Tuesday, December 19, 2017

भात करेले की बेल


रात्रि के सवा आठ बजे हैं. जून आईपीएल मैच का फाइनल देख रहे हैं जो चेन्नई और मुम्बई के मध्य खेला जा रहा है. इसके पूर्व ‘पृथ्वीराज चौहान’ पर एक एपिसोड देखा. उसने दिन भर में हुई विशेष बातों को स्मरण किया. आज दोपहर की कक्षा में एक नया बच्चा आया, जिसके पिता उसे खुद छोड़ने आये थे और विशेष ध्यान देने को कह गये हैं. बच्चों ने बहुत सुंदर कला कृतियाँ बनायीं. दोपहर को भात करेला की सूखी सब्जी बनाई थी, जो जरा भी कड़वा नहीं होता. बगीचे में उसकी बेल अपने आप ही हर वर्ष निकल जाती है और सब तरफ फ़ैल जाती है. आज मंझले भाई का फोन आया, वह तबादले पर लेह जा रहा है. जून में वे भी वहाँ जायेंगे.

चार बजने को हैं शाम के. सुबह बिस्तर त्यागने से पूर्व संध्याकाल का अनुभव किया. बाहर वर्षा हो रही थी, बरामदे में ही टहलते रहे कुछ देर. अब जाकर थमी है. आज मंगलवार है, साप्ताहिक भजन का दिन, समूह में सत्संग किये सालों हो गये हैं. जून को पसंद नहीं है पर घर पर करना उन्हें अच्छा लगता है. संस्कार पड़ रहे हैं, एक दिन तो पनपेंगे. आज सुबह मृणाल ज्योति गयी, बच्चों को व्यायाम कराया, उन्हें अच्छा लगा. आज तीनों ब्लॉगस पर पोस्ट प्रकाशित कीं. जीवन में क्या महत्वपूर्ण है, यह समझने में व्यक्ति कितना समय लगा देता है. कल शाम को जून के एक सहकर्मी अपने परिवार के साथ आये थे, उनके साथ फिल्मों की बातें कीं, और पौधों की भी. वे मैकरोनी लाये थे. सालों बाद खायी.

एक दिन का अन्तराल, आज का दिन कुछ अलग सा बीता, जून को चेन्नई जाना था सो भोजन दस बजे ही कर लिया. उसे भी स्कूल से एक शिक्षिका के साथ अन्य स्कूलों में जाना था, लौटी तो एक बजने को था. वे किशोरियों के एक कार्यक्रम के लिए आमन्त्रण देने कई स्कूलों में गयीं. हिंदी हाई स्कूल, नहोलिया, गोपीनाथ बरदलै हाई स्कूल, लखिमी बरुआ हाई स्कूल, दुलियाजान गर्ल्स कालेज, राष्ट्रभाषा हाई स्कूल और दुलियाजान उच्च विद्यालय. कल एक और स्कूल आशादीप में जाना है. वापस आकर कुछ देर सोने की कोशिश की पर नींद नहीं आई. माली की बेटी कुछ मांगने आयी थी, होते हुए भी उसे नहीं दी, शाम को दी. गधा अपनी मर्जी से ही चलता है. परमात्मा उन्हें बेशर्त हर पल ही दे रहा है पर वे कितने सुविधा लोभी हैं. कुछ देर नेट पर किशोरावस्था के बारे में पढ़ा. वह छात्राओं को कुछ व्यायाम सिखाएगी और प्राणायाम भी. शाम को टहलते हुए उन वृद्ध सज्जन से मिलने गयी. बहुत जिंदादिल हैं, उन्होंने अपना जीवन बहुत सलीके से जीया है. अभी भी सामाजिक कार्यों में व्यस्त रहते हैं. सुबह उठकर योगासन करते हैं. आंटी ने दोनों हाथ फैलाकर घूमकर दिखाया जो वे सुबह इक्कीस बार करती हैं. ज्ञान जीवन को पुष्पित करता है और गुरू का होना कितना अंतर ला देता है किसी के जीवन में. गुह्यतम ज्ञान का खजाना मिल जाता है, भीतर का प्रकाश मिल जाता है. उस प्रकाश के बिना ज्ञान टिकता नहीं. अंकल ने कहा, वह उस प्रकाश को पा चुके हैं इसके बारे में कुछ नहीं कहेंगे. वाकई उसके बारे में क्या कहे कोई. उनसे मिलकर बहुत अच्छा लगा है. नन्हे को भी बताया उनके बारे में. उसने बताया वह एक अच्छे से नये घर में रहने लगा है, पौष्टिक आहार भी लेने लगा है. तैराकी भी शुरू की है. उन्हें वहाँ आने के लिए निमन्त्रण दिया. अगस्त में वे उसके पास जा सकते हैं. जून अभी तक चेन्नई नहीं पहुंचे होंगे, फोन अभी आया नहीं है.

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