पिछले दो दिन फिर कुछ नहीं लिखा, दिन जैसे उड़ रहे
हैं. मन भी श्रद्धा और विश्वास के पंख लगाकर ऊंची उड़ान पर निकल जाता है अक्सर,
कितने-कितने भाव उमड़ते हैं पर उन्हें शब्दों में बांधने का अवसर नहीं आता, कलम हाथ
में ही नहीं ली तो अवसर भी कैसे आएगा. आज शाम को एक मित्र परिवार भोजन पर आ रहा है,
उनका पालतू कुत्ता भी आएगा. एक अन्य सखी भी अपने पुत्र के साथ आएगी. सात्विक जैन भोजन
बन गया है. चावल व रोटी समय पर ही बनेंगे. वे लोग प्याज अदि नहीं खाते, उम्मीद है भोजन
सबको भायेगा. सुबह स्कूल से लौटकर देखा, पूसी के पैर में चोट लगी है, वह लंगड़ा कर
चल रही थी. सुबह से एक ही जगह बैठी है. सुख-दुःख हरेक जीव के साथ लगा रहता है. वह
शांत भाव से इसे सह रही है. उसने दवा लगाई, कल तक सम्भवतः ठीक हो जाएगी.
आज रथयात्रा है. भगवान जगन्नाथ, बलराम व सुभद्रा की अपनी मौसी के यहाँ जाने की
यात्रा का उत्सव, नौ दिन बाद वे पुनः अपने घर लौट कर आयेंगे. कितने अद्भुत त्यौहार
हैं भारत की संस्कृति में, कितनी कहानियाँ जुडी हैं इस उत्सव के पीछे. वे पहली बार
डिब्रूगढ़ के जगन्नाथ मन्दिर में रथयात्रा देखने गये. मन्दिर को बहुत कलात्मक तरीके
से सजाया गया है. धूप तेज थी, संगमरमर की सीढ़ियाँ तप रही थीं. उन्होंने खिचड़ी का
प्रसाद पाया और कुछ देर रुक कर लौट आये, रथ को रज्जु से खींच कर दो किमी तक ले
जाया जाना अभी शेष था. उससे पूर्व उन्होंने श्वेत फूलों से बनी सुंदर माला वहाँ
रखवाई. मूर्ति भी आने के बाद वहीं रखी जाएगी, तब उसे चढ़ाया जायेगा, ऐसा उन्हें
बताया गया. कल रात का भोज अच्छा रहा. सखी अपने पेट् डॉग के साथ बाहर बरामदे में ही
बैठी. पूसी का पैर अब ठीक है, वह ठीक से चल पा रही है. आज सुबह बहुत दिनों के बाद
श्वास की तीव्र गति के साथ ध्यान किया, जिसके बाद काफी देर तक मन बिलकुल स्थिर हो
गया था, प्रवृत्ति में आना ही नहीं चाहता था. वर्षा के कारण प्रातः भ्रमण के लिए
नहीं जा सके, बल्कि बगीचे में जामुन बीने, पके और मीठे, कल नन्हा आ रहा है, उसे भी
पसंद आयेंगे. उसके एक स्कूल के मित्र का विवाह है, जो अब डाक्टर बन गया है.
नन्हा आ गया है, दोपहर को कार से उतरा तो साथ उसका एक मित्र भी था. बिना बताये
मित्रों को घर लाने की उसकी पुरानी आदत है. कल रात एक अनोखा स्वप्न देखा. जिसमें अपने
भीतर आँतों में भोजन को पचते हुए देखा. पालक का साग था या अन्य कोई हरी पत्तेदार
सब्जी, कितना हर रंग था, जो आँतों में घूम रही थी. रात को सोने से पूर्व हृदय व
फेफड़े पर ध्यान किया था कि भीतर क्या चल रहा होगा. प्रकृति उन्हें सब जताना चाहती
है, यदि कोई जानना चाहे तो.
दस बजने को हैं. नन्हा अपने मित्रों के साथ तिनसुकिया गया है, वहीं से वे दिगबोई
जायेंगे, दोपहर लंच तक वापस आयेंगे. एक मित्र मुम्बई से आया है, एक मैंगलोर से और
एक बंगलूरू का, सभी डाक्टर हैं तथा दूल्हे के मित्र हैं. नन्हे की एक मित्र भी आई
है, जो आज रात विवाह में शामिल होने के बाद कल वापस जा रही है.
कल दोपहर वह डिब्रूगढ़ के जेजे मेमोरियल अस्पताल गयी थी, क्लब की प्रेसिडेंट की
बेटी को देखने. उसके रक्त में प्लेटलेट्स की संख्या काफी घट गयी है, कई दिन से इलाज
चल रहा है. आज नन्हे का जन्मदिन है. सम्भवतः इस वर्ष के अंत तक वह विवाह करने का
निर्णय ले ले. सर्दियों में ही विवाह का कार्य सम्पन्न करेंगे. सादा विवाह जिसमें विधि
का ध्यान रखा जाये, एक गरिमापूर्ण आयोजन हो. यहीं पर करना ठीक होगा क्योंकि यहाँ
का शांत वातावरण सभी मेहमानों को भी पसंद आएगा. देखे, भविष्य में क्या लिखा है,
पहले तो सभी को सुनकर कुछ अजीब लग सकता है, पर जब उन्होंने इसे स्वीकारा है तब
किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए.
नन्हे के मित्र का विवाह सम्पन्न हो गया. कल गये थे वे रिसेप्शन पार्टी में.
वापसी में नन्हे ने कहा वह अपने मित्र के मित्र के साथ शिवसागर जाना चाहता है. जून
को लगा वे लोग उनकी कार में जाने की बात सोच रहे हैं. उन्हें अपनी कार से लगाव है,
फिर उन्हें यह भी अच्छा नहीं लगा होगा कि इतने कम समय के लिए पुत्र आया है और घर
में समय बिताना नहीं चाहता. वह वापसी की यात्रा में चुपचाप बैठे रहे. पिता-पुत्र
में एक दूरी सी आ गयी हो ज्यों. कल्पना के कारण मन स्वयं को दुखी कर लेता है. शायद
वह दुखी होने का बहाना ही खोज रहा होता है, अहंकार का भोजन ही है दुःख, वह उसी पर
पोषित होता है. पर आत्मा यह भूल जाती है कि हर नकारात्मक विचार उसे खुद से कितना
दूर ले जाता है. शाम के साढ़े तीन बजने को हैं, नन्हा सुबह से कम्प्यूटर पर ही है.
शाम को एक मित्र परिवार मिलने आएगा, वे भेल-पूरी और चाट बनायेंगे. सुबह-सुबह ही एक
सखी का फोन आया, वह बाद में खुद आई और प्राणायाम व आसन की विधि सीखी. कितना सहज हो
गया है उसके लिए अब किसी को यह सब सिखाना. भीतर की ग्रन्थि जो कट गयी है. उसकी बिटिया
को पूसी से खेलना बहुत पसंद है. हो सकता है शाम को वर्षा हो जाये, इस समय बाहर बहुत
तेज धूप है. जुलाई भी आधा बीतने को है, पहली अगस्त से स्कूल खुल जायेगा. आज सुबह
क्लब की सेक्रेटरी से बात हुई, वह शीघ्रातिशीघ्र अपने पद से मुक्त होना चाहती है. नई
कमेटी जितनी जल्दी बने उतना ही अच्छा है. एक तमिल सखी का फोन आया, सदा की तरह कहा,
एक दिन आएगी योग सीखने !
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