प्रधानमन्त्री का कार्यक्रम ‘मन की बात’ वे सुबह नहीं सुन सके
सो शाम को यू ट्यूब पर सुन रहे हैं. तीस जनवरी को ठीक साढ़े ग्यारह बजे सारे
भारतवासी एक साथ दो मिनट का मौन रखें तो कितना अच्छा हो, प्रधानमन्त्री यह कह रहे
हैं. वह खादी की तारीफ भी कर रहे हैं. उसने सोचा वे भी वस्त्रों की अगली खरीदारी
के समय खादी को ही महत्व देगी. उन्होंने सूर्य ऊर्जा से चलने वाले चरखे का भी
जिक्र किया, उसे बचपन में छठी कक्षा में चलायी तकली और रुई की पतली-पतली पूनियां
याद हो आईं, कितनी कोमल होती थीं वे श्वेत पूनियां. आतंकवादियों के भय के बावजूद
देश में गणतन्त्र दिवस भव्य तरीके से मनाया गया. हरियाणा में ‘बेटी बचाओ’
कार्यक्रम की सफलता का जिक्र भी वह कर रहे हैं. किसानों के लिए फसल बमा योजना पर
वे देशवासियों की मदद चाहते हैं, वे चाहते हैं, किसानों तक यह बात पहुँचे. उन्होंने
एक मोबाईल नम्बर दिया जिस पर मिस कॉल करके वे ‘मन की बात’ कभी भी सुन सकते हैं. स्टार्ट
अप के इवेंट की बात की, सिक्किम के ऑर्गेनिक स्टेट होने की बात कही, पशु आहार की
उत्तमता की बात और स्वच्छता की बात जो उनका प्रिय विषय है. कई शहरों में रेलवे
स्टेशन सुंदर बन रहे हैं. उन पर परंपरागत कला का अंकन किया जा रहा है. अगले महीने
विशाखापत्तनम में दुनिया भर के नौसेना के युद्धपोत अभ्यास के लिए एकत्र हो रहे
हैं. गोहाटी में सार्क देशों के खेलों का आयोजन हो रहा है. विद्यार्थी चिंतामुक्त
होकर कैसे परीक्षाएं दे सकें इसका जिक्र भी उन्होंने किया, कुल मिलाकर सभी मुख्य
मुद्दों को उन्होंने छुआ है. उनकी जोश से भरी बातें सुनकर मन देश के भविष्य प्रति आशावान
हो जाता है और प्रेम से भरने लगता है.
नये वर्ष के दूसरे माह का प्रथम दिन ! मौसम ठंडा है, बादलों भरा ! सुबह टहलने
गये तो सड़कें भीगी थीं और स्वच्छ लग रही थीं. बहुत दिनों बाद गुरूजी को टीवी पर सुना.
साधना टीवी पर सात बजे उनका प्रवचन आता है, सोचा, अब नियमित सुनेगी. ज्ञान का कोई
अंत नही, और जैसे रोज ही घर को साफ करते हैं, स्नान करते हैं, वैसे ही रोज सत्संग
के द्वारा मन को भी स्वच्छ करना होता है. तीस दिनों का प्रोजेक्ट पूरा हो गया है जो
युनिवर्स संस्था ने ऑन लाइन शुरू किया था, किन्तु उसे हर महीने पुनः दोहराना होगा.
नये विचार और नई कल्पनाओं का सृजन तो निरंतर होने वाली घटना है. कल बड़ी भांजी का
जन्मदिन है, उसके लिए कविता लिखनी है, परसों एक सखी की बिटिया का और इसी माह छोटे
भांजे का भी, जिसका हाल ही में विवाह हुआ है, उसके लिए भी कुछ लिखना होगा. लेडीज
क्लब की तीन सदस्याएं इसी माह जा रही हैं, सबके लिए विदाई कविता. मृणाल ज्योति के
लिए एक लेख लिखने का भी आरम्भ करना है. आज से ‘योग वशिष्ठ’ पढ़ना भी शुरू किया है.
सुबह के नौ बजने वाले हैं. वह धूप में बैठी है, मौसम बदलते यहाँ देर नहीं
लगती. मन उत्साह से भरा है और परमात्मा के प्रेम से ! उसके प्रति कृतज्ञता के भाव
उमड़ते हैं, जो शब्दों में नहीं समाते. गुरूजी को आज भी सुना, हो सकता है वे विश्व
सांस्कृतिक सम्मेलन के लिए मार्च में देहली भी जाएँ, उसने जून से नहीं कहा,
उन्होंने स्वयं ही कहा. सुबह नींद देर से खुली, मन अपने पुराने स्वभाव के अनुसार
स्वप्न बुन रहा था. कल शाम को वह बंगाली सखी से मिलने गयी, उसकी माँ यहाँ आयी हुई
हैं, बहुत खुश हुईं. उनके लिए भी कुछ लिखेगी. इस महीने क्लब की कमेटी की मीटिंग
उनके यहाँ है, एक अन्य सदस्या भी सहायता करेगी. उसने सोचा उससे मिलकर मेनू तय करने
के बाद खरीदारी के लिए सामानों की सूची बना लेगी. आज शाम को नन्हे के एक मित्र के
विवाह की रिसेप्शन पार्टी में जाना है.
कल शाम को लौटने में देर हुई, भोजन भी काफी गरिष्ठ था. बाजार जाकर खरीदारी की,
परसों ही मीटिंग है. कुछ काम कल ही कर लेना होगा. सभी को संदेश भी भेजना है, सभी
के लिए नये वर्ष के कार्ड्स पर नाम भी लिखे, अभी इतनी देर नहीं हुई है कि नये वर्ष
के कार्ड्स न दिए जा सकें. दोपहर के दो बजने को हैं. आज सुबह से सफाई का कार्य भी
चल रहा है. घर की तरफ कुछ दिन भी ध्यान न दिया जाये तो कैसा अस्त-व्यस्त हो जाता
है. कल की मीटिंग के लिए ही है यह सब, इसी बहाने स्टोर और रसोईघर भी अच्छी तरह साफ
हो गये. पिछले एक हफ्ते से उसने चाय पीनी बंद की है, पर कुछ भी अंतर महसूस न्ह्यीं
हो रहा है. शायद इतनी जल्दी पता नहीं चलेगा, किसी भी बात का असर देखना हो तो कम से
कम तीन माह का समय देना ही चाहिए. एक दिन नेट पर चाय के फायदों के बारे में पढ़ा था,
फिर हानियों के बारे में भी. आत्मा को तो इसकी कतई आवश्यकता नहीं है. भौतिक वस्तु
की पहुँच भौतिक तक ही होती है.
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन जन्म दिवस - मृणाल सेन और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार हर्षवर्धन जी !
Deleteअरे ,सबके लिये लिकना पड़ेगा-सच मेैं बड़ा काम है .
ReplyDeleteस्वागत व आभार प्रतिभा जी..जिस काम में मन राजी हो वह बड़ा नहीं लगता..सहज ही हो जाता है
Delete