सुबह एक अजीब सा स्वप्न देखा, वह एक नदी के तट पर है,
उस पार से एक छोटी सी नौका में बैठकर एक नन्हा सा बच्चा उसके पास आता है. उसके हाथों
में पीले-सफेद फूलों की एक सूखी माला है, जो वह उसे देता है. वह बदले में उसे कुछ
देने के लिए, उसे वहीं छोड़कर भीतर आती है, फूल के बिना गुलाब की टहनियाँ हैं,
कांटों से बचाने के लिए वह केवल पत्तियाँ तोड़ती है कि बाहर से किसी महिला के रोने
की आवाज आती है, “मेरा बच्चा पानी में डूब रहा है, उसे बचाओ”, फिर आवाज आती है, “डूब गया”. वह घर के भीतर से ही समझ
रही है कि महिला उसके घर की तरफ हिकारत भरी नजर से देख रही है, तभी नींद खुल जाती
है. यह दुःस्वप्न अवश्य ही आत्मा ने जगाने के लिए गढ़ा होगा. आत्मा कितनी विचित्र
है, कितनी मनमोहिनी ! सुबह वह स्कूल गयी थी, बच्चों व अध्यापिकाओं के साथ ध्यान
किया. दोपहर को काफी दिन बाद ब्लॉग पर लिखा. इस समय रात्रि के दस बजने को हैं. पूरे
गर्जन-तर्जन के साथ बाहर वर्षा हो रही है. शाम को देर तक मालिन ने बगीचे में पानी
डाला था, और अब बादल भेज रहे हैं. मालिन का बेटा जो कल अस्पताल में भर्ती था आज
खेल रहा था. जून कल देहली गये हैं, परसों लौटेंगे. देहली का मकान अगले महीने बिक
जायेगा. सप्ताहांत में उन्हें बंगलूरू जाना है.
पौने छह बजे हैं शाम के, कुछ देर में योग कक्षा आरम्भ होगी और एक घंटा कैसे
बीत जायेगा पता ही नहीं चलेगा. सुबह एक स्वप्न देख रही थी कि मध्य में ही नींद खुल
गयी, कोई कह रहा था, यह तो स्वप्न है, कितना आनंद आया. ऐसे ही एक दिन नींद में भी
पता चल जायेगा कि यह तो नींद है और तब स्वप्न आने ही समाप्त हो जायेंगे.
दिवास्वप्न तो अब बहुत कम हो गये हैं, हर पल भीतर जागरण की एक धारा बहती रहे, यह
प्रयास रहता है. आज क्लब की एक डाक्टर सदस्या से मिलने उनके घर गयी, अगले महीने वह
सदा के लिए यहाँ से जा रही हैं. उन्होंने बताया, डिब्रूगढ़ में जन्मी थीं. वे लोग चार
भाई तथा तीन बहने हैं, सभी पढ़े-लिखे तथा उच्च पदों पर हैं. पिता चाय बागान में फैक्ट्री
प्रमुख थे. उन्होंने आसाम मेडिकल कालेज से डाक्टरी की पढ़ाई की, फिर एपीएससी की
परीक्षा पास करके सरकारी नौकरी में आ गयीं. वर्तमान में वह तिनसुकिया में
स्वास्थ्य विभाग में डिस्ट्रिक्ट प्रमुख हैं. स्कूल के समय से ही उन्हें पेन
फ्रेंड बनाने का शौक था, पतिदेव पहले पेन फ्रेंड बने, फिर फ्रेंड और अंत में
हसबेंड. अब वे समाजसेवा से जुड़ना चाहती हैं. चाय बागान के मजदूरों काम लिए कुछ काम
करना चाहती हैं. उसने इन सभी बातों का जिक्र करते हुए उनके लिए एक कविता लिखी,
ताकि क्लब की अन्य सदस्याओं को भी उनके कर्मशील जीवन के बारे में जानकारी हो. समाज
को ऐसी महिलाओं की बहुत आवश्यकता है.
वाह, खूबसूरत!
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार ध्रुव जी !
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