Monday, January 27, 2020

आंतरिक मौन


आंतरिक मौन 



समय की कीमत जो जानता है, विचार की कीमत जो जानता है, वह और तरह से जीएगा. परिवार, मित्र, जीवन, प्राण, सभी धन हैं. इतनी संवेदना भीतर जगे कि इस जगत को त्यागपूर्वक भोगें. आजकल नियमित ध्यान नहीं होने के कारण मन चंचल रहता है, अनुशासित होकर कम से कम आधा घन्टा ध्यान करना होगा. ग्यारह बजने वाले हैं, जून आज आयल फील्ड गए हैं, आने में शायद देरी हो सकती है. आज नासिकाग्र पर मीठी सी गन्ध का अनुभव हो रहा है. गन्ध पृथ्वी का गुण है. पहले नाद सुनाई देता था जो आकाश का गुण है, फिर प्रकाश दिखता था, जो अग्नि का गुण है. साधना काल के बहुत आरंभ में पूरे शरीर में प्राणों का प्रवाह होता प्रतीत होता था, जो वायु का गुण है. अब वे भी सब होते रहते हैं पर गन्ध प्रमुख है. इन्हें ही तन्मात्रा कहते हैं शायद. कल शाम को क्लब की कमेटी की मीटिंग है, उसे एक और सदस्या के साथ मिलकर चाय-नाश्ते  का इंतजाम करना है. सुबह से ही तैयारी करनी होगी. 

रात्रि के आठ बजे हैं. टीवी पर इंग्लैण्ड-भारत एक दिवसीय क्रिकेट मैच का प्रसारण हो रहा है. भारत के सामने ३२२ रन का विशाल लक्ष्य रखा है. आज शाम  लर्नर ड्राइविंग लाइसेंस के लिए फार्म जमा कर दिया. घर आने से पूर्व वे नदी तक गए. सूर्यास्त का सुंदर दृश्य कैमरे में कैद किया. नदी में पानी बहुत बढ़ गया है. सर्दियों में लोग जहाँ पिकनिक मनाते हैं, रेत के वे मैदान पानी में डूब गए हैं. आज सुबह ड्राइविंग की थ्योरी क्लास थी, वर्षा बहुत तेज होने लगी, टीचर की आवाज सुनाई देना बंद हो गयी. आधा घन्टा सभी ने प्रतीक्षा की, वर्षा रुकी तो क्लास पुनः आरम्भ हुई. दस क्लासेस के बाद लर्नर लाइसेंस मिलेगा. आज सुबह एक योग साधिका अपने माँ-पिता को लेकर आयी थी. वह उन्हें प्राणायाम के लिए प्रेरित करे, ऐसी उनकी मंशा थी. इसी बीच चाची जी का फोन आया और प्रेसीडेंट का भी. पहला फोन बीच में काटना पड़ा, शायद सामान्य हाल-चाल जानने के लिए ही किया होगा. छोटे भांजे से बात हुई, वह क़ानून की पढ़ाई करने कालेज पहुँच गया है, परिवार में पहला वकील बनेगा. आज बगीचे से चार नारियल तुड़वाये हैं एक वर्ष और उन्हें ताजा नारियल पानी पीने को मिलेगा. कल  मीटिंग ठीक से हो गयी. 

सुबह के साढ़े आठ बजे हैं, ड्राइवर के आने का इंतजार है. प्रतीक्षा के इन पलों को रचनात्मक बना लिया जाये तो समय क्षण भर में कट जाता है. आज सुबह से भीतर के मौन को अनुभव कर पा रही है वह, कितना मधुर है यह सन्नाटा ! आज का गुरूजी का सन्देश भी यही कहता है कि  मन के द्वंद्व को समाप्त करने की कोशिश से वह और बढ़ेगा क्योंकि उसे ऊर्जा मिलेगी, बल्कि उसे आत्मा का आश्रय लेकर समाप्त कर देना चाहिए. आत्मा में परम् विश्राम है. परमात्मा में क्या होगा यह तो वही जानता है ! आत्मा व परमात्मा दो हैं या एक, इसका निश्चय आज तक नहीं हो पाया. वे एक ही होने चाहिए. भीतर जो अनन्त मौन है वह परम् मौन ही कहा जा सकता है. कुछ देर पूर्व क्लब की अध्यक्षा का फोन आया. स्कूल के लिए नयी अकाउंटेंट मिल गयी है, उसका इंटरव्यू लेना है, उसे भी जाना होगा. आज भीतर सन्नाटा है तो बाहर भी मौन छाया है. नैनी व सफाई कर्मचारी चुपचाप अपना काम कर रहे हैं. बाहर उनके घर के पांच बच्चों में से इस समय कोई भी नहीं रो रहा है. 






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