आज नेट नहीं चल रहा
है. लगातार वर्षा हो रही है. पिछले तीन दिनों से वे सुबह निकल नहीं पाते. जून के दफ्तर
जाने के बाद जब वर्षा कुछ कम हुई, वह छाता लेकर भ्रमण पथ पर घूमने गयी. पांच-छह
मजदूर वर्षा में भीगकर काम कर रहे थे, दो-तीन औरतें भी थीं. एक महिला अत्यंत बूढ़ी
है पर उसे भीगने से सर्दी होने का जरा भी भय नहीं है. वह अक्सर कई बोरियां भरकर घास
काटती है, अपने लिए या बेचने के लिए, पता नहीं. वर्षा में भीग रहे हैं मजदूर सो
अलग पर उनके पास उचित उपकरण भी नहीं होते. सरकार की मदद इनके पास पहुँचे इसकी
जिम्मेदारी कम्पनी को लेनी चाहिए. उसने सोचा चाय पिलाकर उनकी थोड़ी सी मदद कर सकती
है, पर वे काम में व्यस्त थे और अब तक तो शायद वे चले ही गये हों. आज भी गुरूजी का
प्रवचन सुना, हर बार सुनने पर कोई नई बात सुनने को मिलती है. वे पूरी बात सुनने का
श्रम नहीं उठाते या तो उनकी क्षमता ही नहीं है. जब तक पिछले वाक्य को समझते हैं,
एक वाक्य और बोला जा चुका होता है. कल जून का जन्मदिन है.
आज लालकिले से प्रधानमन्त्री
का भाषण सुना, मन जोशीले भावों से भर गया है. उन्होंने कहा, हर भारतीय को शुभ संकल्प
लेने हैं और उन्हें सिद्द होते हुए देखना है. आज देश में सकारात्मक माहौल बन रहा
है. भारत की आजादी को सत्तर साल हो गये हैं और अब समय आ गया है कि हर भारतवासी
अपने कर्त्तव्यों के प्रति सजग हो और अपने तौर पर कुछ न कुछ काम करे. वे स्वतंत्र
भारत के नागरिक होने का हर लाभ उठाते हैं. देश को आगे बढ़ाने का जज्बा लेकर उन्हें
साथ-साथ काम करना है. वे स्वच्छता के काम में अपना योगदान दे सकते हैं. देश की
सुरक्षा के लिए काम करने वाले सैनिकों के लिए उनके दिलों में गर्व की भावना हो.
देश के अंदर की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी हर किसी की है. सुबह वे लोग नेहरू मैदान
भी गये. लोगों की भीड़ और तिरंगे के प्रति उनके प्रेम को देखकर सभी उल्लसित थे. उनकी
सोच यदि सकारात्मक होगी तो शरीर भी स्वस्थ रहेगा. पुराने कर्म अपना फल देंगे, पर
वर्तमान में यदि वे सजग रहें और समभाव से उन्हें सहन करते जाएँ तो नये कर्म नहीं
बंधेंगे. जून के जन्मदिन का भोज आज दोपहर को कुछ मित्रों के साथ किया.
कल ही जन्माष्टमी का
उत्सव भी था, शाम को पूजा कक्ष की सफाई की. कृष्ण के चित्र पर माला चढ़ाई, कितने
सुंदर लग रहे हैं कृष्ण फूलों के मध्य ! गुरूजी का जन्माष्टमी पर दिया विशेष
वक्तव्य पढ़ा. देवकी देह का प्रतीक है और वसुदेव मन का. कृष्ण उनके ही भीतर जन्म
लेते हैं, जब अहंकार नष्ट हो जाता है. अहंकार ही उन्हें आनंद से दूर रखता है. अभी-अभी
क्लब की एक सदस्या का फोन आया. प्रेस जाने के लिए कह रही थी. इससे अच्छा है लेख
ड्राइवर के हाथ ही भेज दिया जाये. उनका समय और श्रम बचेगा. जीवन कितना अनमोल है,
यहाँ एक क्षण भी गंवाने जैसा नहीं है. कल दोपहर का भोजन गरिष्ठ था, रात को सिर में
दर्द हो गया. सुबह नींद देर से खुली, वर्षा हो रही थी, सो आज भी टहलने नहीं जा
सके. इस समय धूप निकली है.
आज पूरे एक सप्ताह
के बाद तैरने गयी. अच्छा लगा, अब पानी में स्वयं को नियंत्रित करना आसान लग रहा
है. धीरे-धीरे ही सही कुछ बात बन रही है. पानी में ठंड जरा भी नहीं लग रही थी, न
ही गर्मी. आज सुबह उठी उसके पूर्व नींद खुल गयी थी पर तमोगुण की प्रधानता के कारण
कुछ देर लेटी रही. सतोगुण में टिकना कभी-कभी सहज ही होता है पर कभी-कभी नहीं. यह
असजगता की ही निशानी है. कल छोटी बहन से बात हुई, उसे दाहिनी आँख में कुछ चमकदार
रंग दिखाई दिए, आँख की जाँच कराने को कहा है.
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (17-04-2019) को "बेचारा मत बनाओ" (चर्चा अंक-3308) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत बहुत आभार शास्त्री जी !
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