आज मृणाल ज्योति में बच्चों के साथ दो दिन पहले ही राखी का उत्सव मनाया, बड़ा सा नीला कार्पेट ले गयी थी, जिसपे दो पंक्तियों में उन्हें बैठाया, जो इस समय धूप में सूख रहा है. वह खीर बनाकर ले गई और एक सखी आलू बोंडा, उन्होंने टीचर्स को भी राखियाँ बाँधी, तस्वीरें उतारीं. बड़ी ननद की राखी आज मिल गयी, उसकी भेजी राखियां भी सभी भाइयों को मिल चुकी हैं. कल सुबह ड्राइविंग टेस्ट देने जाना है. आज सुबह क्लब की प्रेसीडेंट के यहां अकेले कार लेकर गयी, वह तो उनका हाल-चाल पूछने गयी थी, पर उन्होंने क्लब का रजिस्टर, चेकबुक आदि सब सौंप दिया, टीचर्स डे के लिए भी चेक दिया, वे मृणाल ज्योति के टीचर्स के लिए अच्छा सा उपहार खरीद सकते हैं. परसों वह चेकअप के लिए बाहर जा रही हैं, एक हफ्ता लग जायेगा. इसी महीने मीटिंग है, कविता पाठ की प्रतियोगिता कराने में उसे सहायता करनी है.
आज प्रातः भ्रमण से लौटते समय शब्द भीतर गूँज रहे थे, कविता के शब्द ! जैसे कोई जलप्रपात बह रहा हो ! सुबह-सुबह एक स्वप्न देखा, वह गाड़ी चला रही है( आजकल गाड़ी चलाने के स्वप्न अक्सर आते हैं) ड्राइवर साथ वाली सीट पर है, यानि अभी तक अकेले चलाना शुरू नहीं किया है. पीछे दो सखियाँ बैठी हैं. मंजिल आ गयी तो रुककर वह उतर जाती है. पीछे गली में स्कूल ड्रेस पहने चार लड़कियाँ हैं जो आपस में लड़ रही हैं, वह उन्हें समझाती है, धमकाती है तो क्या देखा वे सभी एकजुट होकर उसे ही चोट पहुँचाने के इरादे से आने लगती हैं, तभी भीतर ख्याल आता है, इन्हें उसने ही तो रचा है. वह खुद ही कार थी, स्वयं ही ड्राइवर, स्वयं ही यात्री और स्वयं ही लड़ाकू लड़कियाँ ! अपनी ही कृति से डरने की क्या जरूरत है, उठने के बाद भी यह भाव दृढ होता गया. परमात्मा स्वयं ही सब कुछ बना है, यानि आत्मा ही सब कुछ बनी है. वह ही वह सब ओर दिखाई देने लगी. जून ने जब कहा, उन्होंने जब अपने पुराने सहकर्मी श्री और श्रीमती पी को देखा, काफी ऊंची इमारत से कूदने का अभ्यास करते हुए तो उन्हें कहा, यह मन की ही रचना है, उनका मन उन दोनों को खतरा मोल लेने वाले साहसी व्यक्तियों की तरह देखता है. कविता के शब्द अब याद नहीं हैं, वे तो अस्तित्त्व में विलीन हो गए लेकिन भाव भीतर हैं तो वे नए शब्दों को ढूंढ ही लेंगे स्वयं को व्यक्त करने के लिए.
आज राखी है, सभी भाइयों से बात हुई, पिताजी व चाची जी से भी, दोनों ननदों से भी. व्हाट्सएप पर बहुत लोगों को संदेश भेजे, फेसबुक पर राखी की कविता पोस्ट की. सुबह वर्षा में भीगे, जून ने भी वर्षा का आनंद लिया, बगीचे में पानी भर गया था, अभी भी बाहर काफी पानी भरा है, वर्षा जो सुबह से लगातार हो रही थी, इस समय रुक गयी है. टीवी पर मूक और बधिर व्यक्तियों के लिए समाचार आ रहे हैं. साइन लैंगुएज में उद्घोषिका को समाचार दिखाते हुए देखना मन में विपरीत भावों को एक साथ जगा गया. अच्छा भी लगा उसे इस कुशलता से पढ़ते हुए देखकर, साथ ही दुःख भी कि जो लोग सुन नहीं सकते, कितनी बड़ी संपदा से वंचित रह जाते होंगे. टीवी पर ‘मन की बात' शुरू हो गयी है. प्रधानमंत्री राखी व जन्माष्टमी की शुभकामनायें दे रहे हैं. आज संस्कृत दिवस भी है, भारत इस बात का गर्व करता है कि तमिल पुरातन भाषा है और संस्कृत वेदों से लेकर आज तक ज्ञान का प्रसार करती आ रही है. केरल में आपदा आयी है, पर सेना के जवान पूरी मुस्तैदी से जुटे हैं. प्रधानमंत्री अटलजी के कार्यों के बारे में बता रहे हैं. उन्होंने संसद में तथा देश में कई सुधारों के द्वारा परिवर्तन किया. तिरंगा फहराने का अधिकार सामान्य लोगों को दिया. इसी महीने राष्ट्रीय खेल दिवस है, जकार्ता में एशियन गेम्स चल रहे हैं, अब भारतीय खिलाड़ियों को कई पदक मिलते हैं, देश का माहौल बदल रहा है.
स्वागत व आभार !
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