सुबह तैरने गयी, पर आगे नया
कुछ नहीं सीखा, अभ्यास किया, कल अवश्य ही पूरी चौड़ाई अपने आप तय करनी है, चाहे कुछ
भी हो जाये. सुरक्षित बने रहने से उन्नति नहीं होगी. रविवार था सो जून घर पर थे, नाश्ते में उन्होंने रवा डोसा बनाया.
आज शायद महीनों बाद या वर्षों बाद साधना नहीं की. परसों बेसिक कोर्स का फालोअप है,
देर तक अभ्यास हो जायेगा. नाश्ते के बाद हर सप्ताह की तरह पिताजी व दोनों ननदों से
फोन पर बात की. छोटी ननद मुंडेश्वरी देवी के मंदिर जाने वाली थी, अब तक लौट आई
होगी. दोपहर को योगदर्शन पर आचार्य सत्यजित की व्याख्या सुनी. प्रत्यक्ष और अनुमान
से जब उन्हें आत्मा का अनुभव होता है, फिर उसे शब्दों से कहा जाता है, और सुनने
वालों में उसे सुनकर जो वृत्ति उठती है, वह उसका ‘आगम’ है. ‘आगम प्रमाण वृत्ति’ भी
इसी को कहते हैं. ब्लॉगस पर दो पोस्ट्स लिखीं. दोपहर की योग कक्षा में बच्चों को
अंग्रेजी लिखने को कहा, उन्होंने काफी रूचि दिखाई. उसके बाद बाजार से नई इस्त्री
खरीदी. एक सखी तथा नैनी के बेटे के लिए जन्मदिन के उपहार खरीदे. इस समय टीवी चल
रहा है, आज महिला विश्वकप का फाइनल है. इंग्लैण्ड ने २२८ रन बनाये हैं भारत के दो
विकेट गिर गये हैं. खिलाडियों का जोश देखते ही बनता है. दांत में अब दर्द नहीं है, पर सही निदान के लिए परसों डेंटिस्ट के
पास तिनसुकिया जाना है.
आज सुबह कितने सुंदर
वचन सुने थे, हर क्षण का उपयोग करना जो जान जाता है, वह जीवन का उपयोग करना सीख लेता
है. जीवन व्यथा मुक्त हो यह ऐसी कथा इसकी बने ! उन्हें जो भी करना है, बेहतर करना
है व्यर्थ कुछ भी नहीं करना है. उनकी चाल शाहों की हो और नींद अति गहरी और प्यारी
हो. जो कुछ भी उनके पास शेष बचा है उसे बीज बनाकर बो दें. उनकी सारी ऊर्जा खिलने-खिलाने
में लगे. धरती और गगन पर जब देव शक्तियाँ जागृत हों, परम से जुड़कर उस ऊर्जा को वे
भीतर भर लें. उनकी नजर समाधान पर हो समस्या पर नहीं. उनकी दृष्टि शुभ हो,
दृष्टिकोण शुभ हो, परमात्मा से मन जुड़ जाए. जब परमात्मा उनके भीतर उतर आते हैं तब
वह उन्हें वह बुद्धि प्रदान करते हैं कि उनके विचार शुभ हों, भावनाएं शुभ हों,
कल्पनाएँ शुभ हों, आचार व व्यवहार भी शुभ हों ! इन शब्दों में उतर कर उन्हें शुभता
को धारण करना है. जो कर्म शक्ति दें, प्रेम दें वही कर्म उनके लिए हों, बल्कि कर्म
उनके लिए कला बन जाएँ ! उनका जीवन भगवान के प्रसाद जैसा हो ! हर दिन त्यौहार बन
जाये और हर कर्म पूजा !
जून कल गोहाटी गये
हैं. दिन भर व्यस्तता बनी रही. सुबह क्लब फिर एक सखी के यहाँ गयी, उसके पिताजी का
आज सुबह देहांत हो गया. बंगाली सखी ने वहीं से फोन करके बताया, दुःख में इंसान
दूरियां मिटा देते हैं. दस बजे मृणाल ज्योति जाना था. वहाँ एक समाज सेवी से
मुलाकात हुई, वह स्कूल के पानी की जांच जून के विभाग की प्रयोगशाला में कराना चाहते
हैं. वापस आकर भोजन किया फिर डेंटिस्ट के पास. परसों फिर बुलाया है. शाम को क्लब के
प्रोजेक्ट स्कूल की पत्रिका के लिए मीटिंग थी. पूरे समय अध्यक्षा ही बोलती रहीं,
उसे एकाध बार ही बोलने का मौका मिला. उनका काम करने का तरीका अलग है, उन्हें उनके
स्वभाव को समझ कर ही व्यवहार करना होगा. लौटी तो तीन महिलाएं भजन गा रही थीं, उनके
साथ कुछ देर बातें कीं. देर शाम को मूसलाधार वर्षा हुई. जून का फोन आया अभी कुछ देर
पहले. वह ट्रेन में बैठ चुके थे. सुबह पहुंच जायेंगे. उसे क्लब जल्दी जाना होगा
ताकि समय पर वापस आ सके.
ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 08/04/2019 की बुलेटिन, " ८ अप्रैल - बहरों को सुनाने के लिये किए गए धमाके का दिन - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDelete