथ मृणाल ज्योति जाएगी. उससे पहले टाइनी टॉटस भी जाना है, उस स्कूल में भी बुलाया है जहाँ वह योग सिखाने जाती है, पर समय निकालना कठिन होगा. कल दोपहर बच्चों के लिए कविता लिखी, नन्हे और सोनू का स्वभाव एक-दूसरे से कितना मिलता है, दोनों का दिल बहुत बड़ा है. ईश्वर उन्हें सदा इसी तरह खुश रखे. दीदी ने भी कविता पढ़कर लिखा है, ‘इसी तरह प्यार बना रहे’. जून आज दोपहर दीदी के यहाँ गए थे, कल अपने काम के बाद पिताजी से मिलने जाएँगे. कल मंझली भाभी का फोन आया, बगीचे में निकले सांप का वीडियो देखकर उन्हें आश्चर्य हो रहा था. परसों शाम को सर्प देखा था. दोपहर को नैनी की बेटियाँ आयीं, कहने लगीं, उन्हें बाल दिवस पर स्कूल में डांस करना है, वह मोबाइल पर गाना बजाकर उन्हें अभ्यास करा दे। उसे आश्चर्य हुआ, आजकल बच्चे सेल्फी ले ले ... जैसे गानों पर स्कूल में नृत्य करते हैं. 

कल बालदिवस के कार्यक्रम दोनों स्कूलों में ठीक रहे. आज देहरादून से दिल्ली आते समय जून के सहयात्री थे, बाबा रामदेव. जून ने उनके साथ तस्वीर भी खिंचवाई और वह भी बाबा के कहने पर, क्योंकि वह संकोच कर रहे थे. एयरहोस्टेस ने खींची तस्वीर. सुबह वह दीदी के यहाँ नाश्ते पर गए थे. मूली व गोभी के परांठे खिलाये उन्होंने. कल वह वापस आ रहे हैं. आज मौसम काफी ठंडा है, तमिलनाडु में आए समुद्री तूफान का असर है शायद. धूप में तेजी नहीं थी. बाहर से नैनी के भतीजे के रोने की आवाज आ रही है, अपनी शैतानियों के कारण उसकी काफी पिटाई होती है, पर वह सुधर नहीं रहा है. शिव सूत्र पुस्तक दो-तीन दिनों से पढ़नी आरंभ की है, सरल शब्दों में गूढ़ विषय को समझाया गया है. वेदांत, योग व शिव सूत्र के अनुसार जगत व परमात्मा की व्याख्या में थोड़ा अंतर है पर मूल बात वही है. 

2 comments:

  1. बड़े-छोटे सबकी अपनी-अपनी कहानी, कोई किसी से मिलती कोई सबसे अलग।
    बहुत अच्छी प्रस्तुति

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  2. स्वागत व आभार कविता जी !

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