Sunday, January 19, 2020

विश्व योग दिवस



आज का दिन काफी व्यस्त रहा और काफी अलग भी. प्रातः भ्रमण के समय फूलों से लदे वृक्षों की तस्वीरें उतारीं, बाकी दिन घर आने की जल्दी होती है सो वे कैमरा लेकर नहीं जाते. बड़े भाई से बात हुई वे एक प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र में नौ दिन रहकर आये हैं, उन्हें काफी हल्कापन महसूस हो रहा है. देह में जहाँ कहीं भी दर्द आदि थे, चले गए हैं. दोपहर को सन्डे योगा क्लास के बच्चों के साथ स्वच्छता अभियान चलाया, घर के सामने तथा बायीं ओर की सड़कों से कई थैले भरकर कूड़ा उठाया, कुछ दिन ये सड़कें साफ रहेंगी फिर आते जाते लोग इन्हें बेहोशी में गन्दा कर देंगे. बच्चे बेहद खुश थे, जब वे वापस आये तो उन्हें पंक्ति में खड़ा कर हाथ धुलवाए, नैनी ने नाश्ता तैयार कर दिया था. श्रमदान के बाद भोजन का अलग ही स्वाद आता है. जून काफी दिन पहले अमूल लस्सी का क्रेट लाये थे, उन्होंने भी बांटने में सहयोग किया. सुबह वह दो सखियों के साथ को ऑपरेटिव से विश्व योग दिवस के लिए आवश्यक सामान लेने गयी, महिला क्लब में भी वे इस दिवस पर कार्यक्रम कर रहे हैं. कल से वे योग प्रोटोकाल के अनुसार अभ्यास भी आरंभ करने वाली हैं. उस दिन सुबह भी बीहू ताली में सामूहिक योग किया जायेगा. क्लब की एक सदस्या से फोन पर बात करके परिचय लिया, उनकी विदाई कविता लिखने के लिए. 

सुबह नींद खुलने से पूर्व स्वप्न में पशुओं की खाल की बात हो रही थी, कल शाम की मीटिंग में कुछ महिलाओं को भोजन का मीनू बनाते समय जो शब्द सुने थे, शायद उन्हीं का परिणाम था यह स्वप्न, या किसी पूर्व जन्म की स्मृति से उपजा था, कौन जाने !  सुबह की दिनचर्या अभी समाप्त हुई ही थी कि ड्राइवर आ गया, ड्राइविंग का अभ्यास किया, अब कुछ-कुछ समझ में आने लगा है. कल विश्व योग दिवस है. उसे चार कार्यक्रमों में भाग लेने का अवसर मिल रहा है. परमात्मा की कृपा है. 

आज इतवार है. जून थोड़ी देर के लिए दफ्तर गए हैं. लन्च में विशेष कुछ बनाना नहीं है, सलाद व फल. शाम को उनके पूर्व वरिष्ठ अधिकारी को बुलाया है. वे लोग इसी महीने के अंत में सदा के लिए गोहाटी जा रहे हैं. आज सुबह एक्वा गार्ड का मकैनिक आया, कुछ दिन खराब रहने के बाद आज से मशीन ठीक हो गयी है. यहां पानी में आयरन ज्यादा है. परसों सुबह उन्हें उड़ीसा की यात्रा पर निकलना है. बगीचे में माली काम कर रहा है, उसका पूरा परिवार ही कुछ न कुछ सहयोग कर रहा है. दो दिन पहले नशा करके उसने बहुत उत्पात मचाया, जून ने तो उसे जाने को कह दिया था, पर वे लोग यहां रहना चाहते हैं. सुधरने का वादा पहले भी कई बार कर चूका है पर मन को जब किसी वस्तु की आदत पड़ जाती है, तो वह बिना सोचे-समझे उस कार्य को करना आरम्भ कर देता है, चाहे वह कार्य उसके या देह के लिए हानिकारक हो. मन जब स्वयं को बदलना आरम्भ करता  है तो पुराने संस्कार उसे रोकते हैं. वह छूटना चाहते हुए भी आदत का गुलाम होकर उसी कार्य को दोहराने लगता है. सजगता यदि एक क्षण के लिए भी न रहे तो मन दुर्बल हो जाता है. तमस की अधिकता के कारण भी मन सजग नहीं रह पाता। सजग मन ही सात्विक कर्मों में लगाता है. उसने सोचा, ये सब बातें उसे इस जन्म में कौन बताएगा, जिन्हें ज्ञात हैं वे भी मन को कहाँ साध पाते हैं ?

2 comments:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार(२० -०१-२०२० ) को "बेनाम रिश्ते "(चर्चा अंक -३५८६) पर भी होगी
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का
    महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ….
    अनीता सैनी

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