जुलाई का महीना यानि आषाढ़ का महीना अर्थात वर्षा का मौसम ! आज सुबह से ही बादल बने हैं. वे छाता लेकर टहलने गए पर खोलना नहीं पड़ा. पिछले छह दिन उड़ीसा में बिताने के बाद घर आकर ऐसा लगा, जैसे बहुत दिनों बाद लौटे हैं. यहाँ का मौसम या पानी का असर, सिर में हल्का दर्द है, पर स्वयं को उससे अलग कर पाना अब सहज हो गया है. सुबह ड्राइविंग की, दोपहर को भी, आज सातवां दिन है, पर अभी तक ए बी सी का क्रम ठीक से नहीं आया है, शायद कुछ दिनों का गैप हो गया इसलिए. गाड़ी चलना इतना कठिन नहीं है पर इतना सरल भी नहीं. सजगता इसकी पहली शर्त है. स्टीयरिंग को हल्के से पकड़ना है, क्लच दबा कर ब्रेक लगाना है, गाड़ी को गति देकर गियर बदलना है , दाएं-बाएं मोड़ते समय सिगनल देना है . ये सब बातें याद रखनी हैं. शाम को मीटिंग है, स्कूल में नया खजांची आया है, पता चला है, पहले का हिसाब ठीक नहीं है, इतने वर्षों में किसी ने ध्यान नहीं दिया. कल शाम जून को देर तक टीवी देखने के लिए उसने टोका, जैसे उन्होंने वैदिक चैनल देखने के लिए उसे मना किया था. यह बदले का कृत्य था सम्भवतः, जून सुबह तक चुपचाप थे. जो जैसा है उसे उसे वैसा ही स्वीकारना होगा. वह इस ज्ञान में स्थित रहना चाहती है . अध्यात्म को जीना चाहती है अतः उसे साक्षी भाव से ही इस जगत को देखना है. हर कोई अपने स्वभाव से प्रेरित होकर कृत्य कर रहा है. उसे भी अपने स्वभाव में रहना है. सत्य और अहिंसा के सूत्र को पकड़ कर रखना है. किसी को बदलने की इच्छा ही हिंसा है. परमात्मा जैसे सभी को बेशर्त स्वीकारता है, वैसे ही उन्हें भी सिवाय प्रेम के किसी को कुछ भी नहीं देना है.
आज महीनों बाद रद्दीवाला पुराने अख़बार लेने आया, उन्हें लग रहा था शायद वह बीमार है या कहीं चला गया है. उसने बताया डायबिटीज के कारण वजन बहुत घट गया है, पहले उसका शरीर बहुत भारी था. आज सुबह ही उन्होंने अपना वजन देखा था, बढ़ गया है. नैनी की तबियत ठीक नहीं है उसकी देवरानी काम पर आयी. कार धोने वाले की जगह उसके भाई ने कार धोयी, पता चला वह अपने पिता को लेकर गांव गया है, चाचा का देहांत हो गया है. धोबी ने भी कहा वह गांव में अपने चाचा से मिलकर आया है. उसे लगा उनसे कहीं ज्यादा अच्छी तरह ये लोग रिश्ते निभाना जानते हैं. कल शाम मीटिंग में हिसाब किताब देखा, पुराने ट्रेजरर ने पैसों का काफी हेर-फेर किया है. खुद पर इतने आक्षेप लगते देखकर भी वह भावहीन दशा में चुपचाप बैठा था और हर्जाना भरने को भी तैयार हो गया.
वही कल का सा समय है, आज बादल छंट गए हैं, धूप नजर आ रही है. सुबह ड्राइविंग का अभ्यास किया, ज्यादातर समय सेकेण्ड गियर में ही चलाया. बाद में ट्रेनर ने कहा, अपने आप बिना कहे ही गियर बदलना चाहिए था. अब पहले से ज्यादा भरोसा आ गया है, इतवार की सुबह अकेले भी जा सकती है. आज बहुत दिनों बाद एक कविता लिखी. समय का अश्व जैसे तीव्र गति से दौड़ रहा है. नन्हा दो दिन के लिए पूना गया था, आज लौट आया है. भूटान यात्रा का संस्मरण आगे नहीं बढ़ा, वहां का इतिहास पढ़ रही है पर इतनी मोटी किताब है यह कि इसका आर-पार ही नजर नहीं आ रहा है. धार्मिक और राजनितिक रूप से भूटान में एक ही व्यक्ति का शासन चलता आ रहा है, अर्थात वहां के आध्यात्मिक नेता ही शासक रहे हैं. अंध विश्वासों और मिथकों के मध्य वहां की जनता आज भी जैसे एक रहस्य को जी रही है. अभी-अभी एक सखी का फोन आया, विशेष बच्चों के स्कूल के अध्यापक-अध्यापिकाओं के लिए होने वाली वर्कशॉप में वह उसकी मदद करेगी.
नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरुवार 23 जनवरी 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
बहुत बहुत आभार !
Deleteगज़ब लेखन
ReplyDeleteस्वागत व आभार विभा जी !
Deleteशुभकामनाएं।
ReplyDeleteआपको भी शुभकामनायें !
Deleteशानदार लेखन
ReplyDeleteबधाई