आज सुबह आत्मभाव में रहने का अनुभव कितना प्रबल
था, देह स्वयं की अनुमति के बिना हिल नहीं सकती, बिलकुल जड़ हो गया था शरीर. भीतर से किसी के कहते ही उठकर बैठ गया. मन भी आत्मा के सम्मुख विवश है, वह लाख
कहता रहे पर जब तक अन्तर्वासी हामी नहीं भरता, उसकी बात का क्या अर्थ है, तभी तो
वे मन से जिन वायदों को करते हैं, उन्हें टूटने में देर नहीं लगती, क्योंकि किसी
गहराई में वे स्वयं ही उन्हें पूरा करना नहीं चाहते. आत्मा तक पहुंच होगी तभी तो
उसकी ‘हाँ’ या ‘न’ को समझ पाएंगे. ध्यान के सिवा आत्मा को जानने का कोई तरीका नहीं
है.
कल रात को कितना सुंदर स्वप्न देखा. नदी किनारे कुछ ऊँचाई पर एक कच्ची-पक्की सड़क
के किनारे उनका घर है. ऊपर से नदी दिखती है. पानी में हजारों की संख्या में लाल
कमल बहे चले आ रहे हैं. कितने वास्तविक लग रहे थे. पर उसे विचार आया कि नदी के उस
पार जाकर निकट से देखे, फिर फूल समाप्त हो गये. पानी बह रहा था और उसमें एक पतली
सी नौका थी, जिसके द्वारा नदी को पार किया जा सकता था. तभी अचानक स्वप्न बदल गया.
अब एक वाहन में बैठकर वह सड़क के अंत तक जाती है. वापसी में एक बहुत बड़ा सा शेर
पानी से निकल कर सड़क किनारे स्थित पर्वत पर चढ़ जाता है. ड्राइवर भी भयभीत है. शेर
बोनट पर आकर खिड़की से सिर अंदर कर लेता है, मृत्यु निकट है पर अचानक वह शेर शांत
हो जाता है, वे उसके पंजे बाँध देते हैं और वह उसका चेहरा सहलाती है. वह मित्र बन
गया है. कितना अद्भुत था यह स्वप्न ! सुबह नींद भी समय से खुल गयी. क्लब के आयोजन
का प्रबंध कार्य ठीक चल रहा है, यकीनन इस बार का कार्यक्रम पहले से अच्छा होगा.
परसों पूरा दिन उसी को समर्पित होगा. इस डायरी के पन्ने पर नीचे लिखा वाक्य कितना
सुंदर है, उसने सोचा फेसबुक पर उसे पोस्ट करेगी.
We find comfort among those who agree with us, growth among those who don’t.
By Frank A.Clark
कल रात्रि कोई स्वप्न नहीं देखा. आज पढ़ा व कल सुना था कि बायीं करवट लेकर सोना
बहुत फायदेमंद है. आज से वही करेगी. मन को व्यर्थ के संकल्पों से बचाना है, जो कुछ
बाहर दिखाई दे रहा है, अथवा जिसके बारे में मन सोच रहा है, वह सब प्रतिपल बदल रहा
है. भीतर मन की गहराई में जो एक रस, स्थिर, अडोल सत्ता है, वही सदा एक है, उसी में
टिकना है, वह ऊर्जा का स्रोत है. मन के व्यर्थ विचार उसे व्यर्थ बहाना है. वही
ऊर्जा कविता बन सकती है, प्रेम, ज्ञान और शांति बन सकती है. वही उर्जा संसार के
हित में कुछ करने की शक्ति बन सकती है. कल नैनी के पुत्र के अन्नप्राशन में गयी.
उसे अच्छी तरह पाल रहे हैं ऐसा लगा, काफी चुस्त है और ठीक बढ़ रहा है. आज माली ने
एक नई क्यारी खोदी, उनके सुंदर बगीचे में एक और कदम ! आज धूप में बैठने का भी
मुहूर्त निकला है, अंदर काफी ठंड है, यहाँ धूप में कितनी राहत है. पड़ोस के घर में
मजदूर काम कर रहे हैं, नये पड़ोसी आने में अभी समय लगेगा. आज एक पाकिस्तानी गीत
देखा, सुना, जो उन बच्चों की याद में बना है जिन्हें आतंकवादियों ने स्कूल में ही
मार दिया था. आतंकवादी निरीह बच्चों तक को नहीं छोड़ते. समाचारों में सुना एक नया
वायरस निकला है जो कई देशों में तबाही मचा रहा है, जिसका इलाज अभी खोजा नहीं गया
है, लेकिन यह वायरस आया कहाँ से ?
आज का सारा दिन क्लब में गुजरा. सुबह सामान्य थी, वे प्रातः भ्रमण के लिए गये.
तत्पश्चात तैयार हो ही रही थी की एक सखी का फोन आया. वह बुला रही थी. दोपहर को जून
के साथ ही लंच के लिए लौटी और उन्होंने ही वापस जाते समय छोड़ दिया. शाम को फिर एक
बार घर आई नाश्ते के लिए और उसके बाद रात्रि साढ़े आठ बजे. गोहाटी, जोरहाट,
तिनसुकिया, डिब्रूगढ़, मार्गरेट तथा स्थानीय आस-पास के कितने ही डिजाइनर और वस्त्र
विक्रेताओं ने अपने स्टाल लगाये थे. इसी तरह का आयोजन दो माह बाद एक बार और करना
है. जून ने कहा, वह उस दिन कहीं घूमने चले जायेंगे, सम्भवतः दिन भर अकेले रहना
उन्हें खल गया है. हो सकता है उनका कोई टूर अपने आप ही तभी निकल आये.
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