Tuesday, March 27, 2018

चोखम का बौद्ध मंदिर



यह वर्ष समाप्त होने में मात्र चार दिन रह गये हैं, जिनमें से दो वे अरुणाचल प्रदेश में बिताने वाले हैं. आज सुबह दो महिलाएं आई थीं योग कक्षा में. सोलह मिनट सूर्य नमस्कार किया, बीस मिनट का सूर्य ध्यान किया तथा शेष समय प्राणायाम तथा थोड़ा व्यायाम. सुबह का एक घंटे का अभ्यास दिन भर कैसा तरोताजा रखता है. दोपहर को बच्चे आये, कुछ नये भी थे. उन्होंने सुंदर चित्र बनाये. मंझले भाई-भाभी के विवाह की वर्षगांठ है आज. छोटी बहन ने व्हाट्सएप पर अच्छा सा गीत गाकर उन्हें शुभकामनायें दी हैं. अभी-अभी मोदी जी की ‘मन की बात’ सुनी, वह बहुत अच्छा बोलते हैं, उनका विरोध करने के लिए कांग्रेस को बहुत मेहनत करनी पड़ेगी.

मात्र तीन दिन ही शेष हैं इस वर्ष को बीतने में. जीवन भी इसी तरह एक दिन चुक जायेगा. जब तक वे जीवित हैं, जीवित रहने का कुछ तो सबूत दें अपने कृत्यों द्वारा, अपने व्यवहार द्वारा किसी के जीवन में कोई परिवर्तन ला सकते हैं तो लायें, अपने शब्दों से किन्हीं हृदयों के सुप्त पड़े भावों को जगा सकें तो उनकी कलम सार्थक होगी. वे अपने विचारों को इतना शुद्ध बनाएं कि उनकी गरिमा उनके व्यक्तित्त्व से झलके. कल प्रधान मंत्री का भाषण सुनकर बहुत अच्छा लगा. आज रूस में दिया उनका एक भाषण सुना, एक पॉप सिंगर द्वारा गए वैदिक मन्त्रों को सुना. सचमुच विश्व पुनः दैवी संस्कृति की ओर बढ़ रहा है. भारत-पाकिस्तान के रिश्ते सुधर रहे हैं. जैविक खेती के प्रयोग बढ़ रहे हैं. गली-मोहल्ले सफाई की तरफ ध्यान दे रहे हैं. विकलांगों के प्रति सोच बदली है, विश्व शरणार्थियों को बाहें फैलाये स्वागत करने को तैयार है. भारत में संस्कृत भाषा का प्रचार हो रहा है. देश में आशा की लहर जगी है.


अरुणाचल प्रदेश के रोइंग जिले का ‘मिशिमी हिल कैम्प’ दो दिनों के लिए उनका घर बन गया है. जिसे श्री पुलू चलाते हैं. इस प्रदेश की यह उनकी पहली यात्रा नहीं है, पिछले कई वर्षों के दौरान खोंसा, मियाओ, बोमडिला, तवांग, देवांग, परशुराम कुंड, आदि स्थानों को देखने के बाद इस वर्ष के दो अंतिम दिन बिताने वे रोइंग आए हैं. उत्तर-पूर्व भारत का सबसे बड़ा राज्य अरुणाचल जिसकी सीमाएं देश में असम तथा नागालैंड से मिलती हैं तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीन, भूटान और बर्मा से, प्राकृतिक सुन्दरता के लिए विख्यात है. कल सुबह साढ़े सात बजे वे घर से रवाना हुए और असम की सीमा पार कर चोखम नामक स्थान में स्थित बौद्ध मन्दिर ‘पगोडा’ में कुछ देर रुक व नाश्ता करके पांच घंटों की रोमांचक यात्रा के बाद यहाँ पहुंच गये. आलूकबाड़ी में लोहित नदी को वाहन सहित फेरी से पार किया, एक साथ चार-पांच वाहन तथा बीस-पच्चीस व्यक्तियों को लेकर जब नाव नदी पार कर रही थी तो दृश्य देखने योग्य था. नदी पर पुल निर्माण का कार्य जोरों से चल रहा है, पर आगे भी दो-तीन जगह छोटी-उथली नदियों को उनमें से गुजर कर पार करना पड़ा, जिन पर पुल बनने में अभी काफी समय लगेगा. छोटे-बड़े श्वेत पत्थरों से ढके विशाल नदी तट देखकर प्रकृति की महिमा के आगे अवनत हो जाने अथवा विस्मय से भर जाने के अलावा कुछ नहीं किया जा सकता.


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