फिर कुछ दिनों का अन्तराल ! इस समय रात्रि के पौने
आठ बजे हैं. मौसम आज भी बदली भरा है, दिन भर रिमझिम वर्षा होती रही. प्रातः भ्रमण
भी वर्षा की भेंट चढ़ गया. इसके बदले देर तक सांध्य भ्रमण हुआ. पूसी अब उन सबको
पहचान गयी है व अपना नाम पुकारे जाने पर दौड़ कर आती है. दोपहर को बच्चों को योग
कराया, भजन गाये, तब भी वह दूर बैठी देखती रही. सुबह की योग कक्षा में सूर्य
नमस्कार तथा सूर्य ध्यान किया. जून ने नाश्ते में उपमा बनायी तथा दोपहर को कर्ड
राईस, उन्हें खाना बनाने का शौक है त्तथा यही शौक नन्हे को भी है, उसने भी आज केक
बनाया होगा. आज ‘मन की बात’ भी सुनी. मोदी जी ने कितने ही विषयों पर जानकारी दी.
इस समय प्रधान मंत्री ईरान के एक गुरुद्वारे में हैं तथा मत्था टेक रहे हैं.
वर्षों के बाद भारत को एक धार्मिक प्रधानमन्त्री मिला है, जो देश को नई ऊचाइयों तलक
ले जाना चाहता है. उसके पूर्व एक वार्ता सुनी, जो हास्य की उपयोगिता के बारे में
थी. वक्ता के अनुसार जीवन को आनन्दपूर्वक जीना चाहिए, हर घटना में हास्य का पुट
खोज लेना चाहिए.
आज वे जोरहाट जा रहे हैं, कल शाम को लौटेंगे. कल हिंदी सम्मेलन में भाग लेना
है. पहला अवसर होगा यह उसके लिए, पर भीतर आश्वस्ति है. परमात्मा का हाथ सदा सिर पर
है, उसी की बात सुनानी है, उसे ही सुनानी है, तो कैसी सोच और कैसा विचार ! पूसी अब
उनसे बहुत घुलमिल गयी है, शायद कोई पहले का नाता हो. जून थोड़ी ही देर में आने वाले
होंगे, एक दिन के लिए कहीं जाने पर भी सामान कुछ न कुछ हो ही जाता है. आज
साप्ताहिक सफाई भी हुई और साप्ताहिक स्नान भी. कुछ करने की, करते रहने की जो प्यास
भीतर थी, अब शांत हो गयी है, मन हमेशा फुर्सत में रहता है. सुबह ब्लॉग पर आज की
पोस्ट प्रकाशित की. बड़े भाई से बात हुई, वह काफी हिम्मत वाले व्यक्ति हैं. आपरेशन
करवाने के बाद बहुत हिम्मत से रह रहे हैं. अकेले व्यक्ति का सबसे बड़ा साथी उसका
धैर्य होता है और परमात्मा ही वह धैर्य प्रदान करता है. छोटे भाई को सम्भवतः अब उनकी
देखभाल के लिए न जाना पड़े. आज बंगाली सखी का फोन आया, वे लोग उसके जन्मदिन पर
आयेंगे, उस दिन उसके तन को धारण किये भले ही कई दशक हो जाएँ उसकी मानसिक उम्र तो
यानि आत्मिक उम्र अभी किशोरावस्था में ही है. सद्गुरु की कृपा से जब भीतर वह अनुभव
हुआ था, उस दिन से ही दूसरा जन्म मानती है वह.
आज सुबह जून ने जगाया, कोई स्वप्न चल रहा था. परमात्मा की तरफ से उठाने के लिए
अंतिम स्वप्न ! कितनी मजबूती से वह उन्हें थामे रहता है पर पता भी नहीं चलने देता,
अपने होने की खबर भी दिए चले जाता है और खुद को पर्दों में छिपाए भी रहता है.
स्कूल गयी, सहायक अध्यापिका नहीं थीं सो शोर मचा हुआ था. बच्चों ने ठीक से ध्यान
नहीं किया. वापस आकर व उसके पूर्व ही फोन और संदेशों का सिलसिला शुरू हो गया था.
इस बार जन्मदिन पर कितने ही लोगों के संदेश मिले हैं. फेसबुक और व्हाट्सएप पर भी..शाम
को मेहमान आयेंगे उसके पूर्व योग कक्षा. दोपहर को जून की पसंद का भोजन बनाया. वह
उसे जोरहाट ले गये, यही उनका विशेष उपहार था इस वर्ष !
जून महीने का पहला दिन ! आज गर्मी भरा दिन है, सुबह हल्की सी वर्षा हुई हो
शायद उनके उठने से पूर्व. आज वे प्रातः भ्रमण के लिए नहीं गये, जून ने मेडिकल
टेस्ट कराया था, कल रिपोर्ट आएगी. पिछले कुछ दिनों से उन्हें दर्द की शिकायत थी.
कल क्लब में मीटिंग थी, हर्बल वेलनेस कम्पनी से कुछ लोग आये थे. स्वस्थ रहने के
लिए कुछ काम की बातें बतायीं, और अपने उत्पादों का विज्ञापन किया. आज भी क्लब के एक
प्रोजेक्ट के सिलसिले में मीटिंग थी, ठीकठाक हो गयी. पिछले कुछ दिनों से पूजाकक्ष
में चीटियों ने कहर ढा रखा है. कल देखा प्रिंटर के अंदर उन्होंने अपना अड्डा जमा
लिया है. प्रिंटर खराब हो गया, बनने गया है. उड़िया सखी के लिए विदाई कविता आज लिखी
है. बच्चों के प्रति उसका प्रेम असीम है, उस बारे में चार पंक्तियाँ जोड़नी हैं. कल
दीदी का जन्मदिन है, उन्हें भी कविता भेजनी है, कल सुबह ही लिखेगी, बिलकुल ताजा.
कल वृक्ष से आधा दर्जन कटहल तुड़ाकर परिचितों को भेजे. जाने किसने यह वृक्ष लगाया
होगा जो हर वर्ष फलों से लद जाता है, पक जाने खिड़की से उनकी गंध आती रहती है, और
कभी-कभी कोई फल नीचे गिरता है, तो जोर की आवाज आती है. उसे वर्षा के भीगे मौसम में
जमीन पर गिरे उसके बीज उठाने में आनन्द आता है, उन्हें उबाल कर स्वादिष्ट सब्जी भी
बनती है, नेट पर पढ़कर उसके फायदों के बारे में बताया तो जून ने भी खायी, वरना
उन्हें कटहल की गंध पसंद नहीं है,
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