Wednesday, April 3, 2019

रुद्र पूजा



आज सुबह पहली बार तरणताल में उतरी, अच्छा लगा पानी में. तैरना आते-आते तो शायद वक्त लगेगा पर पानी साफ था और मौसम भी खुशगवार. वापस आकर सारे कार्य करते-करते आठ बज गये, जबकि नाश्ता जून ने बना दिया था. सोनू से बात की, उसने कहा नन्हे से एक वर्ष में एक आदत छोड़ने को कहा है. वह जैसे शिकायत कर रही थी, कोई भी पत्नी यही करती है. वह पति को सुधारना चाहती है. वैसे ही पति भी शायद यही करता है, दोनों के अपने-अपने तरीके होते हैं. हर आत्मा अपने जीवन को विकसित ही देखना चाहती है. उसे नन्हे पर पूरा विश्वास है क्योंकि वह उसका ही अंश है, जैसे परमात्मा को हर आत्मा पर विश्वास होता है. आज समधिन से भी बात हुई. वह ठीक हैं और तैयारी में व्यस्त हैं. जून और वह कल ही इसके बारे में बात कर रहे थे. कल रात्रि भोजन जून के एक सहकर्मी के यहाँ हुआ और उनकी माँ के हाथ की बनी सुस्वादु खीर भी ग्रहण की. बेहद खुशदिल हैं उनकी माँ. जून ने हरसिंगार की एक कटिंग उनके बगीचे के लिए भिजवाई. आज सुबह भी पेड़ के नीचे से जामुन उठाये, ज्यादातर तो गिरते ही पिचक जाते हैं और वहाँ की जमीन जामुनी हो गयी है.

परमात्मा गुरू बनकर भीतर से चेताता है. आज सुबह उठने से पूर्व देखा, उसके जूते पूजा की वेदी पर हैं. कितना शर्मनाक है यह, तैरना जाने से पूर्व उसने अनजाने में जूते उस खाने में रख दिए थे जिसमें लोग थैले रखते हैं, हो सकता है इसी कारण यह स्वप्न देखा हो. कई बार जल्दी के कारण या असावधानी वश वे स्टोर में किसी सामान को लेने वे चप्पल लेकर प्रवेश कर जाते हैं, जहाँ पूजा का कोना भी है, पवित्रता का ध्यान नहीं रखते. कल से सचेत रहना है, अथवा तो ध्यान आदि के वक्त मन में परमात्मा के सिवा जो व्यर्थ का चिन्तन चलता है उसके प्रति संकेत हो सकता है. उनका जीवन जितना पवित्र बनेगा उतना ही परमात्मा की कृपा का अनुभव वे कर सकेंगे. आज तीसरा दिन था तैरना सीखते हुए, अब कुछ-कुछ समझ में आने लगा है. आज दो-तीन बार पानी भीतर गया पर यह तो होना ही था. कल काव्यालय से एक अन्य कविता के लिए पूछा है शायद अगले माह तक आये.

पिछले तीन दिन सात्विक व्यस्तताओं में बीते. शुक्रवार की सुबह ‘आर्ट ऑफ़ लिविंग’ आश्रम से एक स्वामीजी आये, उनके घर पर ही ठहरे. कल शाम को सिलचर के लिए रवाना हुए. उन्होंने विभिन्न स्थलों पर चार रुद्र पूजाएँ करवायीं, एक एओल सेंटर में और तीन घरों पर. कल शाम जब वे जा रहे थे, कृतज्ञता और आदर से गला भर आया था, गुरूजी का कार्य करते हुए वह जगह-जगह जाते हैं और ज्ञान की बात सुनाते हैं. केरल के निवासी हैं, आरएसएस से जुड़े हैं, गीतांजलि पढ़ना उन्हें अच्छा लगता है, किताबों का भी शौक है, उनके पिता खेती करते हैं तथा भाई व्यापार. इडली खाकर और काफी पीकर उन्हें अपने घर की याद आ गयी. जून ने उन्हें बहुत प्रेम से नाश्ता खिलाया. उनके लिए वह एक कविता लिखेगी. शुक्र की शाम को सेंटर पर रूद्र पूजा थी. उसने सोचा, एक बार वे भी करवाएंगे अपने घर रूद्र पूजा, अगले वर्ष या उसके अगले वर्ष ! शनिवार को क्लब में अनोखी फिल्म ‘जग्गा जासूस’ देखी, अच्छी लगी. कल दोपहर बच्चे आये थे. जून आज तीन दिनों के लिए गोहाटी जा रहे हैं.

4 comments:

  1. पिछले कुछ समय में मैं खुद को निराशा और अवसाद से घिरा हुआ सा पा रही थी। उस समय मेरे चचेरे बड़े भैया ने मुझे आर्ट ऑफ लिविंग से जोड़ा। मैंने 22 फरवरी से चार दिन का बेसिक कोर्स किया और उसके बाद 7 मार्च से चार दिन का DSN कोर्स किया। अब बहुत अच्छा लग रहा है। वास्तव में जीवन इतना जटिल नहीं है जितना अपनी सोच से हम उसे बना देते हैं।

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    1. आर्ट ऑफ़ लिविंग कोर्स जीवन को सुंदर बनाने की कला है, गुरूजी ने इसमें ज्ञान, भक्ति, सेवा और साधना का ऐसा अद्भुत समन्वय किया है कि कोई भी सीख सकता है और उत्साहमय जीवन जी सकता है. डीएसएन कोर्स समाज के प्रति हमारे दायित्वों को याद दिलाता है. आपका सौभाग्य है कि सही समय पर आपको इसकी जानकारी मिल गयी. आपको व आपके भैया को जय गुरूदेव !

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