नन्हा कल वापस चला गया. एक हफ्ता उसके रहने से घर का
माहौल ही बदल गया था. पता ही नहीं चला एक हफ्ता कैसे बीत गया. मित्र के विवाह में
वह आया तो अपने साथ एक मित्र को भी ले आया, दोनों ने ड्रोन उड़ाया और वह खो गया. उसे
यकीन है कि एक न एक दिन वह मिल जायेगा. उसकी मित्र भी पहली बार घर आई, पता नहीं
भविष्य में क्या लिखा है. नन्हे ने पूसी के लिए जो घर बनाया उसमें रेशमी वस्त्र
बिछाया, काफी आरामदेह है, वह रात को उसमें सो भी सकती है. अगले हफ्ते मृणाल ज्योति
में वार्षिक सभा है. जिसके लिए उसे एक कविता लिखनी है. जून कल चार दिनों के लिए
शिलांग व गोहाटी जा रहे हैं. इस दौरान उसे एक जन्मदिन की पार्टी में जाना है और उसी
दिन महिला क्लब की थैंक्स गिविंग पार्टी भी होने वाली है. अगले दो दिन घर की सफाई
में लगने वाले हैं, पिछले हफ्ते इसकी तरफ ज्यादा ध्यान नहीं दिया.
सुबह टीवी पर एक ब्रह्मकुमारी बहन आठ शक्तियों के विषय में बता रही थीं. हर
आत्मा में ये आठ शक्तियाँ हैं. पहली है सिकोड़ने और फ़ैलाने की शक्ति, कछुए की तरह
विपत्ति आने पर स्वयं को सिकोड़ लेना और सामान्य काल में विस्तार कर लेना यदि वे सीख
जाते हैं तो हर परिस्थिति का सामना कर सकते हैं. दूसरी है समेटने की शक्ति, जो भी
विस्तार उन्होंने जगत में किया है, अंत में एक क्षण में उसे छोड़ कर जाना होगा. यदि
जीवन काल में भी समय-समय पर सब प्रवृत्ति त्याग कर गहन ध्यान में जाने की क्षमता
है तो मोह से मुक्ति सहज ही मिल जाती है. मन की समता बनाये रखने के लिए सहन शक्ति या
तितिक्षा का भी सबको अभ्यास करना है. यदि मन में सबके प्रति शुभभावना होगी तो किसी
की बात बुरी नहीं लगेगी और सबके साथ निभाना सरल हो जायेगा. किसी भी बात को अपने
भीतर समाने की शक्ति को भी पोषित करना है, जो विशाल बुद्धि से आती है, जीवन जितना
मर्यादित होगा, अनुशासन का पालन सहज होगा उतना ही विपरीत को समाना आसान होगा. सार-असार,
नित्य-अनित्य को परखने की शक्ति भी हर आत्मा में छुपी है. ज्ञान को अपने भीतर धारण
करने से ही यह पोषित होती है. किसी भी विषय में शीघ्र निर्णय लेने की क्षमता भी
हरेक के भीतर है पर वे कई बार गलत निर्णय ले लेते हैं या निर्णय को टालते रहते हैं
और समय निकल जाता है. सांतवी शक्ति है सामना करने की, जीवन में किसी भी परिस्थिति का
बहादुरी से सामना करने की शक्ति भी जगानी होगी. अंतिम लेकिन एक महत्वपूर्ण शक्ति
है सहयोग करने की शक्ति, जगत म,एन सभी को किसी न किसी का सहयोग चाहिए, जो सबके साथ
मिलकर काम करना जानता है, वह कभी अकेला नहीं होता.
जून इतवार दोपहर को गये, शाम तक शिलांग पहुंच चुके थे, अगले दिन गोहाटी आ गये.
सम्भवतः परसों वह लौट आयेंगे. रविवार को उसने बच्चों के साथ गुरूपूर्णिमा का उत्सव
मनाया, सोमवार को संध्या के योग सत्र में फिर से महिलाओं के साथ. अगले सप्ताह
उन्हें महिला क्लब की मीटिंग में योग पर एक कार्यक्रम प्रस्तुत करना है. इस समय
रात्रि के ग्यारह बजने को हैं. शाम को लिखना आरम्भ किया था कि योग कक्षा का समय हो
गया. उसके बाद तैयार होकर वह एक नन्ही बच्ची के जन्मदिन की पार्टी स्थल पर गयी,
वहाँ होटल के स्टाफ के अतिरिक्त कोई नहीं था. लौट कर उनके घर गयी फिर बच्ची की
नानी के संग वहाँ पहुँची. काफी अच्छा इंतजाम था. केक काटा गया और बिना अंडे का केक
खाकर वह महिला क्लब की आभार प्रकटीकरण के भोज में आ गयी. जहाँ सभी महिलाएं आ चुकी थीं.
मेहमान पौने नौ बजे आने शुरू हुए. दस बजे तक औपचारिक भाषण आदि होते रहे, उसके बाद
जूस पव अन्य पेय आदि दिए गये, मेहमानों में कुछ उच्च अधिकारी भी थे. दस बजे वह
वापस आ गयी, एक सखी ने रोटी व रायता पैक करके दे दिए, दिन की भिंडी की सब्जी पड़ी
थी, सो डिनर घर पर ही खाया. सुखबोधानन्द जी को बहुत दिनों बाद सुना और अब ‘पीस ऑफ़ माइंड’
पर गूढ़ चर्चा चल रही है. वे आत्मायें हैं, हर अपने शुद्ध रूप में आत्मा पवित्र हंस
है, देवदूत है, कमल वत है ! कर्मों के द्वारा ही वे आत्मा के शुद्ध स्वरूप से नीचे
गिरते हैं और ज्ञान, कर्म व धारणा के द्वारा ही वे पुन शुद्ध स्वरूप को पा सकते
हैं. स्वयं को दाता से जोड़कर उन्हें भी कर्मों तथा वाणी के द्वारा जगत को देते ही
जाना है. वे जब स्वयं के असली स्वरूप को भूल जाते हैं तो ही द्वंद्व में पड़ते हैं.
यदि हर क्षण यह याद रहे कि वे कौन हैं, तो सदा आत्मा में ही रमण करेंगे.
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